अध्योध्या धाम के राम मंदिर में लगे वंशीपहाड़पुर के पत्थरों से देश का प्रथम संत रविदास मंदिर ले रहा है शनेः-शनेः आकार,

अध्योध्या धाम के राम मंदिर में लगे वंशीपहाड़पुर के पत्थरों से देश का प्रथम संत रविदास मंदिर ले रहा है शनेः-शनेः आकार,

बगैर आयरन से तैयार हो रहा है 66 फुट ऊंचा मंदिर का गर्भगृह

सागरअध्योध्या धाम के भगवान श्री राम लला मंदिर में लगे राजस्थान के धोलपुर वंशीपहाड़पुर के लाल पत्थरों से देश का प्रथम 100 करोड़ रू. की लागत का संत रविदास मंदिर शनेः-शने‘ मूर्तरूप ले रहा है संत रविदास मंदिर 66 फुट ऊंचा होगा। मंदिर के गर्भगृह में किसी भी प्रकार के लोहे का उपयोग नहीं होगा, केवल पत्थर, रेत, गिटटी का उपयोग करते हुए मंदिर को भव्य एवं दिव्य रूप दिया जा रहा है। कलेक्टर  दीपक आर्य ने बताया कि विगत वर्ष संत रविदास जंयती के अवसर पर मध्यप्रदेश शासन के द्वारा 100 करोड रू. की लागत से संत रविदास मंदिर, संग्राहालय की घोषणा की गई थी। जिसका भूमि पूजन प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था और इसके पूर्ण होने अवधि अगस्त 2025 तक है। उन्होंने बताया कि संत रविदास मंदिर के निर्माण की केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा सतत् मॉनिटरिंग की जा रही है। जिसके परिप्रेक्ष्य में हाल में श्री शिवशेखर शुक्ला प्रमुख सचिव पर्यटन संस्कृति धर्म एवं धर्मस्व विभाग द्वारा मंदिर निर्माण स्थल का निरीक्षण किया गया।  

कलेक्टर  आर्य ने बताया कि संत रविदास मंदिर एवं संग्राहालय में जो प्रमुख रूप से विशेषताएं रहेगी, उनमें बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी का समय भारत में भक्ति आंदोलन का समय था। मध्यकाल में कई संतों ने सामाजिक समानता और जाति आधारित भेदभाव उन्मूलन पर बल दिया। इनमें रविदासजी महान सुधारक और सत्य के उपदेशक बनकर प्रमुख संत के रूप में प्रतिष्ठित हुए। अपनी रचनाओं के माध्यम से रविदासजी ने ईश्वर के एक रूप का स्वीकार किया, जाति भेद की आलोचना की और समानता का समर्थन किया। ’संत शिरोमणि’ उपाधि प्राप्त गुरु संत रविदास को लोग ’रैदास’ के नाम से भी जानते हैं। संवत 1377, काशी में माघ पूर्णिमा के दिन जन्मे संत रैदास की रचनाएँ आध्यात्मिक एवं सामाजिक रूप से काफी प्रगतिशील रही। रैदासजी ने अपने आचरण तथा व्यवहार से प्रमाणित किया कि मनुष्य जन्म से नहीं अपने कर्मों से महान बनता है।

संत रविदास मन्दिर और संग्रहालय

मध्यप्रदेश सरकार, संत रैदास के सामाजिक परिष्कार एवं एकता के विचार और लोक- परिमार्जन एवं मानवता की वाणी को रक्षित करने का प्रयास करने जा रही है। मध्यप्रदेश सरकार ने संत रविदास के सराहनीय कार्यों को महान श्रद्धांजलि देने का विचार किया है। साथ ही, संत रविदास की वाणी-विरासत को सुरक्षित रखकर नई पीढ़ी तक पहुंचाने हेतु मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ’संत रविदास मन्दिर और संग्रहालय’ का निर्माण करने जा रही है। सागर जिले में मन्दिर एवं संग्रहालय का निर्माण श्रद्धेय कवि व समाज सुधारक संत रविदासजी के सत्कार्यों को अंजली देना एवं उनके जीवन-मूल्य व विरासत को उजागर करना है। समानता एवं ईश्वर के प्रति समर्पण भाव इस मन्दिर और संग्रहालय का केन्द्र बिंदु बनेगा।

