इंदौर के भागीरथपुरा में दूषित पानी से हड़कंप, 8 लोगों की मौत, 66 से अधिक अस्पतालों में भर्ती
इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में पहचाने जाने वाले इंदौर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी पीने से फैली बीमारी ने गंभीर रूप ले लिया है। इस घटना में अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 66 से अधिक मरीज अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे हैं। अचानक बढ़े उल्टी-दस्त और पेट दर्द के मामलों से क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
प्रशासन के अनुसार, प्रारंभिक जांच में तीन लोगों की मौत दूषित पानी से जुड़ी बीमारी के कारण हुई है, जबकि पांच अन्य की मृत्यु कार्डियक अटैक से होना बताया गया है। हालांकि, स्थानीय लोगों का दावा है कि सभी मौतें दूषित पानी पीने के बाद बीमार पड़ने से हुई हैं।
इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जांच के आदेश दिए हैं। देर रात कार्रवाई करते हुए जोनल अधिकारी शालिग्राम शितोले और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रभारी सहायक अभियंता योगेश जोशी को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा भी की है।
इस घटना को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर सरकार और भाजपा पर सवाल उठाए। उन्होंने इंदौर में दूषित पानी से लोगों की मौत को दुखद और चिंताजनक बताया। उनके बयान में यह भी कहा गया कि प्रशासनिक लापरवाही के चलते आम नागरिकों की जान जा रही है।
भागीरथपुरा क्षेत्र में जिन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, उनमें नंदलाल पाल, ताराबाई, उमा कोरी, गोमती रावत, सीमा प्रजापति, मंजूलता दिगंबर वाढे, उर्मिला यादव और संतोष बिचौलिया शामिल हैं। इसके अलावा 66 से ज्यादा लोग फिलहाल इंदौर के विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन हैं।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, इलाके में उल्टी-दस्त, पेट दर्द और कमजोरी की शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं। करीब दो हजार लोग इस समस्या से प्रभावित बताए जा रहे हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की 25 से 30 टीमें घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं। अब तक 1100 से अधिक घरों की जांच की जा चुकी है और लोगों को उबालकर पानी पीने की सलाह दी गई है।
पानी के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं, जिनकी रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर आने की संभावना जताई जा रही है। प्रशासन का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

