वैराग्य के बिना भक्ति नहीं होती :- डाॅ. राजेन्द्रदास महाराज भागवत सम्राट बालाजी मंदिर परिसर में सद्गुरू कृपा महोत्सव भागवत कथा एवं संत समागम के पांचवे दिन वही भक्तिरस की गंगा
सागर–/बालाजी मंदिर परिसर में चल रही भागवत कथा के आज पांचवे दिन सोमवार को जगतगुरू मलूक पीठाधीश्वर देवाचार्य भागतवत कथा सम्राट डाॅ. श्री राजेन्द्रदास महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा के साथ ही भगवा के सभी अवतारों का वर्णन कर अन्य प्रसंगो का बर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान के भजन में सबसे बड़ी बाधा वैराग्य का अभाव है जब संसार और शरीर के प्रति राग हो तो उनको ही बटोरने में जीवन नष्ट हो जाता है ऐसे ही असंख्य जीव नष्ट हो गये। वैराग्यवान महापुरूषो के सत्संग से वैराग्य बड़ता है वैराग्यवान को भी अपने वैराग्य से संतुष्ट नहीं होना चाहिये। सदा ही अपने को अपूर्ण और कम ही अनुभव करें। अन्यथा वैराग्य का ही अहंकार उत्पन्न हो जाता है प्रकृति में अन्य जीव भी वैरागियों जैसा ही जीवन व्यतीत करते है इसलिये इसमें अहंकार जैसी कोई बात नहीं ज्ञान और वैराग्य से मुक्त भक्ति ही कल्याणकारी होती है भक्ति का सबसे सुलभ और आसान मार्ग कथा श्रवण है स्वामी जी ने कहा कि कथा श्रवण ही विषय विदुषित मन को पवित्र करता है इसलिये इसमें भगवान की भक्तिरस पियें हमारे इतने छोटे-छोटे कान श्रवण का रस यदि उसे मिल गया है तो जीवन भर सुनों तो भी हमारे कान नहीं भरेंगे। वहीं इससे बड़ा पात्र कोई नहीं। भगवान ने एक ऐसे पात्र बनाये है कि ये पात्र कभी नहीं भरते इन कानो से अंतःकरण शुद्ध कर लेते है उन्होंने कहा कि भागवत चरित्र सत्संग ही सर्वोपरि है इस कलयुग ने कुसंग को ही सत्संग में परोसने का काम कर दिया। इसलिये सत्संग को संभलना पड़ेगा। सत्संग का मतलब है भगवत रामचरित मानस और ग्रंथ ही सत्संग है हिन्दु वैदिक पद्धति संसार की पद्धति बने युगो-युगो से वैदिक ग्रंथो की रक्षा व्यास पीठ से होती आयी है। उन्होंने व्यास पीठ की मर्यादा पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि सनातन धर्म की वृद्धि की साधन व्यास पीठ होती है आज हम व्यास पीठ की मर्यादा को ही नहीं बचा पा रहे है कलयुग ने कुसंग को ही सत्संग के रूप में परोसना शुरू कर दिया उन्होंने कहा इंद्रियों पर नियंत्रण करने की वजह हमें अंतःकरण पर ध्यान देना चाहिये यदि हृदय में ठाकुर जी को विराजमान कर लें तो इंद्रियों पर नियंत्रण की आवश्यकता ही नहीं होगी। क्यों कि जहां इंद्रियो में विकृति उत्पन्न होती है वहां दवा पहुंचना चाहिये। अन्यथा मन संसार में लगा रहेगा। और हम इंद्रियों पर अत्याचार करते रहेंगे। भागवत सम्राट राजेन्द्रदास महाराज जी ने आज भगवान के विभिन्न अवतारों की विस्तार से चर्चा की भगवान ने वामन अवतार लेकर बलि की तीन पग में पूरी पृथ्वी नाप ली। आज भी बटुक वामन के रूप में भगवान धनमंत्री मनु के रूप में अवतरण लिया। जब क्ष्त्रिय पृथ्वी पर वेद और ब्राह्ण के विरोधी हो गये थे तो भगवान ने परसुराम का अवतार लेकर 21 बार क्षत्रिय को नष्ट किया। अब बात ये होती है कि क्षत्रिय का विनाश क्षत्रिय का विनाश नहीं क्षत्रिय के रूप में जो राक्षस आ गये थे उनका विनाश किया सच्चा ठाकुर (क्षत्रिय) वहीं है जो गाय और ब्राह्ण की रक्षा करे जैसे रावण ब्राह्ण था पर अभीमानी था गलत किया तो भगवान राम ने रावण का नाश किया इसी प्रकार जो क्षत्रिय धर्मप्रेमी सत्संगी थे उनका राक्षसो से भय मुक्त भी भगवान परसुराम ने कराया। अंत में भगवान कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई कृष्ण जन्म कथा में सभी स्त्रोता आनंद में झूम उठे कथा स्थल पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का दृश्य संजीव हो उठा।
