घर तक नहीं पहुंची एम्बुलेंस,प्रसव कराने कपड़े की झोली में डालकर ले जाना पड़ा, रास्ते में ही हो गया प्रसव
बड़वानी। जिले से एक शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां एक आदिवासी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर लगभग 3 से 4 किलोमीटर झोली में डालकर एंबुलेंस तक पैदल ले जाना पड़ा। दरअसल महिला के घर तक का रास्ता खराब होने के चलते एम्बुलेंस वहां तक नहीं पहुंच सकती थी, लेकिन महिला की पीड़ा को देखते हुए परिजनों ने एम्बुलेंस तक करीब चार किलोमीटर के रास्ते का सफर महिला को कपड़े से बनी झोली में लिटाकर तय किया। हालांकि इस दौरान महिला को रास्ते में ही प्रसव हो गया। फिलहाल महिला जिला अस्पताल में अपने बच्चे के साथ भर्ती हैं।
प्रदेश सरकार विकास के लाख दावे कर रही है, लेकिन बड़वानी जिले के सुदूर अंचल में बसे कई गांव विकास के इन दावों से अछूते हैं। यहां अब भी विकास आम लोगों की पहुंच से कोसों दूर है। ऐसा ही एक मामला बड़वानी जिले के पानसेमल तहसील के ग्राम खामघाट में सामने आया। यहां एक गर्भवती महिला को शनिवार को प्रसव पीड़ा होने लगी, जिस पर परिजन ने एंबुलेंस को फोन किया। लेकिन गांव पहुंचने का रास्ता खराब होने और रास्ते के बीच पड़ने वाले नाले में बारिश और अतिवृष्टि के चलते तेज बहाव होने के कारण एंबुलेंस महिला के गांव तक नहीं पहुंच पा रही थी।
रास्ते में ही हो गई डिलीवरी
महिला रीना बाई को दर्द से तड़पता देख परिजन देशी जुगाड़ लगाते हुए उसे कपड़े से बनी एक झोली में डालकर अस्पताल ले जाने के लिए निकल गए। इस बीच वे खराब रास्ते और बहते हुए नाले में से जान जोखिम में डालकर निकले। इसी दौरान पैदल ले जाते समय ही रास्ते में महिला की डिलीवरी हो गई। इसके बाद उसके परिजनों ने उसे जैसे तैसे एंबुलेंस तक पहुंचाया। महिला की हालत ज्यादा खराब होने पर डॉक्टर ने पानसेमल स्वाथ्य केंद्र से उसे बड़वानी जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जहां महिला सहित उसका नवजात फिलहाल भर्ती हैं और उनका इलाज जारी है। ग्रामीणों ने कहा कि कई बार समस्या से नेता और अधिकारियों का आवेदन निवेदन कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हो पाया। बीमारों और स्कूल में छात्रों को भी इस तरह जानलेवा परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पहले भी हो चुकी रास्ते में ही डिलीवरी
इधर खामघाट गांव के रहने वाले प्रसूता के भाई ठाकुर ने बताया कि उनकी बहन की डिलीवरी के लिए अस्पताल लाए थे। उन्होंने एंबुलेंस को फोन लगाया था तो उन्होंने रास्ता खराब होना बताया था। इसलिए बहन को झोली में लेकर आए थे, और रास्ते में झोली में ही डिलीवरी हो गई थी। रास्ते में नाला पूर था, इसलिए एंबुलेंस भी नहीं आ पा रही थी, इसलिए झोली में बहन को लेकर आए थे। ठाकुर ने बताया कि उनके गांव में रोड की बहुत समस्या है और नाला बीच में आ जाता है जो पूर आ जाता है तो आने-जाने में बहुत परेशानी होती है। इसके पहले भी उनके परिवार के दो-तीन डिलीवरी रास्ते में ही हो चुकी है। इसलिए उनके गांव में रोड बनाया जाना चाहिए। वही इसको लेकर पानसेमल स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने बताया कि शनिवार शाम को एक महिला को लाया गया था, जिसका नाम रीना पति थाटिया था। उनका प्लेसेंटा रिमूव नहीं हुआ था, उनके डिलीवरी रास्ते में हो चुकी थी। जिसके चलते यहां पर प्लेसेंटा रिमूव कर उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था।