हमारा इतिहास/परंपरा

फ़ोटोग्राफ़ी प्रतियोगिता में भाग लेने का सुनहरा मौका सागर की धरोहरों को मिलेंगे नये रंग

फ़ोटोग्राफ़ी इवेंट में भाग लेने का सुनहरा मौका रचनात्मकता से दें सागर की धरोहरों को नये रंग सागर, 18 जनवरी, 2020 कहते हैं रचनात्मकता का कोई दौर, कोई समय या कोई मसौदा नहीं होता। कई बार व्यक्ति अपने ही विशेष ढंग में कुछ ऐसा कर जाता है जो स्वयं इतिहास और धरोहर बन जाता है। […]

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सागर के अनछुए पहलुओं से होंगे लोग रूबरू पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा-कलेक्टर दीपक सिंह

सागर के अनछुए पहलुओं से होंगे रूबरू,ज़िले के पर्यटन को नए आयाम देने जिला पर्यटन संवर्धन परिषद की बैठक सम्पन्न सागर ज़िले में ऐसे कई महत्वपूर्ण स्थान हैं जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। परंतु उचित विकास न होने के कारण आज भी शहरवासी तथा पर्यटक उनसे अनजान हैं। ज़िले के इन अनछुए पहलुओं

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अब बच्चे युवा और पर्यटक होंगे जिले की विरासत से रूबरू- कलेक्टर दीपक सिंह

सागर की अमूल्य धरोहरों को सहेजने के लिए कलेक्टर ने शुरू की मुहिम अब बच्चे युवा और पर्यटक होंगे जिले की विरासत से रूबरू शहर से पहचान कराती ‘वॉकिंग दी हेरीटेज ऑफ सागर’ बुक हुई लाँच सागर-मप्र// सागर की अमूल्य धरोहरों, ऐतिहासिक इमारतों, प्राकृतिक स्थानों और सांस्कृतिक महत्व की विरासत को सहेजने के लिए कलेक्टर

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जब एक किसान गंदे कपड़ो में थाने पहुंचे फिर कुछ ऐसा हुआ कि पूरा थाना हुआ सस्पेंड

जब एक किसान गंदे कपड़े पहन थाने में पहुंचे,थाने में कुछ ऐसा हुआ कि पूरा थाना हुआ सस्पेंड…‼️ सन 1979 की बात है। शाम 6 बजे एक किसान इटावा ज़िला के ऊसराहार थाने में मैला कुचैला कुर्ता धोती पहने पहुँचा और अपने बैल की चोरी की रपट लिखाने की बात की। छोटे दरोग़ा ने पुलिसिया

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खजाने की तलाश में छतरियों को नेस्तनाबूद कर दिया मिस्ट्री बन चुके “दुबे” तालाब का इतिहास- डॉ. रजनीश जैन

‘ मिस्ट्री बन चुके “दुबे” तालाब का इतिहास ‘ (रजनीश जैन✍️) यह एक गुजराती हीरा व्यापारी की कहानी है जो सीधे पन्ना और बाजीराव पेशवा से जुड़ती है। एक ऐसी शख्सियत की कहानी जो संभवतः देश के हीरा उद्योग का आदि पुरूष साबित हो सकता है। मराठा साम्राज्य की आर्थिक इमारत को जिसने हीरों से

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3 तोपें रोज चलती थी रात 10 बजे अंतिम तोप दागते ही परकोटे के सारे दरवाजे बंद हो जाते थे

रोचक जानकारी जोधपुर दुर्ग से रियासत काल में परम्परानुसार तीन तोपें प्रतिदिन छोडी जाती थी । पहली – दिन के 12 बजे दूसरी – 9 बजे तीसरी – 10 बजे । अंतिम तोप दस बजे छूटने के बाद जोधपुर शहर के परकोटे के सभी दरवाजे व खिड़कियां बंद कर दी जाती थी । बिना शहर

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