स्वच्छता का महत्व बताया:-
भागवत सम्राट स्वामी राजेन्द्रदास जी ने आज कथा के आरंभ में स्वच्छता का महत्व बताते हुये कहा कि प्रदूषण बहुत बड़ रहा है इसके लिये आप प्रकृति से जुड़कर प्रदूषण कारित चीजें कम उपयोग में लाकर प्रदूषण मुक्त अभियान को गति देकर देश के प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान में शामिल होकर उसमें सहयोग करते हुये गंदगी नहीं फैलाने के लिये संकल्पबद्ध होना चाहिये। उन्होंने कहा कि उत्सवों में पटाखे फोड़ने की परंपरा भी बंद करनी चाहिये। हमें प्रदूषण कम करने के उपाय करने होंगे व्यास पीठ से इस बात का संदेश पर्यावरण एवं स्वच्छता का ध्यान रखते हुये दिया।
भागवत कथा के पांचवे दिन भागवत कथा की अध्यक्षता श्री किशोरदास देव जू महाराज ने की भागवत कथा के पांचवे दिन आज अनेक संतो का आगमन हुआ जिसमें प्रमुख रूप से श्री ब्रज किशोरदास जी महाराज प्रयागराज, श्री कृष्णचंद ठाकुर जी महाराज अंतराष्ट्रीय कथावाचक, श्री गोविंददास जी महाराज चित्रकूट, श्री राधारमणदास जी महाराज जी राजघाट, श्री दीनबंधुदास जी महाराज, श्री गंगादास जी, श्री राम अनुग्रहदास जी, श्री धनंजयदास जी, श्री जगन्नाथदास जी, रामचन्द्रदास जी, श्री अर्जुनदास जी, श्री राघवेन्द्रदास जी, श्री सीतारामदास जी श्री रसराज जी महाराज सहित बड़ी संख्या में संत उपस्थित रहे भागवत कथा में आज सागर जिले के प्रभारी मंत्री ब्रजेन्द्र सिंह राठौर एवं सागर विधायक श्री शैलेन्द्र जैन सहपत्नि श्रीमति अनु जैन ने भागवत कथा में पहुंचकर भागवत कथा का श्रवणपान कर भागवत कथा सम्राट डाॅ. राजेन्द्रदास महाराज जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। भागवत कथा के पांचवे दिन हजारों की संख्या में धर्मप्रेमी बंधु, साधू संत के साथ ही श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के पदाधिकारियों ने भागवत कथा का श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
ऽ भागवत सम्राट राजेन्द्रदास महाराज जी ने भगवान के सभी अवतारों का आज वर्णन किया जिस पर समस्त धर्मप्रेमी बंधुओ ने आनंद के साथ भावविभोर होकर भजन के साथ सत्संग का लाभ लिया।
ऽ भागवत कथा के पांचवे दिन भी हजारों की संख्या में श्रृद्धालुओं ने पहुंचकर भागवत कथा का श्रवणपान किया।
ऽ भागवत कथा स्थल पर गिरिराज जी की परिक्रमा सहित वृन्दावन की कई कलाकृतियों को उकेरा गया है। जिसका भी धर्मप्रेमी बंधु दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे है।
ऽ भागवत कथा स्थल पर श्रीमद् सद्गुरू कृपामहोत्सव कमेटी का प्रबंधन कथा स्थल पर देखने लायक है समस्त पदाधिकारी भाव के साथ लगकर अपनी-अपनी व्यवस्थाओं का सुचारू रूप से संचालन कर रहे है। जिससे सागर में राष्ट्रीय स्तर के धार्मिक आयोजन को सफल आयोजन का क्रियान्वयन हो रहा है।
ऽ भागवत कथा को सुनने के लिये बाहर से भी धर्मप्रेमी बंधुओ का बड़ी संख्या में आगमन हो रहा है। जो भागवत कथा श्रवणपान कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे है।
ऽ कमेटी द्वारा कथा स्थल पर निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन किया गया है। जिसका सभी धर्मप्रेमी बंधु लाभ लेकर निःशुल्क उपचार कर रहे है।
ऽ कमेटी द्वारा समस्त धर्मप्रेमी बंधुओ के लिये सतत भंडारा चलाया जा रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी बंधु पहुंचकर भंडारे की प्रसादी ग्रहण कर रहे है। भंडारे का सुचारू संचालन मां शीतला देवी सेवा समिति के अध्यक्ष संजय कटारे एवं उनकी टीम द्वारा भंडारे का सफल संचालन कराया जा रहा है।
गजेंद्र सिंह की रिपोर्ट