नई तकनीक से सशक्त होगा किसान सशक्त होगा देश सागर सांसद डॉ. लता वानखेड़े
वैदिक वाटिका मकरोनिया में कृषि एवं उद्यान विभाग की कार्यशाला में किसानों को तकनीकी नवाचार से अवगत कराया गया
सागर। देश की प्रगति का आधार किसान जितना मजबूत होगा, उतना ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण संभव होगा। यही कारण है कि भारत सरकार और राज्य सरकारें किसानों को आधुनिक तकनीकों से जोड़कर कृषि को लाभकारी बनाने के लिए सतत प्रयासरत हैं।
इसी कड़ी में रविवार को सागर के मकरोनिया स्थित वैदिक वाटिका में कृषि एवं उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों और जनप्रतिनिधियों के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के सरपंचों को आमंत्रित किया गया, ताकि वे नई तकनीकों को समझकर अपने गांवों के किसानों तक पहुंचा सकें।
कार्यक्रम में सांसद डॉ. लता गुड्डू वानखेड़े ने अपने उद्बोधन में कहा कि “देश जितना तकनीकी रूप से सशक्त होगा, उतना ही हमारा किसान मजबूत होगा। अभी भी प्रदेश के कई ग्रामीण अंचलों में किसान पारंपरिक पद्धतियों पर निर्भर हैं। उन्हें नई तकनीकों से अवगत कराना समय की आवश्यकता है, ताकि वे उत्पादन और आमदनी दोनों में वृद्धि कर सकें। डॉ. वानखेड़े ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी लगातार किसानों की आय दोगुनी करने और उन्हें सम्मान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने किसान सम्मान निधि जैसी अनेक योजनाएं चलाई हैं जिससे किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है। साथ ही राज्य सरकार के नेतृत्व में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी भी किसानों को नवाचार की ओर ले जाने के लिए नई पहल कर रहे हैं। सांसद डॉ वानखेड़े ने कहा कि सरपंच गांव की प्रशासनिक इकाई के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिनिधि होते हैं, इसलिए कार्यशाला में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है ताकि जनप्रतिनिधि तकनीक की जानकारी समझकर किसानों तक बेहतर तरीके से पहुंचा सके। इससे न केवल किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के बीच की दूरी घटेगी, बल्कि गांवों में नवाचार को भी गति मिलेगी।
कार्यशाला के दौरान किसानों को आधुनिक तकनीक, फसल चक्र, जैविक खेती, उर्वरक विकल्प और शासन की योजनाओं की जानकारी दी गई।
कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने बताए उन्नत खेती के उपाय
कार्यक्रम में कृषि विभाग के उप संचालक श्री त्रिपाठी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान अगर फसल चक्र को अपनाएं और रासायनिक खादों की बजाय जैविक उर्वरकों की ओर बढ़ें, तो वे उत्पादन के साथ-साथ अपनी मिट्टी को भी संरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि नरवाई जलाना कृषि भूमि के लिए बेहद नुकसानदायक है। इससे मिट्टी के सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और भूमि धीरे-धीरे बंजर होने लगती है उन्होंने यह भी बताया कि किसान जब भी कृषि उपकरण या सामग्री खरीदें, तो उसका बिल जरूर लें। इससे उन्हें शासन के निर्धारित नियमों के अनुसार अनुदान प्राप्त हो सकता है।
कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिक श्री आशीष त्रिपाठी ने कहा कि किसान डीएपी जैसे रासायनिक उर्वरकों की जगह वैकल्पिक जैविक उपायों को अपनाएं। उन्होंने ‘जीवाअमृत’ खाद का घोल बनाकर छिड़काव करने और गोबर की खाद के प्रयोग को अत्यंत लाभकारी बताया।
सागर विश्वविद्यालय से आये डॉ. कृष्ण राव ने कृषि का देश की अर्थव्यवस्था में योगदान बताते हुए कहा कि अधिक रसायनों के उपयोग से जहां एक ओर भूमि की उर्वरता घटती है, वहीं लागत भी बढ़ती है। जैविक खेती का विकल्प स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर है और यह दीर्घकालीन लाभ देती है।
कार्यशाला में किसानों द्वारा अपने कृषि उत्पादों से बनाई गई सामग्रियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। सांसद डॉ. लता गुड्डू वानखेड़े ने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए किसानों की रचनात्मकता और नवाचार की सराहना की। उन्होंने कहा कि “कृषि अब सिर्फ अन्न उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक उद्यम का रूप ले चुकी है। किसानों को चाहिए कि वे मूल्यवर्धन की दिशा में आगे बढ़ें।
कार्यशाला को किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र सिंह ठाकुर, उन्नतशील किसान आकाश चौरसिया सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए और किसानों को परंपरागत से हटकर आधुनिक पद्धति से कृषि करने का सुझाव दिया।
इस मौके पर पूर्व जिला अध्यक्ष हरिराम सिंह ठाकुर, उमेश सिंह केवलारी, अशोक भलारे, रामकुमार यादव, अनिल राय, अश्वनी सहित ग्राम पंचायतों के सरपंच और किसान उपस्थित थे।