11 मई को PSC का रिजल्ट आय,ओएमआर आंसर शीट नष्ट करने टेंडर जारी, सबूतों को मिटाने कटघरे में PSC
रायपुर। अपने बेटे-बहू और रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर-डीएसपी बनाने के मामले में घिरे चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी ने क्या सबूत मिटाने की कोशिश की थी? हाईकोर्ट में पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर की याचिका में जो सवाल उठाए गए हैं, उससे सोनवानी के साथ पीएससी की भूमिका कठघरे में है. ननकीराम ने अपनी याचिका में 11 मई को पीएससी-2021 का रिजल्ट घोषित होने के बाद 5 जून को प्रश्न पत्र और ओएमआर आंसर शीट को नष्ट करने के लिए बुलाए गए टेंडर को संदिग्ध और दुर्भावनापूर्ण बताया है।
PSC ने 2021 का रिजल्ट घोषित होने के करीब 25 दिन बाद गैरजरूरी कागज और दस्तावेजों को नष्ट करने के नाम पर टेंडर निकाला। इसमें दस्तावेज, ओएमआर शीट, आंसरशीट और परीक्षा से जुड़े लिफाफे शामिल हैं। इसके खिलाफ 7 जून को आपत्ति लगाई गई। 10 जून को इस संबंध में प्रेस रिलीज जारी किया गया, जो अखबारों में प्रकाशित हुआ। याचिका में एक और बात को प्रमुखता से उठाया गया है कि शिक्षा जगत में इस बात की भी चर्चा है कि जो सफल कैंडीडेट हैं, उनका नाम किसी कोचिंग सेंटर से जोड़ा जा रहा है, जबकि ऐसे मेहनती और मेधावी छात्र को किसी ने देखा तक नहीं था। यही वजह है कि पूरे मामले में पीएससी की भूमिका संदिग्ध है। इससे पहले जो परीक्षाएं विवाद में आई थीं, उस दौरान इस तरह पेपर नष्ट करने जैसा मामला सामने नहीं आया था।
नेता अधिकारी सबके बेटे-बेटी उपकृत
PSC की परीक्षा में अफसर ही नहीं, बल्कि नेताओं के बच्चे भी उपकृत हुए हैं। इनमें पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी कठघरे में हैं। इस अलावा राजभवन के सचिव अमृत खलखो के बेटे व बेटी शामिल हैं। इसे लेकर छात्रों का कहा है कि पीएससी की परीक्षाओं में खुलकर भ्रष्टाचार हुआ है। इससे पहले भी पीएससी की भूमिका पर सवाल उठ चुके हैं।
माग- ईओडब्ल्यू से बारीकी से जांच
इस पूरे मामले की ईओडब्ल्यू से जांच कराने की मांग भी चल रही है, जिससे जिन लोगों पर शक है, उनके खिलाफ सभी पहलुओं पर जांच हो जाएगी। आर्थिक रूप से जो लाभ हासिल किया गया, वहां खपाया गया है, यह पता चला जाएगा। सिर्फ पीएससी ही नहीं, बल्कि पहले जो भी परीक्षाएं हुई हैं, उसमें कुछ खास वर्ग के लोगों को लाभ दिलाने की बात भी आई थी।
कलेक्टर के बेटे के चयन पर सवाल
PSC -2021 ही नहीं, बल्कि 2022 में कलेक्टर के बेटे के चयन के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रया आई थी। बड़ी संख्या में ऐसे छात्र हैं, कमजोर आर्थिक स्थिति के बाद भी मेहनत के साथ आगे पहुंचे। ऐसे समय में जब कलेक्टर के बेटे का डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट में सलेक्शन होता है तो पूरी आरक्षण की व्यवस्था पर समाज के लोग ही सवाल उठाते हैं।