विदवास में धूमधाम से मनाया गया भगवान चंद्रप्रभु और पार्श्वनाथ का जन्म तप कल्याण
सुरखी–/सुरखी क्षेत्र के ग्राम विदवास में जिनेन्द्र देव चंद्रप्रभु और पारसनाथ का जन्म और तप कल्याणक मनाया गया जिसमें बृषभरथ पर विराजमान भगवान की शोभायात्रा पूरे गांव में निकाली गई जिसमें आचार्य श्री विद्यासागर जी के शिष्य मुनि श्री सुमति सागर का पावन सानिध्य मिला शोभायात्रा में बृषभरथ हाथी घोडे बैंड बाजे अखाडे भी चल रहे थे छोटे छोटे बच्चे भी पूरे रास्ते डांडिया नृत्य करते रहे जो आकर्षण का प्रमुख केन्द्र रहे इस महोत्सव का यह लगातार नवमां बर्ष है इसमे खास बात यह है कि इसमें सभी समाजों का बराबर सहयोग मिलता है
दीवाली जैंसा माहौल आता है नजर
यहां कौमी एकता की निशानी भी उस जगह नजर आती है जब तीन दिन चलने वाले महोत्सव में पूरे गांव में दरवाजों पर हर घर में रंगोली सजाई जाती है और पूरा गांव अपने अपने घर के सामने भगवान की आरती उतारते हैं इस आयोजन में दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं और अनेकों जगह के सेवादल मंडल अपनी सेवायें देते हैं
अतिशय क्षेत्र है इस छोटे से गांव में
सुरखी से 4 किलीमीटर दूर बसे इस विदवास गांव में भगवान चंद्रप्रभु का एक अतिशयकारी मंदिर भी है जहां दूर दूर से दर्शन पूजा पाठ और विधान करने श्रद्धालू आते हैं और इस मंदिर के दर्शनकर अपनी मनोकामनायें मांगते हैं जो हमेशा पूरीं होतीं हैं
इस आयोजन में पहुंचकर सागर विधायक शैलेन्द्र जैन भी भक्ति में ऐंसें लीन हो गये जिन्होनें सेवादल के बैंड बाजे पकडकर बीच सडक पर ही सभी के साथ बजाने लगे
आयोजक शिक्षक विमल जैन को मानतें हैं पूरे क्षेत्रवासी सँत
इस आयोजन सूत्रधार हैं शिक्षक विमल जैन जो लगभग 4 दशक पहले इस गांव की शासकीय स्कूल स्कूल में पदस्थ होकर आये थे जिनकी कार्यशैली सरल स्वभाव और साधु संत जैसी देखकर फिर गांव वालों ने उनकों इस गांव से कहीं जाने नहीं दिया वो गृहस्थ जीवन में जरुर रहे लेकिन जीवन भर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुये कभी शादी नहीं की और अपनी जीवन भर की कमाई छात्र छात्राओं धार्मिक आयोजनों और मंदिर के लिये खर्च करते रहें वे बचपन से ही प्रतिदिन स्वयं हाथ की चक्की से आटा पीसकर भोजन बनाते हैं और सांसारिक वस्तुओं सुख साधन से हमेशा दूर रहे हैं और सेवा निर्वत्र होने के बाद आज भी छात्र छात्राओं का पूर्व की भांति ख्याल रखते हैं और आज भी पूरे क्षेत्र के चहेते हैं
सुरखी क्षेत्र के ग्राम विदवास में जिनेन्द्र देव चंद्रप्रभु और पारसनाथ का जन्म और तप कल्याणक मनाया गया जिसमें बृषभरथ पर विराजमान भगवान की शोभायात्रा पूरे गांव में निकाली गई जिसमें आचार्य श्री विद्यासागर जी के शिष्य मुनि श्री सुमति सागर का पावन सानिध्य मिला शोभायात्रा में बृषभरथ हाथी घोडे बैंड बाजे अखाडे भी चल रहे थे छोटे छोटे बच्चे भी पूरे रास्ते डांडिया नृत्य करते रहे जो आकर्षण का प्रमुख केन्द्र रहे इस महोत्सव का यह लगातार नवमां बर्ष है इसमे खास बात यह है कि इसमें सभी समाजों का बराबर सहयोग मिलता है
दीवाली जैंसा माहौल आता है नजर
यहां कौमी एकता की निशानी भी उस जगह नजर आती है जब तीन दिन चलने वाले महोत्सव में पूरे गांव में दरवाजों पर हर घर में रंगोली सजाई जाती है और पूरा गांव अपने अपने घर के सामने भगवान की आरती उतारते हैं इस आयोजन में दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं और अनेकों जगह के सेवादल मंडल अपनी सेवायें देते हैं
अतिशय क्षेत्र है इस छोटे से गांव में
सुरखी से 4 किलीमीटर दूर बसे इस विदवास गांव में भगवान चंद्रप्रभु का एक अतिशयकारी मंदिर भी है जहां दूर दूर से दर्शन पूजा पाठ और विधान करने श्रद्धालू आते हैं और इस मंदिर के दर्शनकर अपनी मनोकामनायें मांगते हैं जो हमेशा पूरीं होतीं हैं
इस आयोजन में पहुंचकर सागर विधायक शैलेन्द्र जैन भी भक्ति में ऐंसें लीन हो गये जिन्होनें सेवादल के बैंड बाजे पकडकर बीच सडक पर ही सभी के साथ बजाने लगे
आयोजक शिक्षक विमल जैन को मानतें हैं पूरे क्षेत्रवासी सँत
इस आयोजन सूत्रधार हैं शिक्षक विमल जैन जो लगभग 4 दशक पहले इस गांव की शासकीय स्कूल स्कूल में पदस्थ होकर आये थे जिनकी कार्यशैली सरल स्वभाव और साधु संत जैसी देखकर फिर गांव वालों ने उनकों इस गांव से कहीं जाने नहीं दिया वो गृहस्थ जीवन में जरुर रहे लेकिन जीवन भर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुये कभी शादी नहीं की और अपनी जीवन भर की कमाई छात्र छात्राओं धार्मिक आयोजनों और मंदिर के लिये खर्च करते रहें वे बचपन से ही प्रतिदिन स्वयं हाथ की चक्की से आटा पीसकर भोजन बनाते हैं और सांसारिक वस्तुओं सुख साधन से हमेशा दूर रहे हैं और सेवा निर्वत्र होने के बाद आज भी छात्र छात्राओं का पूर्व की भांति ख्याल रखते हैं और आज भी पूरे क्षेत्र के चहेते हैं
गजेंद्र सिंह की रिपोर्ट-9302303212