संत रविदास मंदिर एवं संग्रहालय का भवन – संत रविदास मन्दिर एवं संग्रहालय’ परिसर विभिन्न सुविधाओं के साथ देश-विदेश के कई साधक, संशोधक एवं भक्तों को आकर्षित करेगा। अव्याआधुनिक संसाधन, रोशनी, पेड़-पौधों से परिसर का वातावरण ज्ञान के साथ सुकून का अनुभव करायेगा। साथ ही, इस परिसर की डिज़ाइन वास्तुकला के आधार से तैयार की जायेगी।

संत रविदास मन्दिर एवं संग्रहालय’ 12 एकड भूमि में आकार लेगा। जिसका प्रारूप इस प्रकार है,

मन्दिर – इस परियोजना के मध्यस्थ 5500 वर्ग फिट में मुख्य मन्दिर आकार लेगा। मन्दिर नागर शैली से बनाया जाएगा। मन्दिर में गर्भगृह, अन्तराल मन्डप तथा अर्धमन्डप का सुंदर निर्माण होगा। मन्दिर केवल पूजा का स्थान न बनकर सांस्कृतिक-आध्यात्मिक चर्चाओं का केन्द्र स्थान बनेगा। आगंतुक भारतीय संस्कार व संस्कृति के विषय में विस्तार से जान पायेंगे। आध्यात्मिक विश्वासों पर चिंतन एवं मनन के लिए यह केन्द्र मुख्य आकर्षण बनेगा।

जलकुंड – ’संत रविदास संग्रहालय’ (म्यूज़ियम) के प्रवेश द्वार के सामने बड़ा सा जलकुंड आकार लेने वाला है। सुन्दर नक्काशी और मूर्तियों के साथ इस जलकुंड के आसपास पेड़ पौधों की रमणियता प्रदान की जायेगी। जल से पवित्रता का अनुभव होता है, इसलिए कुंड के पास विहार करने योग्य विशाल स्थान बनेगा।

संग्रहालय – मन्दिर के आसपास वर्तुलाकार की भूमि पर चार गैलेरी बनेगी जिसमें, संत रविदासजी के जीवन को विस्तृत रूप से एवम् आधुनिक संसाधनों की सहायता से प्रस्तुत किया जायेगा। संत रविदास की वाणी, उनके कार्य, सामाजिक प्रदान, भक्ति आंदोलन, आंदोलन में संत रविदास की भूमिका आदि विषयों को कलात्मक रूप से आधुनिक तकनिकों के साथ दर्शाया जायेगा।

पुस्तकालय – दस हजार वर्गफुट में पुस्तकालय और संगत सभाखंड आकार लेगा। यहाँ संत रविदास की उपलब्धियाँ और शिक्षाओं को संग्रहीत किया जायेगा। संत रविदासजी के कृतित्व के साथ यहाँ आध्यात्मिक, धार्मिक पुस्तकें भी रखी जायेगी। यह पुस्तकालय एक तरह साहित्य संसाधनों का भंडार बनकर सामने आयेगा। यहाँ संत रविदास के साथ अन्य महान गुरुओं एवं दार्शिनकों के विचार व वाणी को संभाला जायेगा। आगंतुक इस स्थान पर बैठकर पुस्तक पढ़ सके ऐसी व्यवस्था उपलब्ध होगी।

संगत सभाखंड – संगत सभाखंड का आकार फूलों की पंखुडियों जैसा बनेगा। नवीन रूप से निर्माण होनेवाले इस विशाल सभाखंड में संत रविदासजी की वाणी के साथ कई अन्य धार्मिक, आध्यात्मिक, संशोधनलक्षी कार्य होंगे, जैसे व्याख्यान, कार्यशाला, संगोष्ठियाँ। इस स्थान पर आकर लोग अपने विचारों का सरलतम तरीके से आदान- प्रदान कर पायेंगे। संगत सभाखंड सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण एवं संवर्धन स्त्रोत बनेगा

भक्त निवास – भक्त निवास, 12,500 वर्गफुट में निर्मित होगा। यह क्षेत्र विश्वभर से पधारें साधक, भक्त, संशोधक, विद्वान, यात्रियों के निवास की व्यवस्था करेगा। आरामदायक एवं आवश्यक रहने की व्यवस्थाएँ यहाँ उपलब्ध होगी। एयर कंडीशनिंग कमरें, साफ बिस्तर, संलग्न बाथरूम वाले पंद्रह कमरे होंगे। साथ ही, पचास व्यक्तियों के लिए छात्रावास सुविधाएँ भी प्राप्त होगी।

