Wednesday, December 10, 2025

नेशनल हाईवे 44 पर स्थित मां हिंगलाज देवी मंदिर: आस्था और रहस्य का संगम

Published on

spot_img

नेशनल हाईवे 44 पर स्थित मां हिंगलाज देवी मंदिर: आस्था और रहस्य का संगम

नेशनल हाईवे फोरलेन 44 पर बांदरी के निकट स्थित मेहर में धसान-कढ़ान नदी के पावन तट पर अति प्राचीन मां हिंगलाज देवी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए गहरी आस्था का केंद्र है। वैसे तो यहां पूरे साल भक्त दर्शनार्थ आते हैं, लेकिन नवरात्र के दौरान मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दौरान, दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए यहां आते हैं।

मंदिर से जुड़ीं अनोखी मान्यताएं

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर अत्यंत पवित्र और रहस्यमयी है। कहा जाता है कि मंदिर के पास एक गुफा है जिसका गुप्त मार्ग गढ़पहरा स्थित अनगढ़ देवी तक जाता है।

एक किवदंति के अनुसार, अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां आए थे और इस मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। इस मंदिर में मां हिंगलाज देवी के अलावा भगवान शिव, बारह ज्योर्तिलिंग, काल भैरव, रामदरबार और एक प्राचीन शिवलिंग भी स्थित है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं पांडवों ने की थी।

विशेष मान्यता यह भी है कि बरसात के दिनों में एक सुराग से स्वयं धसान-कढ़ान नदी गुप्तेश्वर महादेव का अभिषेक करने आती है। यह रहस्य आज भी भक्तों के लिए एक चमत्कार की तरह है।

मंदिर परिसर की विशेषताएँ

मंदिर ट्रस्ट द्वारा परिसर में बारह ज्योर्तिलिंग की भी स्थापना की गई है, जिनके दर्शन मात्र से भक्त धन्य हो जाते हैं। करीब 400 साल पुराने इस मंदिर परिसर में विशाल पीपल, बरगद और बेलपत्र के वृक्ष लगे हुए हैं, जो आध्यात्मिक वातावरण को और अधिक पवित्र बनाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं।

भक्तों की श्रद्धा और नवरात्र का विशेष महत्व

मां हिंगलाज देवी के दरबार में भक्त अपनी मनोकामना पूरी कराने के लिए लाल कपड़े में नारियल बांधकर रखते हैं। इसके अलावा, कष्टों से मुक्ति पाने के लिए मां को नींबू की माला पहनाने की परंपरा भी है। नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन मंदिर के पुजारी द्वारा मां हिंगलाज देवी का नयनाभिराम श्रृंगार किया जाता है।

महिलाएं यहां आकर सुहाग की वस्तुएं दान करती हैं और अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की चहल-पहल बढ़ जाती है। यहां आने के बाद श्रद्धालुओं को असीम शांति मिलती है और उनके कष्ट सहज ही दूर हो जाते हैं।

मंदिर के विकास की कहानी

एक समय था जब मंदिर के पास लोग जाने से डरते थे क्योंकि वहां के नदी तट पर जंगली जानवर पानी पीने आते थे। लेकिन समय के साथ मेहर की आबादी बढ़ी और लोग यहां पूजा-अर्चना के लिए आने लगे। साधु-संतों ने यहां रहना शुरू किया, जिससे यह स्थान एक धार्मिक केंद्र बन गया। वर्तमान में, मंदिर परिसर में कई साधु-संतों की समाधियां भी स्थित हैं।

मां हिंगलाज देवी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह इतिहास, आस्था और रहस्य का संगम भी है। यहां आकर भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए अनमोल धरोहर है और आने वाले समय में इसकी महिमा और भी बढ़ेगी।

 

Latest articles

TI आत्महत्या मामलें की आरोपी आशी राजा जेल से बाहर, 9 माह बाद मिली जमानत

छतरपुर। बहुचर्चित सिटी कोतवाली थाना प्रभारी टीआई अरविंद कुजूर आत्महत्या प्रकरण में लंबे समय...

करके इशारों बुलाई गई रे…. गीत पर भक्ति रस में डूबी महिलाओं ने किया नृत्य

करके इशारों बुलाई गई रे.... गीत पर भक्ति रस में डूबी महिलाओं ने किया...

राष्ट्रीय अधिवक्ता दिवस पर सागर में अधिवक्ता लॉ डायरी का विमोचन हुआ

राष्ट्रीय अधिवक्ता दिवस पर सागर में अधिवक्ता लॉ डायरी का विमोचन हुआ सागर। राष्ट्रीय अधिवक्ता...

More like this

TI आत्महत्या मामलें की आरोपी आशी राजा जेल से बाहर, 9 माह बाद मिली जमानत

छतरपुर। बहुचर्चित सिटी कोतवाली थाना प्रभारी टीआई अरविंद कुजूर आत्महत्या प्रकरण में लंबे समय...

करके इशारों बुलाई गई रे…. गीत पर भक्ति रस में डूबी महिलाओं ने किया नृत्य

करके इशारों बुलाई गई रे.... गीत पर भक्ति रस में डूबी महिलाओं ने किया...