झूठ बोलने की अपेक्षा, न का सत्य बोलना श्रेष्ठ है : श्री सुधासागर जी महाराज 

झूठ बोलने की अपेक्षा, न का सत्य बोलना श्रेष्ठ है : श्री सुधासागर जी महाराज

सागर।शक्ति की अपेक्षा हम स्वतंत्र रह सकते हैं, व्यक्ति की अपेक्षा कोई व्यक्ति स्वतंत्र नहीं हो सकता, हम मात्र अहंकार कर सकते हैं। व्यवहार सत्य स्वरूपी होता है और निश्चय उस शक्ति को बताता है, शक्ति में कभी आनंद नही है, शक्ति में एक अहंकार आता है। जब जब किसी को शक्ति का भान होता है, उसका अहंकार बढ़ जाता है क्योंकि निश्चयनय हमें अपनी औकात से ऊपर उठाता है। अभी जमीन पर चलने की ताकत नहीं है और आकाश में उड़ना सिखाता है।

तीन व्यक्तियों को कभी शक्ति का ज्ञान नहीं होना चाहिए, एक असमर्थ व्यक्ति को, एक उन्मत्त व्यक्ति को और एक उस व्यक्ति को जो व्यक्ति पागल है। पागल का अर्थ है असंयमी क्योंकि वह अभी जमीन पर नहीं चल पा रहा है और उसे आकाश में उड़ने का ज्ञान मत होने देना अन्यथा वह कंही हाथ पैर और तोड़ बैठेगा। तुम कितने अमीर हो, कितने शक्तिमान हो कभी अपने बच्चे को ज्ञान मत होने देना, सबसे ज्यादा छल कपट करो अपने बच्चे के साथ। सरकार को बताना पड़े तो बता देना, चोर डाकू घुसे तो उसे भी बता देना लेकिन कभी बेटे को अपनी अमीरी मत बताना।

गुरु से और माँ-बाप से कभी अपनी अमीरी छुपाना मत। जो कुछ है गुरु के सामने खुला दर्पण रखना और तुम लोग आजकल सबसे ज्यादा गुरु के सामने झूठ बोलने लगे हो वो भी सबसे ज्यादा त्याग व दान के सम्बंध में। न कहने की आदत डालो झूठ बोलने की अपेक्षा- आज मेरी श्रद्धा नहीं है, मेरे दान के भाव नहीं हो रहे हैं। न कहने में कोई पाप नहीं है, सात पीढ़ियों तक का इंतजाम है, बस महाराज जी मेरी दान के भाव नहीं हो रहे हैं। मेरे में शक्ति है, खूब त्याग कर सकता हूँ लेकिन मेरे त्याग के भाव नहीं हो रहे हैं।

झूठ बोलने की अपेक्षा, न का सत्य बोलना श्रेष्ठ है। अब आपका कल्याण हो सकता है, आप पर उपदेश का प्रभाव पड़ सकता है, आप कल सुधर जाओगे, बहुत जल्दी आपके भाव होंगे क्योंकि आपने अपनी शक्ति को छुपाया नहीं, कहा- मात्र भाव ही नही हो रहे। जो शगुन है मंगल है इनके सामने गरीब मत बनना, भिखारी मत बनना।

वह संस्था सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है जिस संस्था के पदाधिकारियों का सबसे पहले पैसा पूरा जमा होता है फिर वो दूसरे के यहाँ मांगने जाते है। नैनागिर जी में आचार्य श्री से अलग विहार होते समय मैंने कहा था कि आचार्य श्री जी ये दुनिया ऐसी है, कैसे रहेंगे इन के बीच और आप तो आशीर्वाद देते हो तो सब सफल हो जाते है, हम लोगो के आशीर्वाद कभी सफल होंगे या नही, आचार्य श्री ने सफलता का सूत्र दिया- ‘अपना निजी स्वार्थ मत रखना, पर का कभी अहित मत करना, जाओ सफलता तुम्हारे आगे आगे दौड़ेंगी’। गुरु का वाक्य ही मंत्र है।
यह प्रवचन शुभम जैन सागर ने दिए
आज भोपाल में हम सभी सागर में होने वाले श्रावक संस्कार शिविर जो संत शिरोमणि आचार्य भगवान 108 विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य नवाचर्य 108श्री समय सागर जी महाराज के आशीर्वाद से जगत पूज्य मुनि 108 श्री सुधा सागर जी महाराज के आशीर्वाद से लगाया जा रहा है उसका आमंत्रण पत्रिका लेकर भाई विनीत मोदी कमल जैन सागर गुड्स करियर अजय लंबरदार एवं विद्या सुधामृत समिति के सदस्य भाई सुरेंद्र सत्तू कर्रापुर ऋषभ बांदरी सुरेंद्र डबडेरा राजेश एडिना राजकुमार जी मिनी साहिल डबडेरा कपिल लंबरदार अंकित नेता विशाल नरयावली पराग स्टूडेंट, नीरज , प्रशांत गोपालगंज, शुभम जैन गुल्ली ,मिक़की विनीत गैस एजेंसी सभी के नेतृत्व में एक टीम श्री मुख्यमंत्री निवास पर मोहन यादव जी को श्री उपमुख्यमंत्री शुक्ला जी सम्मानित केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को सम्माननीय है मंत्री नगरी आवास प्रशासन माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी को सम्माननीय कृषि मंत्री कसाना जी को आमंत्रित करने आई जिसमें सभी ने विश्वास दिलाया है कि जैसे ही समय मिलेगा मुनि श्री के चरणों में आशीर्वाद लेने अवश्य पहुंचेंगे।

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