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वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में चीतों की बसाहट के लिए 4 करोड़ से बनेंगे क्वारेंटाइन बोमा, चीते आने की उम्मीद

वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में चीतों की बसाहट के लिए 4 करोड़ से बनेंगे क्वारेंटाइन बोमा, चीते आने की उम्मीद सागर। क्षेत्रफल ...

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वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में चीतों की बसाहट के लिए 4 करोड़ से बनेंगे क्वारेंटाइन बोमा, चीते आने की उम्मीद
सागर। क्षेत्रफल में प्रदेश के सबसे बड़े वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में चीतों की बसाहट के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने तैयारियों के लिए सेंट्रल कैपा फंड से बजट दे दिया है।
सागर और दमोह जिले में फैले टाइगर रिजर्व में 4 क्वारेंटाइन बोमा और 1 सॉफ्ट रिलीज बोमा तैयार किए जाएंगे। 15 साल पहले चीतों की बसाहट के लिए सर्वे हुआ था। उस समय नौरादेही अभयारण्य था। इसकी तीन रेंज मुहली, सिंहपुर और झापन को चीता की बसाहट के अनुकूल माना गया था। वन विभाग सूत्रों के मुताबिक सिंघपुर रेंज को क्वारंटीन बोमा साइट के रूप में चुना जा सकता है। यह देश का ऐसा पहला टाइगर रिजर्व होगा जहां बाघ, तेंदुए व चीते एक ही जगह देखे जाएंगे।
भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून की टीम ने चीते की बसाहट के लिए दो नए स्थान चिन्हित किए थे। उनमें गुजरात के बन्त्री ग्रासलैंड रिजर्व के अलावा सागर के इस टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया है। डब्ल्यूआईआई भारत के चीता प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी भी है। अगले वर्ष तक यहां चीते आने की उम्मीद है। ऐसा होता है तो वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व देश का पहला ऐसा वाइल्ड लाइफ एरिया होगा जहां बिग केट फैमिली के तीन सदस्य एक साथ होंगे। अभी रिजर्व में टाइगर और तेंदुए की बसाहट है। चीतों के आने से इस परिवार की तीन प्रजातियां हो जाएंगी।
डब्ल्यूआईआई ने देश में सबसे पहले सागर के इस टाइगर रिजर्व को चिह्नित किया था। वर्ष 2010 में यहां पहला सर्वे हुआ था। राष्ट्रीय बाध संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के डीआईजी डॉ. वीवी माथुर और डब्ल्यूआईआई के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी के साथ वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व की तीनों रेंज मुहली, झापन और सिंहपुर का दो दिन तक मैदानी मुआयना किया था।
राजस्थान या गुजरात नहीं, अब एमपी में ही बढ़ेगी चीता आबादी
एनटीसीए ने स्पष्ट किया है कि अगली बसाहट राजस्थान या गुजरात में नहीं होगी। चीतों की संख्या मध्यप्रदेश में ही बढ़ाई जाएगी। संभावना है कि अगले साल दक्षिण अफ्रीका से अगली खेप लाई जाए। अगर अफ्रीका से चीते नहीं आते, तो कूनो में जन्मे शावक, जो अगले साल तक एडल्ट हो जाएंगे, उन्हें नौरादेही शिफ्ट किया जाएगा। मंजूरी पहले से हैं, बजट अभी मिला है, पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) शुभ रंजन सेन ने बताया कि नौरादेही को शुरुआत से ही चीता आवास के रूप में चिह्नित किया गया था। जब कूनों में चीते लाए गए थे तभी सर्वे के आधार पर नौरादेही में शिफ्टिंग की मंजूरी लगभग मिल चुकी थी। जो बजट मिला है उससे 4 क्वारेंटाइन बोमा और 1 सॉफ्ट रिलीज बोमा के अलावा अन्य तैयारियां की जाएंगी।
घास मैदान, पर्याप्त आहार और बड़ा एरिया होने से संघर्ष का खतरा कम
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नौरादेही क्षेत्र में काफी पहले चीतों के प्राकृतिक वास के प्रमाण मिले हैं। यहां घास के खुले मैदान हैं। नौरादेही से गांवों के विस्थापन के साथ मैदान और फैल रहे हैं। यहां चीते लंबी दौड़ के साथ शिकार कर सकते हैं। टाइगर रिजर्व का कोर एरिया-1414 वर्ग किमी है। बफर एरिया- 925.120 वर्ग किमी का है। चीतों को रखने के लिए मैदान चिन्हित भी किए जा रहे हैं। यह क्षेत्रफल के लिहाज से प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है। टाइगर रिजर्व में चीतों को शिकार के लिए चिंकारा, चीतल व काले हिरण की पर्याप्त संख्या है। यही वजह है कि यहां बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। चीतों की यहां बाघ-बाधिन से टकराव जैसी स्थिति बनने की आशंका नहीं है। बाघ बड़े जानवरों का शिकार करता है, जबकि चीता छोटे शाकाहारी वन्य जीवों से पेट भरता है। देश के किसी भी टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ व चीते एक ही जगह पर देखने नहीं मिलते। वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में ऐसा होने जा रहा है।

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