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| खबर का असर

नाबालिग से जबरन दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 साल की कैद और जुर्माना

सागर । बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त सुनील उर्फ टकला को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की धारा- 366 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, धारा 342 के तहत 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पांच सौ रूपये अर्थदण्ड, धारा 506(भाग-2) के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड, तथा पाक्सो एक्ट की धारा- 6 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रूपये अर्थदण्ड, की सजा से दंडित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) श्री धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता/बालिका की माॅ ने दिनांक 24.07.2022 को थाना केन्टोन्मेंट में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 23.07.2022 को शाम 5.00 बजे उसकी लड़की/बालिका उसकी नानी के घर जाने का कहकर घर से गई थी जो शाम 7.30 बजे तक लौटकर नहीं आयी एवं बालिका की नानी को फोन लगाकर बालिका के बारे में पूछने पर उसने बालिका का उसके घर न आना बताया। बालिका की तलाश सभी जगह व रिश्तेदारों में करने पर भी उसका कोई पता नहीं चला। सूचनाकर्ता द्वारा अज्ञात व्यक्ति द्वारा बालिका को बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने की शंका व्यक्त करने पर उक्त सूचना के आधार पर थाना केन्टोन्मेंट में बालिका के संबंध में गुम इंसान क्रमांक 78/2022 पंजीबद्ध की जाकर अज्ञात अभियुक्त के विरूद्ध अपराध क्रमांक 682/2022 अंतर्गत धारा 363 भा.दं.सं. के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख की जाकर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान घटना स्थल का निरीक्षण कर नक्शा मौका तैयार किया गया एवं फरियादी तथा अन्य साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किये गये। दिनांक 26.07.2022 को बालिका को दस्तयाब किया जाकर उसके कथन लेख किये गये जिसमें उसने अभियुक्त द्वारा बालिका को बहला फुसलाकर ले जाकर गलत काम करना बताया गया। बालिका के धारा 164 द.प्र.सं. के कथन कराये गये एवं बालिका एवं अन्य साक्षीगण के कथनों के आधार पर प्रकरण में अभियुक्त सुनील उर्फ टकला के विरूद्ध प्रकरण में धारा 366ए, 376(2)(द), 342, 506 भा.दं.सं. एवं धारा 5(एल)/6 लैंगिक अपराधोंसे बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का इजाफा किया गया। बालिका एवं उसके परिजनों की सहमति प्राप्त बालिका का मेडीकल परीक्षण जिला अस्पताल से कराया जाकर डाॅक्टर द्वारा बालिका से प्रिजर्व सामग्री को जप्त कर जप्ती पंचनामा तैयार किया गया। अभियुक्त को गिरफ्तार किया जाकर गिरफ्तारी पंचनामा तैयार किया गया तथा उसकी सूचना उसके परिजनों को दी गई। अभियुक्त का मेडीकल परीक्षण कराया जाकर डाॅक्टर द्वारा अभियुक्त से प्रिजर्व सामग्री को जप्त कर जप्ती पत्रक तैयार किया गया। संबंधित विद्यालय से दाखिल खारिज पंजी एवं बालिका की जन्मतिथि का प्रमाणीकरण प्राप्त किया गया। बालिका एवं अभियुक्त के जप्तशुदा प्रदर्शों पुलिस अधीक्षक के ड्राफ्ट के माध्यम से डी.एन.ए. परीक्षण हेतु आर.एफ.एस.एल. भोपाल भेजा गया तथा रिपोर्ट प्राप्त की गई। सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध धारा 363, 366ए, 376(2)(द), 342, 506 भा.दं.सं. एवं धारा5(एल)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत अभियोग-पत्र न्यायालय में पेश किया गया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजो ंको प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।