सागर। श्री रावतपुरा सरकार आश्रम वेदांती परिसर सागर में सात दिवसीय श्री सद्गुरु प्राकट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के चौथे दिन का शुभ आरम्भ अनुष्ठानों एवं वैदिक मंत्रों की अनुगूंज के साथ प्रारम्भ हुआ।
श्री गौरी गणेश पूजन, अन्नपूर्णा अभिषेक, श्री लक्ष्मीनारायण यज्ञ के साथ महारुद्राभिषेक एवं विभिन्न अनुष्ठानों के साथ प्रारम्भ हुई श्रृंखला देर रात तक जारी रही। प्रातः कालीन एवं सायंकालीन प्रार्थना सभा में गुरु पादुका पूजन, गुरु वंदना के साथ विभिन्न पाठ सम्पन्न हुए।
श्री रावतपुरा सरकार का आशीर्वाद लेने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु वेदांती परिसर पहुँच रहे हैं, केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने आश्रम पहुंचकर महाराज श्री से भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया।
वहीं श्रीमदभागवत कथा में श्री श्याम बिहारी जी महाराज ने भक्तों से कहा कि जब ईश्वर कृपा करते हैं तो जीव भवसागर से पार हो जाता है, भगवान का चिंतन, मनन माया से मुक्त करता है। सतसंग करने वाला व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होकर पूरे संसार को प्रकाश देता है।
महोत्सव में प्रतिदिन बुंदेली संस्कृति की झलक धार्मिक, सांस्कृतिक आयोजन से लेकर भंडारे में भोजन प्रसादी तक अनेक रूपों में दृष्टिगोचर हो रही है। विश्वविद्यालय के कलाकारों द्वारा पहले दिन बधाई गीतों की श्रृंखला कविसम्मेलन से होते हुए संतोष पांडे अशोक पांडे के बधाई एवं राई नृत्य एवं सागर की आस्था गुप्ता की भरतनाट्यम् की प्रस्तुति तक जारी रही। बुंदेलखंड की प्रसिद्ध गायिका कविता शर्मा 03 जुलाई को अपने भक्ति गीतों की सुंदर प्रस्तुतियाँ देंगी। भंडारे की भोजन प्रसादी में भी बुंदेली संस्कृति की सुंदर झलक देखने को मिली जहां कढ़ी, बरा, बिजौरे, कचरियां, मक्के की रोटी भक्तों को बड़े स्नेह के साथ परोसी जा रही है। यह उत्सव बुंदेली संस्कृति के सोपान के रुप में उभर रहा है जहां देश के विभिन्न हिस्सों से पूज्य महाराज श्री के दर्शन को आने वाले श्रद्धालु बुंदेली संस्कृति से परिचित भी हो रहे है और उससे जुड़ने का एक माध्यम भी प्राप्त कर रहे हैं।
प्रार्थना सभा के माध्यम से पूज्य महाराज श्री रावतपुरा सरकार ने संदेश देते हुए कहा समय का प्रबंधन जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है, जो इसे कर लेता है उसके जीवन में संतुलन आ जाता है, अनुशासन आ जाता है, आत्मबल और स्वयं के प्रति विश्वास का भाव पैदा होता है और यही व्यक्ति को महान बनाता है। नए विचार असीमित सम्भावनाओं से भरे होते हैं इन्ही में से नई कोंपलें निकलती है जो सम्पूर्ण जीवन रूपी वृक्ष को नया आकार प्रदान करती हैं। इसलिए सदैव नवाचार का स्वागत करें, रूढ़ियों को त्यागे और वर्तमान के अनुरूप स्वयं में परिवर्तन लाने का प्रयास करें, आपका कल्याण होगा।