विधायक जैन द्वारा आयोजित महा कवि पद्माकर अलंकरण समारोह संपन्न, डॉ सोरठिया को मिला तीसरा पद्माकर अलंकरण पुरस्कार

विधायक शैलेंद्र जैन द्वारा आयोजित महा कवि पद्माकर अलंकरण समारोह संपन्न,डॉ श्याम मनोहर सोरठिया को मिला तीसरा पद्माकर अलंकरण पुरस्कार

साहित्य मेरी आत्मा में बसता है -शैलेंद्र जैन

सागर। बुंदेलखंड के सागर में जन्मे महा कवि पद्माकर जी की स्मृति में विधायक शैलेंद्र जैन एवं संस्कृति विभाग द्वारा नवनिर्मित महाकवि पद्माकर सभागार में पद्माकर अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया,उल्लेखनीय है कि विधायक शैलेंद्र जैन ने वर्ष 2015 में शहर के प्रबुद्ध जनों के साथ विचार-विमर्श कर महाकवि पद्माकर अलंकरण समारोह समिति का गठन किया गया था इसमें अध्यक्ष सुरेश आचार्य तथा समिति के सचिव उमाकांत मिश्रा को नियुक्त किया गया था इस समिति का उद्देश्य साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले विद्वानों को सम्मानित करने और उनकी स्मृति को स्थाई स्वरूप देने हेतु किया गया था, इसके तहत वर्ष 2015 में 2016 में निरंतर श्रेष्ठ साहित्यकारों को महा कवि पद्माकर अलंकरण से विभूषित किया गया वर्ष 2015 में वरिष्ठ साहित्यकार श्री निर्मल चंद जी निर्मल को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया एवं वर्ष 2016 में हिंदी के प्रकांड विद्वान डॉ सुरेश आचार्य को सम्मानित किया गया था।
इस श्रंखला के तृतीय क्रम में महाकवि पद्माकर सभागार में डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया को पुरस्कार के रुप में ₹21000 नगद शाल श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र से आपकी महत्वपूर्ण रचनाओं के लिए महा कवि पद्माकर अलंकरण वर्ष 2022 से विभूषित किया गया।
कार्यक्रम में अध्यक्ष के रुप में प्रोफेसर सुरेश आचार्य, मुख्य अतिथि सागर विधायक शैलेंद्र जैन उपस्थित रहे, इस अवसर पर महाकवि पद्माकर के जीवन पर व्याख्यान चंचला दवे ने दिया उन्होंने महा कवि पद्माकर जी के व्यक्तित्व कृतित्व पर शोध पर व्याख्यान प्रस्तुत कर प्रकृति चित्रण लोक संस्कृति पद्माकर के अद्भुत क्षण प्रस्तुत किए महा कवि पद्माकर के जन्म से लेकर उनके आश्रय दाताओं का क्रमबद्ध प्रस्तुत किया पद्माकर का जीवन क्रम और उनकी रचना संसार पर सारगर्भित आलेख पढ़ा “पद्माकर का रचना संसार उनकी साधना की चमक के साथ कण-कण में चिंतन की चिंगारी छिपी है” कार्यक्रम के संयोजक उमाकांत मिश्रा ने कार्यक्रम की रूपरेखा और इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस तरह से समिति की स्थापना हुई और आज यह तीसरा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के संचालक डॉ विकास दवे ने संबोधित करते हुए कहा कि विधायक शैलेंद्र जैन के प्रयासों से इतना बड़ा सभागार आप सभी को प्राप्त हुआ है इसके लिए हम सभी साहित्यकार सौभाग्यशाली हैं क्योंकि इतना अच्छा सर्व सुविधा युक्त सभागार प्राइम लोकेशन पर स्थित है इसके लिए हम सभी राजधानी निवासी भी तरसते हैं उन्होंने कहा कि साहित्य को जीवित रखने के लिए इस तरह के कार्यक्रम निरंतर होना अति आवश्यक है और यदि विधायक जैन जैसे जनप्रतिनिधि हमारा संरक्षण नहीं करेंगे तो हम हमारी संस्कृति को कैसे जीवित रख पाएंगे। विधायक शैलेंद्र जैन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महाकवि पद्माकर हमारी बुंदेली माटी के सपूत हैं उनका जन्म हमारे बुंदेलखंड के अपने सागर शहर में हुआ है परंतु आज भी सोशल साइट्स पर उनके जन्म के संबंध में भ्रामक जानकारी दी गई है इसे ठीक कराना हम सभी का दायित्व है उन्होंने कहा कि जब यह सभागार बनाया जा रहा था तब मेरे मन में यह विचार आया कि सागर के सपूत महाकवि पद्माकर जी के नाम से सागर में कोई भी स्थान नहीं है तब मैंने हमारे माननीय मंत्री भूपेंद्र सिंह जी एवं सांसद राज बहादुर सिंह जी से सभागार का नाम महाकावि पद्माकर के नाम से करने हेतु आग्रह किया था उन्होंने तुरंत सहमति दी थी उन्होंने कहा कि पद्माकर अलंकरण समारोह हम ने वर्ष 2015 में प्रारंभ किया था अब यह तीसरा पुरस्कार डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया जी को प्रदान कर रहे हैं यह कार्यक्रम निरंतर जारी रहेगा उन्होंने कहा कि साहित्य मेरी आत्मा में बसता है और मैं सदैव साहित्य के प्रति पूर्णत समर्पित रहूंगा।
कार्यक्रम में डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया ने कहा कि मेरा सौभाग्य है इतने बड़े सभागार में मुझे यह सम्मान इन महान साहित्यकारों के मध्य मिला है इसके लिए मैं हृदय से आप सभी का आभारी हैं और व्यक्तिगत रूप से विधायक शैलेंद्र जैन का आभारी हूं जिन्होंने कला की कद्र करते हुए यह सभागार हम सभी को उपलब्ध कराया है।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रोफेसर सुरेश आचार्य ने कहां की महाकवि पद्माकर सागर की गहन परंपराओं की महत्वपूर्ण पहचान है उनकी जगत विनोद, प्रबुद्ध पचासा और गंगा लहरी हिंदी साहित्य की अनुपम कृतियां है ।रीतिकालीन कवि होते हुए भी उनकी राष्ट्रीयता सदा स्मरण की जाएगी पद्माकर हमारे उन पुरखों में है जो सागर की कीर्ति की धवल आभा भारत भर में बिखेरते रहे हैं।कार्यक्रम का संचालन डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने किया कार्यक्रम में मुख्य रूप से शिवरतन यादव, वृंदावन राय सरल, सुनिला सराफ, सोनाली सेन,दीपाली गुरु, भावना बड़ौनया, आर के तिवारी, डॉ सरोज गुप्ता, कपिल नाहर,कपिल बैसाखियां उपस्थित रहे।

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