करवा चौथ 2025: प्रेम, विश्वास और त्याग का पवित्र पर्व — पंडित श्री विकास शरण जी से जानें संपूर्ण व्रत कथा व विधि
करवा चौथ क्या है ?
करवा चौथ का व्रत हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मंगलमय जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएँ निर्जला उपवास रखती हैं यानी बिना अन्न और जल ग्रहण किए, पूरे दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं।
करवा चौथ व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहसी स्त्री वीरावती ने यह व्रत किया था। उसके भाइयों ने बहन की तकलीफ़ देखकर धोखे से दीपक को छलनी से दिखाकर कहा कि चाँद निकल आया है। वीरावती ने व्रत तोड़ दिया, जिससे उसके पति की मृत्यु हो गई।
वह माता पार्वती की आराधना में लीन हो गई और अपने सच्चे प्रेम व तपस्या के बल पर उसे पुनः अपने पति का जीवन मिला।
तब से यह व्रत पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए किया जाने लगा।
पूजा विधि
1. सुबह जल्दी स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
2. दिनभर निर्जला उपवास रखें।
3. शाम को सोलह श्रृंगार करें।
4. करवा चौथ की कथा सुनें।
5. चाँद निकलने पर छलनी से चाँद देखें, फिर अपने पति को देखें।
6. पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
वैज्ञानिक दृष्टि से
चाँद के दर्शन करने से मन की शांति, मानसिक स्थिरता और प्रेम में वृद्धि होती है। इस व्रत से स्त्रियों में आत्मसंयम, श्रद्धा और विश्वास की भावना विकसित होती है।
करवा चौथ का संदेश
यह व्रत केवल पति के लिए ही नहीं, बल्कि प्रेम, निष्ठा, त्याग और परिवार की एकता का प्रतीक है। यह भारतीय संस्कृति में स्त्री के अटूट प्रेम और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
“स्त्री की श्रद्धा और प्रेम से ही जीवन में मंगल होता है।
करवा चौथ का व्रत प्रेम, समर्पण और विश्वास का पर्व है।”
पंडित श्री विकास शरण जी महाराज
कथावाचक एवं ज्योतिष कुंडली विशेषज्ञ – 7067096579
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