खेत में ग्रेडर पहुंचाकर की ग्रेडिंग कोरोना प्रोटोकाॅल में भीड़ को किया अवॉयड

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खेत में ग्रेडर पहुंचाकर की ग्रेडिंग कोरोना प्रोटोकाॅल में भीड़ को किया अवॉयड

महिला समूहों ने गेहूं प्रसंस्करण प्लांट को रखा चालू

सागर –

कोरोना काल में भीड़ लगाना लोगों को प्रसंस्करण प्लाट में अपना अनाज लाकर ग्रेडिंग करना चूकि खतरे से खाली नहीं था।  इसलिए ग्रेडिंग प्लांट को टेªक्टर के माध्यम से खेत में ले जाकर 546 क्विंटल गेहूं की महिलाओं ने ग्रेडिंग कर डाली। खुरई विकासखंड के ग्राम कठैली के ज्योति स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने खुरई की प्रसिद्ध गेहूं की बैरायटी को महिला समूहों के माध्यम से विपणन करने के लिए गेहूं एवं दाल प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की है। उन्होंने गत वर्ष भी आजीविका के ब्रांड से रेडी-टू-ईट स्तर पर साफ सुथरा गेहूं पैक कर बेचा है। चूकि अभी संक्रमण के खतरे हैं ऐसे में गेहूं कि ग्रेडिंग करके प्लांट को चालू करना समुचित नहीं है। लेकिन समूह की 5 सक्रिये और जरूरतमंद महिलाओं ने गे्रडिंग मशीन को प्लांट की आमदनी का जरिया बनाया है, उन्होंने इस मशीन को टेªक्टर में बांधकर 546 क्विंटल गेहूं को 70 रूप्ये प्रति क्विंटल की दर से ग्रेडिंग करने का कार्य शुरू कर दिया जिन किसानों को अपना माल ग्रेडिंग कराना था उन्हें भी ये घर पहुंच सेवा भाई और समूह की श्रीमती सरोज रैकवार आशा कुशवाहा गौरा अहिरवार, दीपिका कोरी, उषा रजक ने इस काम से 38220 रूप्ये की कमाई की।

जिले में आजीविका मिशन के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्यों ने अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर आमदनी के सूअवसरों की पहचान कर उसे अपने आर्थिक उन्नयन साधन बनाया है। ज्योति स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ये महिलायें केवल गेहूं कि ग्रेडिंग का काम नहीं करतीं। उन्होनें एक मिनी दाल मिल भी खरीद रखी है। जिससे वे केवल छनने बदल बदल कर चना, मूंग, मसूर, अरहर आदि दालें और बेसन का निर्माण कर बाजार में लांच कर रहीं हैं। यहां महिलाओं ने बीएमसी के माध्यम से देवश्री के नाम से मिल्क प्रोडक्ट भी बाजार में उतारे हैं।

डाॅ. इच्छित गढ़पाले मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, सागर ने बताया कि आजीविका महिला समूह ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी से उभरने के लिए बहुत तेजी से आर्थिक गतिविधियों से जुड़ रहे हैं इन महिलाओं को मनरेगा कृषि विभाग उद्यानिकी, बैंक व शासन की अन्य योजनाओं का भी कन्वर्जेंस दिया जा रहा है। ताकि वे आमदनी के प्रक्षेत्र में अपनी क्षमता और उपलब्ध अवसरों का लाभ लेते हुए आगे बढ़ सकें।

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