लोक अदालतें प्रकरणों के निराकरण का सबसे सुलभ व सस्ता माध्यम
50 खण्डपीठों द्वारा 3042 प्रकरण निराकृत किए गए जिसमें राशि रूपये 14,78,11,708/- (चौदह करोड़ अठहत्तर लाख ग्यारह हजार सात सौ आठ रूपये) का अवार्ड पारित किया गया
सागर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली व मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के दिशा-निर्देशानुसार दिनाँक 14/09/2024 (शनिवार) को नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय, सागर एवं समस्त तहसील न्यायालयों में किया गया।
जिला मुख्यालय, सागर में उक्त नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष महोदय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सागर श्री महेश कुमार शर्मा के द्वारा किया गया जिसमें विशेष न्यायाधीश व को-आर्डिनेटर नेशनल लोक अदालत श्री प्रदीप सोनी, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्री दिनेश सिंह राणा, कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, श्री अतुल कुमार खण्डेलवाल, उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष श्री राजेश कोष्टा, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ श्री जितेन्द्र सिंह राजपूत एवं म.प्र. राज्य अधिवक्ता परिषद् जबलपुर के सदस्यगण श्री राजेश पाण्डे व श्रीमती रश्मिऋतु जैन सहित समस्त न्यायाधीशगण, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री योगेश बंसल, जिला वन मण्डल अधिकारी श्री महेन्द्र प्रताप सिंह, जिला अधिवक्ता संघ के सचिव श्री कुवंर वीरेन्द्र प्रताप सिंह व कार्यकारिणी के सदस्यों सहित अधिवक्तागण, न्यायालयीन कर्मचारीगण व बैंक, विद्युत, बी.एस.एन.एल., बीमा कंपनियों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।
उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुये प्रधान जिला न्यायाधीश महोदय श्री शर्मा द्वारा अपने उद्बोधन में आमजन को संदेश दिया कि समय-समय पर आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पक्षकारगण द्वारा अपना मामला निराकृत करवाये जाने पर उनके समय व धन की बजत होती है। इस अवसर पर सचिव श्री राणा द्वारा नेशनल लोक अदालत में गठित खण्डपीठों की जानकारी वर्णित करते हुये रूपरेखा इत्यादि की जानकारी दी।
दिनांक 14.09.2024 को आयोजित नेशनल लोक अदालत हेतु संपूर्ण जिले मंे कुल 50 खण्डपीठों का गठन किया गया, जिसमें न्यायालय में लंबित प्रकरणों में से 1398 प्रकरण एवं प्री-लिटिगेशन के 1644 प्रकरणों का निराकरण राजीनामा के आधार पर किया गया, जिसमें मोटर दुर्घटना के 87 प्रकरणों का निराकरण कर क्षतिपूर्ति राशि रूपये 1,30,11,500/- के अवार्ड पारित किए गए, चैक बाउंस के 319 प्रकरणों के निराकरण में कुल राशि रूपये 8,10,93,514/- का समझौता अवार्ड किया गया। आपराधिक प्रकृति के शमन योग्य 533 प्रकरण, विद्युत के 158 प्रकरण, पारिवारिक विवाद के 86 प्रकरण तथा दीवानी एवं अन्य प्रकृति के 43 प्रकरणों का निराकरण किया गया। विभिन्न बैंकों के 107 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, विद्युत विभाग के 470 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, नगर निगम के 220 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, ई ट्रेफिक चालान के 709 प्रीलिटिगेशन संबंधी प्रकरण एवं अन्य प्रकृति के प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण भी इस अवसर पर हुआ जिसमें राशि रूपये 2,69,01,225/- का राजस्व प्राप्त हुआ।
