चांदामऊ अग्निकांड पर मानव अधिकार आयोग की सख्ती, जांच में खामियों की आशंका
सागर। नरयावली थाना क्षेत्र के ग्राम चांदामऊ में अनुसूचित जाति के एक परिवार के घर में हुई आगजनी की घटना को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है। इस हादसे में दो नाबालिग बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि एक युवती गंभीर रूप से झुलस गई थी। आयोग ने प्रारंभिक तौर पर इसे मानवाधिकारों से जुड़ा मामला मानते हुए सागर पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया है और दो सप्ताह के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
बुधवार शाम करीब 4 बजे मानव अधिकार आयोग की टीम चांदामऊ गांव पहुंची। टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पीड़ित परिवार के सदस्यों के साथ-साथ गांव के लोगों से अलग-अलग बातचीत कर घटना की जानकारी जुटाई। इस दौरान जरुआखेड़ा चौकी प्रभारी और नरयावली थाना प्रभारी से भी पूछताछ की गई।
निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों और पुलिस द्वारा दी गई जानकारी में अंतर सामने आया। ग्रामीणों ने टीम को बताया कि आग लगने के समय घर का दरवाजा बाहर से बंद था और घटना को वे सुनियोजित मानते हैं। वहीं, आग लगने के कारणों को लेकर भी आयोग की टीम ने सवाल उठाए। पुलिस द्वारा स्कूटी से आग फैलने की जो बात बताई गई, वह मौके की स्थिति से मेल नहीं खाती, ऐसा टीम ने अवलोकन में पाया।
मानव अधिकार आयोग ने आरोपी की पुलिस अभिरक्षा से जुड़ी जानकारी पर भी संदेह जताया है। आयोग की टीम ने स्पष्ट किया कि पूरे मामले में निष्पक्ष और गहन जांच जरूरी है। फिलहाल आयोग की ओर से पुलिस की विवेचना प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए गए हैं और अब सागर पुलिस को तय समयसीमा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

