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भगवान बिरसा मुंडा ने न केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष किया, बल्कि समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों के खिलाफ भी अभियान चलाया- कुलपति

भगवान बिरसा मुंडा ने न केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष किया, बल्कि समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों के खिलाफ भी अभियान ...

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भगवान बिरसा मुंडा ने न केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष किया, बल्कि समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों के खिलाफ भी अभियान चलाया- कुलपति

सागर। डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में धरती आवा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का समापन वर्ष जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया गया. कार्यक्रम संयोजक प्रो. केशव टेकम ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि मानव विकास प्रकृति-पोषित होना चाहिए, न कि प्रकृति-शोषित। बिरसा मुंडा जी का आंदोलन ना केवल अग्रेजों के विरुद्ध था बल्कि साधनों के प्रतिकूल विदोहन के प्रति था, यह विद्रोह सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक परंपराओं के अस्तित्व को बनाये रखने का था, सामाजिक समरसता को के प्रचार प्रसार का था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वाय. एस. ठाकुर ने कहा कि कि भगवान बिरसा मुंडा महान क्रांतिकारी थे। उन्होंने न केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष किया, बल्कि समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों के खिलाफ भी अभियान चलाए। उन्होंने शराबबंदी के पक्ष में व्यापक आंदोलन का नेतृत्व किया। प्रो. ठाकुर ने छात्रों से आह्वान किया कि वे संकल्प लें कि मोबाइल फोन का उपयोग केवल आवश्यक परिस्थितियों में ही करेंगे। उन्होंने जनजातीय मंत्रालय एवं भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय लिया।

मुख्य अतिथि देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय के प्रो. सखाराम मुजाल्दे ने अपने उद्बोधन में कहा कि कि भगवान बिरसा मुंडा ऐसे एकमात्र शहीद हैं जिन्हें भगवान की उपाधि प्राप्त है। जिस आयु में सामान्यतः युवा स्वयं को स्थापित करने का प्रयास करते हैं, उसी आयु (केवल 25 वर्ष) में अपने संघर्ष और नेतृत्व से बिरसा मुंडा ने यह अलौकिक सम्मान प्राप्त कर लिया। उन्होंने उपस्थित छात्रों से अपील की कि वे 15 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का संबोधन अवश्य सुनें। मंच से ही उन्होंने माननीय कुलगुरु प्रो. वाई.एस. ठाकुर के समक्ष विश्वविद्यालय में जनजातीय अध्ययन केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव भी रखा।

विशिष्ट अतिथि प्रो. डी. के. नेमा ने कहा कि हमारा व्यवहार, उद्देश्य और उपलब्धियाँ ही हमारे व्यक्तित्व को निर्माण करती हैं, इसी कारण आज भगवान बिरसा मुंडा को भगवान के रूप में स्मरण किया जाता है। संकाय मामलों के निदेशक प्रो. अजीत जायसवाल ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का जीवन अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का प्रतीक है, और शिक्षा इस संघर्ष का सबसे सशक्त माध्यम है।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस.पी. उपाध्याय ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस हमें प्रेरणा देता है कि हम प्रकृति का संरक्षण और पोषण करें। उन्होंने विश्वविद्यालय में जनजातीय अध्ययन केंद्र की स्थापना की दिशा में प्रयास प्रारंभ करने की घोषणा की।
इस अवसर पर प्रो. उत्सव आनंद, डॉ. वीरेंद्र मटसेनिया, डॉ. राजीव खलको, डॉ. वीणा थावरे, डॉ. जयंती सिंह, डॉ. शासना योमसो, डॉ. क्रिस्टोफर गुंजन, डॉ. दिवाकर झा, डॉ. एकता श्रीवास्तव सहित विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक, छात्र-शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित रहे।

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