MP कांग्रेस में जीतू पटवारी बने चुनाव अभियान समिति के सह-अध्यक्ष,मिली बड़ी जिम्मेदारी,
भोपाल। विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस ने जातीय और स्थानीय समीकरणों को साधने के क्रम में अब पूर्व मंत्री और पार्टी के युवा नेता जीतू पटवारी को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति का सह-अध्यक्ष बनाया है। वे पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया के साथ पार्टी के चुनाव अभियान को गति देने का काम करेंगे। पार्टी ने उन्हें मालवांचल में जन आक्रोश यात्रा निकालने की जिम्मेदारी भी दी है। वे 34 सदस्यीय चुनाव अभियान समिति के पहले से सदस्य हैं।
पटवारी की गिनती कांग्रेस के तेजतर्रार नेताओं में होती है। युवा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पूरे प्रदेश में अपना नेटवर्क खड़ा किया। प्रदेश कांग्रेस में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत सात स्थानों से निकाली जा रही जन आक्रोश यात्रा में से एक यात्रा का नेतृत्व जीतू पटवारी कर रहे हैं। उन्हें मालवांचल में आने वाले मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, इंदौर, आगर मालवा, शाजापुर और देवास जिले की जिम्मेदारी दी गई है। इसके पहले पार्टी ने परिवर्तन संकल्प अभियान के तहत निकाली यात्रा में उन्हें सतना, पन्ना, दमोह और रायसेन जिले भेजा गया था।
चुनाव समिति और चुनाव अभियान समिति के सदस्य वे पहले से हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पर काम करने की कार्ययोजना पर काम कर रही है। इसी दृष्टि से विंध्य क्षेत्र से आने वाले कमलेश्वर पटेल को पार्टी की सभी महत्वपूर्ण समितियों में स्थान दिया है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को भी सभी समितियों में रखने के साथ ओबीसी बहुल जिलों में जन आक्रोश यात्रा निकालने की जिम्मेदारी दी गई है।
राहुल गांधी के सीधे संपर्क में रहने वाले नेताओं में हैं पटवारी
पटवारी प्रदेश के उन गिने-चुने कांग्रेस नेताओं में हैं जो पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सीधे संपर्क में रहते हैं। उन्हें भारत जोड़ो यात्रा के लिए गठित समिति का सदस्य भी बनाया गया था और राहुल गांधी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते उन्हें प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। यद्यपि, वे विधानसभा में उस वक्त अलग-थलग पड़ गए थे, जब उन्हें विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। तब यह बात सामने आई थी कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनका वैसा साथ नहीं दिया, जिसकी दरकार थी। यही कारण है कि उन्होंने अपने स्तर पर ही गेहूं का समर्थन मूल्य तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग को लेकर यात्रा निकाल दी थी।