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सुप्रीम कोर्ट को मिलेगा नया मुखिया: जस्टिस सूर्यकांत बनेंगे देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश

सुप्रीम कोर्ट को मिलेगा नया मुखिया: जस्टिस सूर्यकांत बनेंगे देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश CJI बी.आर. गवई ने केंद्र को भेजी सिफारिश, ...

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सुप्रीम कोर्ट को मिलेगा नया मुखिया: जस्टिस सूर्यकांत बनेंगे देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश

CJI बी.आर. गवई ने केंद्र को भेजी सिफारिश, 24 नवंबर को लेंगे शपथ, 14 महीने रहेगा कार्यकाल

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नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय को जल्द नया नेतृत्व मिलने जा रहा है। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकुल गवई ने सोमवार को केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत को अगला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया नियुक्त करने की सिफारिश भेजी है। इस सिफारिश के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के 53वें मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है।

24 नवंबर को होगी शपथ, 23 नवंबर को समाप्त होगा मौजूदा कार्यकाल

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कानून मंत्रालय को भेजी गई सिफारिश के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर 2025 को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। वहीं, मौजूदा CJI जस्टिस बी.आर. गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को समाप्त हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में यह परंपरा रही है कि सेवानिवृत्ति से पहले मौजूदा मुख्य न्यायाधीश अपने उत्तराधिकारी का नाम केंद्र सरकार को औपचारिक रूप से सुझाते हैं, जिसके बाद नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जाती है।

14 महीने का कार्यकाल, 9 फरवरी 2027 तक रहेंगे पद पर

सिफारिश के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा। वे 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर बने रहेंगे।
संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष निर्धारित है, इसलिए वे उसी आयुसीमा तक न्यायिक दायित्व निभाएंगे।

जस्टिस सूर्यकांत: एक नजर कार्यकाल और पृष्ठभूमि पर

जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से एक हैं और अपने संतुलित व निष्पक्ष निर्णयों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने न्यायपालिका में लंबे समय तक विभिन्न पदों पर रहते हुए महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है। वे पहले हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय में न्यायाधीश और फिर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।

न्यायपालिका में निरंतरता और अनुभव की नई उम्मीद

जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति से न्यायपालिका में अनुभव, स्थिरता और निरंतरता को बल मिलेगा। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि उनका नेतृत्व न्यायिक सुधारों और पारदर्शिता को नई दिशा दे सकता है।

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