डायल-112 की तैनाती पर विवाद, पायलटों ने लगाए मनमानी व पैसों की मांग के आरोप
सागर। जिले में हाल ही में शुरू हुई डायल-112 सेवा पहले ही दिन से विवादों में घिर गई है। 3 सितंबर को जिले के अलग-अलग थानों में 36 गाड़ियां तैनात की गई थीं, जिनमें पायलटों की नियुक्ति भी की गई। लेकिन, तीन दिन के भीतर ही पायलटों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी पोस्टिंग सूची में हेराफेरी की जा रही है और मनचाही लोकेशन देने के नाम पर पैसों की मांग की जा रही है।
शुक्रवार को कई पायलट सागर एसपी कार्यालय पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। उनका कहना है कि भोपाल से जारी फाइनल लिस्ट को सागर आकर बदला गया और जिन लोगों ने पैसे नहीं दिए, उनकी पोस्टिंग दूरस्थ इलाकों में कर दी गई।
ग्राम गिरवर निवासी राजेश उपाध्याय ने बताया कि उनका चयन डायल-112 में सागर जिले के पायलट पद पर हुआ था। 3 सितंबर को उन्हें एचआर भोपाल से फाइनल लिस्ट में मोतीनगर थाना क्षेत्र की एफआरवी-08 में पदस्थ किया गया था। उन्होंने वाहन के साथ थाने में आमद भी दर्ज करा दी थी। लेकिन अगले ही दिन उनकी पोस्टिंग बदलकर बीना कर दी गई। राजेश का आरोप है कि बसंत मोनू तिवारी नामक व्यक्ति ने उनसे 15 हजार रुपए की मांग की थी और कहा था कि यह राशि सागर के डीएस को दी जानी है, तभी उन्हें नजदीकी लोकेशन पर रखा जाएगा। पैसे न देने पर उनकी पोस्टिंग बदल दी गई।
इसी तरह, पायलट वीरेंद्र लोधी निवासी बंडा ने कहा कि पहले उन्हें बंडा में रखा गया था लेकिन अब पोस्टिंग बदलकर बीना कर दी गई है, जो उनके घर से 130 किमी दूर है। वीरेंद्र ने भी आरोप लगाया कि उनसे 30 हजार रुपए की मांग की गई थी।
वहीं, पायलट रजत दुबे निवासी सुरखी ने बताया कि उनकी पोस्टिंग नरयावली की एफआरवी में कर दी गई है, जबकि उनसे 40 हजार रुपए की मांग की गई थी।
पायलटों ने यह भी आरोप लगाया है कि जो लोग पैसे दे रहे हैं, उन्हें मनचाही पोस्टिंग दी जा रही है, जबकि पैसे न देने वालों को दूर-दराज के क्षेत्रों में भेजा जा रहा है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस सेवा को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेशभर में आम जनता की सुरक्षा और त्वरित मदद के लिए शुरू किया था, वह सागर में भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोपों में कैसे उलझ गई?