MP: विश्वविद्यालय में प्यून 1500 रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

 विश्वविद्यालय में प्यून 1500 रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

जबलपुर, मध्य प्रदेश  रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में तैनात एक प्यून को गुरुवार को लोकायुक्त की टीम ने 1500 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। आरोपी प्यून, जिसका नाम राजेंद्र कुशवाहा है, परीक्षा विभाग में पदस्थ और कर्मचारी संघ का उपाध्यक्ष भी है। उसे एक छात्रा की डिग्री निकलवाने के एवज में रिश्वत मांगते हुए पकड़ा गया।

रिश्वत की मांग और गिरफ्तारी:

शिकायतकर्ता यश सिंह ने बताया कि उसकी बहन तनुजा सिंह, जिसने 2017 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से संबद्ध केसरवानी कॉलेज से बीकॉम किया था, अपनी डिग्री के लिए एक सप्ताह से लगातार विश्वविद्यालय के चक्कर काट रही थी। डिग्री पाने के लिए सिर्फ डेढ़ सौ से दो सौ रुपए का खर्च आता है, लेकिन राजेंद्र कुशवाहा ने 2,000 रुपए की मांग की थी। अंततः सौदा 1,500 रुपए में तय हुआ। इस बारे में यश सिंह ने जबलपुर लोकायुक्त एसपी से शिकायत की, जिसके बाद लोकायुक्त की टीम ने कार्रवाई की।

गुरुवार की दोपहर, लोकायुक्त की टीम ने पहले शिकायत का सत्यापन किया और रंग लगे हुए 1,500 रुपए राजेंद्र को दिए। जैसे ही यश ने उसे रुपए दिए, आरोपी ने उसे गार्डन में आने के लिए कहा। वहां जैसे ही राजेंद्र ने पैसे लिए, उसे लोकायुक्त की टीम ने गिरफ्तार कर लिया।

यूनिवर्सिटी में हड़कंप:

राजेंद्र कुशवाहा की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया। लोकायुक्त की टीम ने आरोपी को सर्किट हाउस ले जाकर आगे की कार्रवाई की।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का बयान:

इस घटना पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के प्रदेश मंत्री माखन शर्मा ने लोकायुक्त की कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने कहा कि परिषद ने पहले भी इस प्रकार की घटनाओं की शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से की थी, लेकिन उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया था। हाल ही में अभाविप के प्रतिनिधि मंडल ने उच्च शिक्षा मंत्री इन्द्र सिंह परमार को ज्ञापन सौंपकर विश्वविद्यालय में हो रही दलाली की घटनाओं के बारे में अवगत करवाया था।

लोकायुक्त की कार्रवाई:

लोकायुक्त डीएसपी नीतू त्रिपाठी ने बताया कि राजेंद्र कुशवाहा, जो परीक्षा विभाग में पदस्थ है, को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। आगे की जांच की जा रही है और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना ने विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के मुद्दे को एक बार फिर से उजागर कर दिया है और प्रशासन के लिए एक कड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

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