MP: प्रदेश के इन जिलों में चलता पाया गया बड़ा फर्जीवाड़ा, विधानसभा में पेश प्रतिवेदन में हुआ पर्दाफ़ाश
भोपाल। प्रदेश की पंचायत राज संस्थाओं में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा चल रहा है, हालात यह है कि पंचायतों ने बगैर मंजूरी निर्माण सहित अन्य कार्य करा डाले।
विधानसभा में हाल ही में पेश संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा “त्रिस्तरीय पंचायतराज संस्था” के वार्षिक प्रतिवेदन-2018 एवं 2019 से इसका पर्दाफाश हुआ है। प्रतिवेदन के अनुसार प्रदेश के आठ जिलों की 728 ग्राम पंचायतों ने बगैर प्रशासकीय और तकनीकी मंजूरी के 169 करोड़ दो लाख 96 हजार 530 रुपये के निर्माण काम करा लिए।
इतना ही नहीं, इन पंचायतों ने इन कार्यों का मूल्यांकन भी नहीं कराया और जांच करने वाली संस्था को जानकारी भी नहीं दी। संचालक के प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2014 से 2018 के बीच रीवा, सतना, सीधी, उमरिया, शहडोल, सिंगरौली, सागर और टीकमग़ढ़ की विभिन्न ग्राम पंचायतों ने पंचायत भवन सहित नाली-सड़क निर्माण जैसे अन्य कार्यों पर राशि खर्च की है, पर काम कराने से पहले किसी भी कार्य की प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति नहीं ली। पंचायतों ने इसे छिपाने की भी भरपूर कोशिश की।
उन्होंने ऐसे कार्यों का मूल्यांकन ही नहीं कराया, जो बगैर मंजूरी कराए गए हैं। यह है कार्य स्वीकृति की प्रक्रिया किसी भी कार्य के लिए सबसे पहले तकनीकी स्वीकृति होती है। इसमें यह देखा जाता है कि वह तकनीकी तौर पर बनने लायक है या नहीं। इसकी रिपोर्ट के आधार पर संबंधित विभाग प्रशासकीय स्वीकृति देता है।
किस जिले की कितनी ग्राम पंचायतों ने बिना अनुमति कराए कार्य – रीवा जिले में 328 -सतना में 89 -सीधी में 49 -उमरिया में 46 -शहडोल में 93 -सिंगरौली में 55 -सागर में 45 -टीकमग़ढ़ में 23
इसमें परियोजना की लागत और अवधि तय हो जाती है। फिर निविदा कर निर्माण प्रक्रिया शुरू की जाती है। काम के दौरान भी लगातार भौतिक सत्यापन कराया जाता है। उसी के आधार पर ठेकेदार या कार्य करने वाली संस्था को राशि का भुगतान किया जाता है। कार्य पूरा होने पर पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। इसके आधार पर ही संबंधित एजेंसी को शेष राशि का भुगतान किया जाता है।
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