खुशियों की दास्तां
पोषण वाटिका बनेंगी मनरेगा से
गलियों में गड्ढों में जमा अनुपयोग निस्तारी पानी का समुचित निष्पादन, गंदगी, मच्छरों से मुक्त होंगे ग्राम एमएमआर, आईएमआर, एनीमिया कंट्रोल के लिए जिपं सीईओ डॉ. गढ़पाले की अभिनव पहल
सागर-
मनरेगा के अंतर्गत हितग्राही मूलक कामों में पोषण वाटिका का निर्माण जोड़कर सागर जिले में एक नई शुरूआत हो रही है। गांव में घर के पास खुले स्थानों पर जिसे आम ग्रामीण भाषा में वाड़ी कहते हैं। उसमें आजीविका पोषण वाटिका का निर्माण मनरेगा के अंतर्गत प्रारंभ किया जावेगा। इस वाटिका में 6 मीटर व्यास के एक बडे़ गोले के केन्द्र को निस्तार करने के लिए उपयोग किया जावेगा और निस्तार के बाद उपयोग हुआ पानी पोषण वाटिका में लगी सब्जियों और फलदार पौधों के काम आयेगा। इससे उपयोग के बाद जो निस्तारी जल गलियों में या गड्ढों में इकट्ठा हो जाता है और बाद में गंदगी और मच्छरों का आश्रय स्थल बनता है। उससे अब गांव मुक्त हो सकेंगे पोषण वाटिका के इस गोले को बराबर-बराबर 7 भागों में बांट दिया जावेगा जिसमें प्रत्येक दिन के लिए एक नई सब्जी टमाटर, मैथी पालक, गोभी, बैगन, भिण्डी, शिमला मिर्च गाजर मूली, धनिया, लौकी करेला जैसी मौसमी सब्जियां लगाई जायेंगी। गोले के व्यास पर मुनगा जैसे पोषण से भरपूर पौधे उगाये जायेंगे।
डॉ. इच्छित गढ़पाले ने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत पोषण वाटिकाओं का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत उपयोगी साबित होगा। इससे आम ग्रामीण परिवारें को विशेषकर महिलाओं, धात्री माताओं, गर्भवती माताओं को ताजी विष मुक्त पत्ते दार सब्जियां खाने को मिलेंगी। इससे जिले के मातृ मृत्यु दर शिशु मृत्यु दर और एनीमिया में कमी आयेगी। आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुडे़ मनरेगा पात्र परिवारों को पोषण वाटिकाओं के निर्माण के लिए जोड़ा जा रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के अंतर्गत मजदूरी के नवीन अवसर सृजित होंगे और निस्तारी जल का सदपुयोग होना प्रारंभ हो जायेगा। पोषण वाटिकाओं में गोबर और गो-मूत्र से जैविक खाद तथा जैविक दवा बनाकर जहरीली सब्जियों से ग्रामीणों को बचाया जा सकेगा।