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दादी जी की समृति में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सेवाकेंद्र सागर में श्रद्धांजलि अर्पित की गई

दादी जी की समृति में सागर सेवाकेंद्र में श्रद्धांजलि अर्पित की गई. सागर(मप्र)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशशिका ...

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दादी जी की समृति में सागर सेवाकेंद्र में श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

सागर(मप्र)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी हृदयमोहिनी दादी जी के देहावसान बाद सागर सेवाकेंद्र पर दादी जी की समृति में श्रद्धांजलि अर्पित की गई, ब्रह्माकुमारी छाया दीदी जी ने बताया कि परमात्मा के अवतरण के निम्मित बनी दादी जी ने 50 वर्ष तक हम सभी को परमपिता की श्रेष्ठ शिक्षाओं से मार्गदर्शित किया। वरदानी बोल से हम सभी को भरपूर किया।उन्होंने बताया दादी जी कहते थे कि हमेशा खुशी में रहो।खुशी जैसी खुराक नही है।जब परमात्मा साथ है तो कोई भी कमी नही। हमारा तो संसार ही बाबा है जब वही संसार है तो सब पा लिया अब कुछ भी पाना बाकी न रहा परमात्मा कहते है कि बस मुझ पिता परमात्मा को याद करो। समय कम है इसलिए उस पिता को अपना सब कुछ बना लो और समय रहते अपना जीवन दैवीय बना लो।ऐसी श्रेष्ठ शिक्षायें देकर हम 50 हज़ार ब्रह्माकुमारी बहनो के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी। ऐसी प्यारी दादी जी जो आज भले हम सभी के बीच मे नही है परंतु उनकी शिक्षाएं हम सभी के साथ सदा है।
दादी हृदयमोहिनी जी सब के हृदय को मोहने वाली थी उनकी मधुर मुस्कान से सभी खुशी से भर जाते थे। दादी जी की विशेषता थी वो शांत, एकाग्र, गंभीर, रमणीक,और अंतर्मुखी थी अंतर्मुखी अर्थात परमात्मा की याद में सदा मगन रही।
योग से रोग पर विजय योगबल के आधार से उन्होंने कैंसर जैसी असाध्य बीमारी पर भी विजय प्राप्त की।योग के बल से उन्होंने विश्व कल्याण के वाइब्रेशन फैला कर संसार को शांति का सहयोग दिया।दादी जी निर्माणता की प्रतिमूर्ति थी।सदा संसार मे रहते सर्व से परे रहती थी। उन्हें बस एक ही लगन थी कि मुझे परमात्मा का संदेश जनजन तक पहुंचाना है। और यही दिव्य कार्य उन्होंने अंतिम समय तक किया।
डॉक्टरों का विशेष अनुभव
दादी जी पिछले 3 वर्षों से बॉम्बे में स्वास्थ्य लाभ ले रही थी। परन्तु हम डॉक्टर्स ने ये महसूस किया कि उनके होने से एक अलौकिक शक्ति की महसूसता होती थी। दादी जी को देखने के लिए जब भी उनके रूम में जाते तो दादी जी हमसे पूछते थे कि आपकी तबियत ठीक है ये सुन कर हमें आश्चर्य होता था कि जो खुद मरीज़ है वो हम डॉक्टर्स से पूछ रही है कि आप ठीक हो ?
दादी जी बड़े प्यार से हम सभी से मिलती थी और उनकी दृष्टि जैसे ही हम पर पड़ती थी तो हमे बहुत शांति और अपनापन मिलता था।
दादी जी के प्रति सभी बहनों ने अपनी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद सभी ने ब्रह्मा भोजन स्वीकार किया।

संपादक✍️-9302303212 (वट्सअप)

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