अल्पाहार गृह – मुलाकातियों के लिए पंद्रह हजार वर्गफुट में विशाल अल्पाहार गृह का निर्माण होगा। तम्बू-आकार की डिज़ाइन वाले यह अल्पाहार गृह में नाश्ते-भोजन के साथ अन्य सामग्री परोसी जायेगी। बैठने के लिए पारंपरिक मेज एवं कुर्सियों के साथ बाहरी बैठक व्यवस्था भी बनाई जायेगी। गजेबों – आल्पाहार-गृह के पास दो बैठने योग्य स्थान बनेंगे। मुलाकाती इस स्थान का उपयोग बैठने, पढ़ने, नास्ता करने, विचारों का आदान-प्रदान करने हेतु कर पायेंगे। 1940 वर्गफुट में निर्मित यह क्षेत्र खुला होने के कारण आसपास का प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेना सरलतम एवं सुकूनदेह होगा।

संत रविदास मन्दिर एवं संग्रहालय’ के माध्यम से आधुनिक विकास एवं कलात्मकता के साथ संत रविदासजी की शिक्षाएँ व दिक्षाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचेगी। यह आध्यात्मिक स्थान समग्र विश्व के विभिन्न संस्कृति के साधकों का स्वागत करेगा और साथ ही रहस्यवाद पथ की गहरी समझ व्यापक बनायेगा।

संत रविदास जी के भव्य मंदिर एवं कला संग्रहालय आदि के निर्माण 11 एकड़ भूमि में किया जावेगा। इस सम्पूर्ण योजना की लागत राशि रु 99.69 करोड़ प्रस्तावित है। योजना के अंतर्गत विभिन्न घटकों का समायोजन किया गया है, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है- मंदिर – संत रविदास जी का नागर शैली से पत्थरों का एक भव्य मंदिर का निर्माण लगभग 10000 वर्गफिट क्षेत्रफल में किया जाएगा। इंटरप्रिटेशन म्यूजियम संस्कृति एवं रचनात्मक विशेषता के साथ साथ संत जी के दर्शन को प्रदर्शित करने वाली एक विशेष शैली के इंटरप्रिटेशन म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा म्यूजियम का कुल क्षेत्र फल 14000 वर्गफुट होगा, जिसके अंतर्गत म्यूजियम में चार गैलरियाँ निर्मित की जा रही है।

 

प्रथम गैलरी- संत रविदास जी के महान जीवन का प्रदर्शन।

द्वितीय गैलरी- संत रविदास जी के भक्ति मार्ग तथा निर्गुण पंथ में योगदान।

तृतीय गैलरी– संत रविदास के दर्शन का विभिन्न मतों पर प्रभाव तथा रविदासिया पंथ।

चतुर्थ गैलरी- संत रविदास की काव्योंचित, साहित्य एवं समकालीन विवरण।

संत रविदास जी के जीवन वृतांत का चित्रण समस्त परिसर में म्युरल स्कल्प्चर के माध्यम से किया जावेगा, मंदिर परिसर में दो भव्य प्रवेश द्वार एवं भव्य पार्किंग, सी.सी.टी.वी., फायर फाइटिंग, लाइटिंग इत्यादि की समुचित व्यवस्थाएँ निर्मित की जावेगी।

 मनीष डेहरिया असि. इंजीनियर टूरिजम ने बताया कि मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्रता से चल रहा है, जिसमें अभी तक निर्माण एंजेसी यूनिट इंजीवेन्चर कसोटियम एलएलपी नोयडा के द्वारा 25 प्रतिशत किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि मंदिर का फाउंडेशन कार्य पूर्ण तथा म्यूजियम फाउंडेशन का कार्य प्रगति पर है। डोरमेट्री प्रथम तल, भक्त निवास प्रथम तल, वाउड्रीबाल, कुण्ड कालोनेड स्ट्रक्चर फाउंडेशन का कार्य प्रगति पर है। टायलेट ब्लॉक स्ट्रक्चर, लाईब्रेरी टिपंथ एवं कैफेटेरिया प्लिंथ तक का कार्य पूर्ण हो गया है।

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