विद्यालय के नाम पर अवैध रूप से मदरसा चलने पर कार्यवाई की माँग, पूर्व में बाल आयोग ने लिया था संज्ञान
सागर। मौलाना आजाद मदरसा परसोरिया को शाला की मान्यता (आरईटी) के तहत मिली हैं, इसे शासन की रीति नीति के अनुरूप चलना सरकारी कर्मचारी का कर्तव्य होता है, परंतु कुछ अधिकारी/कर्मचारी सरकार में रहकर सरकार को ही दीमक की तरह लगे हुए हैं जिसमें शिक्षा विभाग के कुछ लोग भी पीछे नहीं है।
वर्तमान हुकूमत मदरसो के अवैध संचालन को लेकर संज़ीदा हैं और ऐसे मामलों को कढ़ाई के साथ रोक लगा रहा है परंतु यहां कुछ अधिकारियों ने अपनी करगुजारियों के चलते अवैध मदरसे संचालित करवा रहे हैं, उन में से सागर विकासखंड के परसोरिया में एक मस्जिद नुमा बिल्डिंग में कक्षा एक से आठ तक के तहत मान्यता दी गई और मान्यता देने वालो से ही सांठ घांठ करके उसमें मदरसा छात्रावास और अन्य अवैधानिक गतिविधियां संचालित की जाने लगी अधिकारियों ने उनके अवलोकन निरीक्षण आदि करके उनकी रिपोर्ट ओके करके शासन को पहुंचाते रहें।
मध्य प्रदेश में जहां शासन ने अवैध मदरसा गतिविधियों का संचालन में रोक लगा रखी है वही सागर जिले में कुछ अधिकारियों की मिली भगत से यह सब संभव हो रहा है ऐसी संस्थान जहां पर एक से आठ तक कक्षाएं संचालित होनी थी वहां इन लोगों ने मदरसा ,हॉस्टल ,विश्वविद्यालय धार्मिक संस्थान एवं अनेक आवैधानिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया यहां पर छोटे बच्चों से लेकर बड़ी उम्र तक के लड़के रह रहे हैं, कुछ बहुत ही छोटे बच्चे पाए गए हैं यहां कुछ अलग ही ट्रेनिंग दी जा रही थी मान्यता देने वाले जो लगातार स्कूल का निरीक्षण करते हैं वहां उन्होंने कुछ भी गलत क्रियाकलाप नहीं देखी बीते दिनों मध्य प्रदेश के बाल कल्याण आयोग ने संज्ञान लेकर यहां का दौरा किया था जिसपर उक्त सारे तय मापदंड के विरुद्ध कार्य देखकर उन्होंने कलेक्टर से जांच हेतु पत्राचार दिया था।
उक्त कार्यवाई के उपरांत यह सब अधिकारी सक्रिय हुए गजब बात यह है कि जो जाँच इनको हटाकर की जानी थी तो वही अधिकारी जांच में शामिल हो गए और जांच को इन्हीं अधिकारियों ने लीपापोती कर के रख दिया ।
भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने ज्ञापन में उल्लेख किया हैं कि उक्त मौलाना आजाद मदरसा की मान्यता शासन के नियम के विरुद्ध है परंतु आज दिनांक तक कार्रवाई कुछ नही हुई कटघरे में मौजूद अधिकारी को ही जांच दे दी गई यानी मामला रफा-दफा हो गया मान्यता देने की जिम्मेदारी किसकी है मान्यता देने के उपरांत संस्था की मानिटरिंग की जिम्मेदारी किसकी है यह जिम्मेदारी और यह गलती किसकी है और जांच किसकी होनी चाहिए यह सब कुछ सूक्ष्मता से देखा नहीं गया और जिनकी यह जिम्मेदारी थी जांच भी उन्हीं को दे दी गई।
वास्तविकता में होना यह था कि जो आरटीई के कर्ताधर्ता है उन्हें हटाकर और अन्य अधिकारियों से जांच कराई जानी थी।