“जागरूक सागर की विचार गोष्ठी” में हुई सागर के हिंतो पर यह गंभीर चर्चा

जागरूक सागर की विचार गोष्ठी में हुई सागर के हित पर गंभीर चर्चा
करने का इरादा हो तो परिणाम भरपूर आते हैं -डॉ.राकेश
यह संघर्ष मोर्चा नहीं जागरूक सागर मंच है – राजेंद्र दुबे

सागर। पिछले दिनों एक मूर्ति स्थापना स्थल को लेकर उपजे विवाद से नगर में हुईं तीव्र प्रतिक्रियाओं के‌ फलस्वरूप नगर के सक्रिय युवाओं द्वारा संदेश “सोच सागर के हित की”‌ के साथ गठित मंच “जागरूक सागर” द्वारा 2 अक्टूबर रविवार को महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर अपनी प्रथम विचार गोष्ठी का आयोजन पं.ज्वालाप्रसाद ज्योतिषी इंस्टीट्यूट में हुई गंभीर चर्चा के साथ किया।
इस अवसर पर बैठक की अध्यक्षता कर रहे डॉ. राकेश शर्मा ने कहा कि आज इस मंच की आवाश्यकता सागर महसूस कर रहा था ! हजारों करोड की राशि खर्च कर दी जाती है लेकिन दो दिन चले अढ़ाई कोस वाली बात है। जो होता है सो उल्टा – सीधा वर्ना चल सब रहा है, बस हो कुछ नहीं रहा! यदि करने का इरादा हो तो परिणाम भरपूर आते हैं। स्मार्ट सिटी से बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है इसमें कोई शक नहीं है । बार काऊंसिल के अध्यक्ष डॉ. अंकलेश्वर दुबे अन्नी ने कहा “जिस तरह से सागर के कतिपय राजनीतिज्ञ और सरकार ने अपनी मनमर्जी से कुछ भी करने की ठान ली है वो गलत है । सकारात्मक सोचना अनिवार्य है लेकिन सकारात्मक को मजबूरी समझ कर उसका लाभ लेने की संस्कृति वर्तमान राजनीति और प्रशासन ने बना रखी है ।


समाज सेवी डॉ.सुबोध ताम्रकार ने कहा हमें गांधी जी से सीखना चाहिए। जो गलत है उसका विरोध खुलकर करना चाहिए ! सागर स्मार्ट सिटी मे न तो कंसल्टेंट अच्छे रहे है ,न ही कोई डेटा रहा है,न इंजीनियर अच्छे रहे हैं और न प्रशासन में कुशल लोग ही मौजूद थे । किसी भी प्रशासन के अधिकारियों और इंजीनियरों ने कभी भी किसी भी व्यक्ति से ये जानने की कोशिश नहीं कि क्या अच्छा होना चाहिये ? झील का एलीवेटेड कारीडोर बिना सोची समझी कार्यविधि थी! सागर झील को तीन हिस्सों मे बांटकर उसकी पूरी खूबसूरती का सत्यानाश करके रख दिया है।इससे बड़ा मजाक क्या हो सकता है ?
स्वामी विवेकानन्द विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ.अजय तिवारी ने कहा हर तीन महीने से बनी हुई सड़क खोद दी जाती है और आमजन की कमाई का 70% सरकार लेकर एक हजार करोड़ आया कभी तीन हजार करोड आया बता दिया जाता है ! ये किसी को पता नहीं। इन्हें भय इसलिए नहीं क्योंकि ये जानते हैं, जनता जल्दी स्वीकार कर लेती है।
बैठक के अतिथि राजेन्द्र दुबे कलाकार ने कहा “ये संघर्ष मोर्चा नहीं है- ये जागरूक सागर मंच है” ।
एडवोकेट राधाकृष्ण व्यास ने कहा आजकल देश के राष्ट्रीय नेता बने फिरने वाले कुछ जो आज तक पूरे नेता नहीं बन पाये आये उन्हें आवाज उठाना आता है लेकिन काम को अंजाम तक पहुंचाना अभी तक नहीं आया। सागर विश्वविद्यालय केंद्रीय बनाने के लिये नेता बनने का चांस था लेकिन सागर मे जब राजकीय विश्वविद्यालय की बारी आई तो कह दिया कोई और आवाज क्यों नहीं उठाता ? अरे भाई जब तुम आवाज़ बने थे तो बैकफुट पर आने की क्या आवश्यकता था । सागर जैसे शांत शहर मे मूर्ति के जरिये अशांति फैलाकर जातिवाद जहर घोलते हुये बौद्धिक क्षमता कैसे बौनी हो गई ?
साहित्यकार कैलाश तिवारी विकल ने कहा हमें अपनी भेड़चाल बदलनी होगी। डॉ.गौर ने हमें ये सौगात सौंपी थी और हम सरकार को थाली सजाकर सौंप आये।यह देखकर “शर्मिंदा होना पडता है ।
गोष्ठी की शुरुआत महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। जागरूक सागर मंच के संयोजक प्रदीप पाण्डेय ने मंच का परिचय देते हुये कहा कि जागरूक सागर की थीम ” सोच सागर के हित की,” है । जिसमें जिस तरह सिर्फ चंद लोगों के निर्णय सागर की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचा रहे हैं वह पूर्णतया गलत है । जागरूक सागर सिर्फ सागर के हित में सागर के लिये कार्य तो करेगा ही साथ ही सागर की प्रतिष्ठा से जुड़े अन्यायपूर्ण अनुचित निर्णयों से प्रशासन और राजनीतिक तंत्र को अवगत भी करायेगा ।अपने इन उद्देश्यों को लेकर सागर के लिये कार्य करेगा। गोष्ठी का संचालन करते हुए म.प्र.हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने कहा कि सागर मे जागरूक सागर जैसे मंच की बहुत आवश्यकता थी जो सागर मे हो रही अनियमितताओं पर अंकुश लगा सके । बडे दुर्भाग्य कि बात है कि हम आयातित महापुरुषों पर ध्यान केंद्रित कर रहे है जबकि सागर के महापुरुषों को कभी बाहर या सागर में ही सम्मान नहीं दिला सके । यदि सेन समाज के महापुरुष की बात है तो स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी शंकरलाल सेन जो सागर के ही हैं उनकी मूर्ति क्यों नहीं ?
अपने विचार रखने वालों में मनोज पाण्डेय , देवकी भट्ट दीपा,उमेश चौबे,संतोष पाठक,कपिल वैशाखिया,के एल तिवारी राघवेंद्र खरे रिंकू, रामेश्वर फोटोग्राफर, पूजा पांडेय,लक्ष्मीकांत गोस्वामी,राहुल पाठक,डॉक्टर अतुल श्रीवास्तव,शैलेश अकेला आदि मौजूद थे ।

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