सफलता की कहानी
01. न्यायालय श्री राहुल सोनी, न्यायिक मजिस्ट्रेट, सागर के न्यायालय में लंबित प्रकरण में आवेदिका का विवाह अनावेदक के साथ दिनांक 17.06.2019 को संपन्न हुआ था। आवेदिका के यहॉं दो पुत्री होने से दूसरी पुत्री के जन्म के समय के बाद से अनावेदक, आवेदिका के साथ नहीं रह रहा था, जिससे उभयपक्ष दिनांक 25.11.2020 से पृथक-पृथक रह रहे थे जिसके चलते दोनों के मध्य घरेलू हिंसा एवं भरण-पोषण के प्रकरण पंजीबद्ध होकर लंबित थे उक्त प्रकरण में माननीय न्यायालय द्वारा उभयपक्ष को समझाईश दी गई और पृथक-पृथक उभय पक्षों के तथ्यों को सुना, उसके बाद उभय पक्ष के मध्य राजीनामा होकर साथ-साथ रहने को तैयार हो गये।
02. न्यायालय श्री आशीष शर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट, सागर के न्यायालय में लंबित प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदिका की शादी दिनांक 29.01.2016 को हुई थी अनावेदक प्राईवेट कंपनी में कार्यरत होकर विदेश चला गया था। विदेश से वापिस आने के पश्चात अनावेदक ने आवेदिका से दूरी बना ली थी और फिर कर्नाटक नौकरी करने चला गया था उभयपक्ष के मध्य भरण-पोषण व विवाह विच्छेद संबंधी प्रकरण पूर्व से चले थे। वर्ष 2018 से पृथक-पृथक रह रहे थे। माननीय न्यायालय द्वारा उभयपक्ष को समझाईश दी गई और पृथक-पृथक उभय पक्षों के तथ्यों को सुना, उसके बाद उभय पक्ष के मध्य सुलहवार्ता कराई गई जिसके फलस्वरूप उभयपक्षों के मध्य राजीनामा होकर साथ-साथ रहने को तैयार हो गये।
03. माननीय न्यायालय सुश्री रीना शर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट, सागर के न्यायालय में लंबित प्रकरण में आवेदिका एवं अनावेदिका की शादी दिनांक 18.04.2012 को हुई थी उभयपक्ष के मध्य घरेलू हिंसा एवं 498ए भा.द.वि. के प्रकरण चल रहे थे। आवेदिका ने 2016 में एक लड़की को जन्म दिया था तथा दूसरे बच्चे का जन्म होना था तब गर्भावस्थता के 05 माह के समय में चिकित्सकीय जॉच रिपोर्ट आने पर उभयपक्ष के मध्य वाद-विवाद होने लगे और अनावेदक ने आवेदिका को साथ रखने से इंकार कर दिया तथा मारपीट की आवेदिका ने माननीय न्यायालय के समक्ष घरेलू हिंसा एवं भरण-पोषण की कार्यवाही की प्रकरण के चलते अनावेदक आवेदिका को साथ रखने के लिये तैयार हो गया। माननीय न्यायालय द्वारा उभयपक्ष को समझाईश दी गई ओर पृथक-पृथक उभय पक्षों के तथ्यों को सुनने के उपरांत उभय पक्ष के मध्य सुलहवार्ता कराई गई जिसके चलते उभयपक्षों के मध्य राजीनामा होकर साथ-साथ रहने को तैयार हो गये।
04. माननीय न्यायालय श्रीमती पूजा अहिरवार, व्यवहार न्यायाधीश, सागर के न्यायालय में लंबित प्रकरण में वादी के पिता 04 भाई थे जिनमें हिन्दु परिवार की अविभाजित संपत्ति सागर शहर एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों में स्थित थी वादी ने अपने पारिवारिक सदस्यों के विरूद्ध संपत्ति के बॅटवारा संबंधी एक वाद वर्ष 2022 में प्रस्तुत किया जिसमें परिवार के अन्य तीन भाईयों के बारसान कुल 11 प्रतिवादीगण थे वादीगण एवं प्रतिवादीगण के मध्य माननीय न्यायालय की उपस्थिति में सुलहवार्ता कराये जाने पर वादी एवं प्रतिवादीगण ने आपसी बॅंटवारा नामा कर संतुष्टि पूर्ण कार्यवाही कर राजीनामा कर प्रकरण का निराकरण कराया।