समाज के भीतर खत्म होती मानवता और बढ़ती पाश्विकता सरकारी इतजाम नतीजे सिफ़र

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गजेन्द्र ठाकुर ✍️
पिछले कुछ महिनों से मप्र के सागर जिले में जिस कदर नाबालिग बच्चियों/महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी के मामलें सामने आये हैं इस तरह की घटनाएं हमारे समाज के भीतर खत्म होती मानवता और बढ़ती पाश्विकता का परिचायक हैं हर दिन महिलाओं यहां तक कि नाबालिग बालिकाओं, बुजुर्ग महिलाओं के साथ भी घिनौनी हरकतों की खबरें मन को अंदर से विचलित कर देती हैं, लेकिन हम इन खबरों के इतने आदि हो गए हैं कि दो तीन दिन घटना पर लिखते हैं चर्चा करते हैं फिर आगे बढ़ जाया करते हैं और फिर वही हाल हो जाता है। ऐसा लगता हैं हर समय बच्चियां/महिलाएं डर के साय में जी रही हैं। मौजूदा कुछ इस तरह की घटनाएं यह साबित करती है कि हमारे समाज में कोई बदलाव नहीं आया न ही किसी के भीतर कानून का खौफ पैदा हुआ है।
एक तरफ हम रामराज्य लाने के दावे कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आए दिन महिलाओं बालिकाओं के साथ दरिंदगी की घटनाएं घट रही हैं यह समाज हम सबका समाज है और इसको सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी भी हम सबकी है, हमें एक बार फिर पुरज़ोर तरीक़े से महिला सुरक्षा के लिए आवाज उठाने की जरूरत है सरकार ने तो हर थानों में महिला डेस्क बना दी अलग बिल्डिंग भी तान दी पर वहां सायद ही क़भी कोई महिला अधिकारी मौजूद रहतीं हों खैर, में समाज से आह्वान करना चाहता हूँ इस विषय को लेकर किसी विभाग या सरकार से बाद में बात करेंगे बस इतना ध्यानाकर्षण जरूर करूँगा की शासन प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता कागजी घोड़ों से नतीज़े सिफर हैं ।

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