विश्व COPD दिवस के अवसर पर भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा सीएचसी रहली में व्यापक जागरूकता कार्यक्रम का शानदार आयोजन
सागर। रहली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) रहली में आज बुधवार 19 नवंबर को विश्व सीओपीडी दिवस (World COPD Day)के अवसर पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सागर और स्वास्थ विभाग सागर के संयुक्त तत्वावधान से कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस वर्ष का थीम “शॉर्ट ऑफ ब्रेथ, थिंक सीओपीडी” (Short of Breath, Think COPD) है, जो सांस फूलने जैसे लक्षणों को गंभीरता से लेने और समय पर निदान की आवश्यकता पर जोर देता है। कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के बारे में जन-जागरूकता फैलाना, इसके कारणों, लक्षणों, जांच, प्रबंधन एवं रोकथाम पर प्रकाश डालना था।
कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ चिकित्सक डॉ जितेंद्र सराफ ने बताया के ग्रामीण भारत में प्रदूषण, धूम्रपान एवं बायोमास ईंधन के उपयोग से सीओपीडी रोग तेजी से फैल रहा है जो के फेपड़े को धीरे धीरे नष्ट करता चला जाता है ।
क्षेत्रिय संचालक स्वास्थ्य सागर डॉ नीना गिडियन ने महिलाओं में सीओपीडी की बीमारी पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत में महिलाओं में सीओपीडी का प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है, जहां चूल्हे के धुएं एवं बायोमास ईंधन के उपयोग से फेफड़ों को गंभीर क्षति पहुंचती है।उन्होंने बताया के धुआं-रहित चूल्हे, स्वच्छ ईंधन एवं नियमित जांच अपनाकर महिलाओं को स्वस्थ रख सकते हैं।
आईएमए सागर के अध्यक्ष एवं टी बी चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. तल्हा साद ने बताया की सीओपीडी के मुख्य लक्षणों में सांस फूलना, लगातार खांसी, बलगम आना, सीने में जकड़न एवं थकान शामिल हैं, जो धीरे-धीरे बिगड़ते जाते हैं। जांच के लिए स्पाइरोमेट्री सबसे महत्वपूर्ण है, जो फेफड़ों की क्षमता मापती है।सीओपीडी के इलाज में ब्रोंकोडाइलेटर दवाएं, इनहेलर, ऑक्सीजन थेरेपी एवं फेफड़ों की पुनर्वास शामिल हैं, जबकि रोकथाम के उपायों में धूम्रपान त्यागना, प्रदूषण से बचाव, टीकाकरण एवं स्वस्थ जीवनशैली अपनाना प्रमुख हैं।उन्होंने बताया के “यह कार्यक्रम न केवल जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने का माध्यम भी बना और भविष्य में ऐसे और अधिक शिविर सागर के अन्य दूरदराज़ जगह में भी आयोजित किए जाएँगे ।”
पूर्व सीएमएचओ डॉ आई एस ठाकुर ,जिला क्षय अधिकारी डॉ आरिफ कुवराशी,डॉ.बसंत नेमा ,डॉ. सुशीला यादव , डॉ संदीप असती , डॉ अनामिका , डॉ अरजरिया और बड़ी संख्या में मौजूद नर्सिंग स्टाफ , आशा वर्कर्स और आमजन की मौजूदगी ने सेशन को और प्रभावी बनाया।
