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| खबर का असर

इस्तीफे के लिए अनशन करेंगी डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे,समर्थकों के साथ, प्रदर्शन किया

बैतूल। इस्तीफा नामंजूर होने से नाराज डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने सड़कों पर उतरने की चेतावनी दे दी है। निशा ने सोमवार को सैकड़ों लोगों के साथ पहुंचकर अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें संदेश दे दे की जिस तरह एक दिन में उन्होंने मेरी अनुमति रोकी थी। वैसे एक दिन में मेरा इस्तीफा स्वीकार करें। अन्यथा हम गुरुवार 28 सितंबर से सड़कों पर उतरेंगे और अनशन पर बैठेंगे। एक अनुसूचित जाति की महिला के साथ जिला प्रशासन, मध्य प्रदेश शासन अन्याय कर हाई कोर्ट को गुमराह कर रही है तो हम न्याय मांगने कहां जाए। आज मजबूरी में सड़को पर उतरना पड़ रहा है।

निशा बांगरे ने कहा कि अगर तीन दिन में उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया तो वे अनशन शुरू कर देगी। इससे पहले एलबीएस स्टेडियम से रैली की शक्ल में प्रदर्शन करते कलेक्ट्रेट पहुंची निशा बागरे ने कलेक्ट्रेट में अपने समर्थकों के साथ धरना दिया। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप कर उनका त्यागपत्र स्वीकार करने की मांग की है।

बेक डेट का नोटिस देकर कार्रवाई कर रहा प्रशासन

तीन महीने से मध्यप्रदेश शासन का सामान्य प्रशासन विभाग भेदभावपूर्ण कार्रवाई मेरे त्याग-पत्र देने के बाद बेक डेट का नोटिस निकालकर कार्रवाई कर रहा है। जिससे मैं मानसिक और आर्थिक दोनों तरीके से अत्यंत परेशान हूं।

मैंने अपने घर के ‘उद्घाटन ‘ में सर्वधर्म प्रार्थना रखी थी जिसमें भगवान बुद्ध की अस्थियों को दर्शनार्थ रखा गया था जिसके दर्शन करना मेरा धार्मिक मौलिक अधिकार है परंतु सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आचरण नियम का हवाला देकर मुझे अपने ही घर में अपनी धार्मिक भावना के अनुरूप सर्वधर्म प्रार्थना करने तथा भगवान बुद्ध की पवित्र अस्थियों के दर्शन करने से रोकने के लिए पत्र जारी किया गया।

कलेक्टर पर गलत रिपोर्ट देने का आरोप निशा ने कहा कि बैतूल कलेक्टर अमनबीर सिह बैंस की गलत रिपोर्टिंग के कारण सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 22 जून 2023 का ही कारण बताओ नोटिस जारी कर (जो पत्र मुझे 04 जुलाई 2023 द्वारा व्हाट्सएप से प्राप्त हुआ) बेक डेट में पत्र जारी कर मुझे मानसिक प्रताड़ना दी गई। जबकि मैंने 22 जून को इस्तीफा दे दिया था।

गंभीर कदाचरण की श्रेणी में लाकर त्याग-पत्र, दीर्घ शास्ति आरोपित कर, अमान्य करें, दिया गया। संपूर्ण कार्रवाई पक्षपातपूर्ण की जा रही है। शासकीय सेवा करना या ना करना, ये किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत निर्णय है। मुझे बंधुआ मजदूर की तरह रखना स्वतंत्र भारत के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाता है। मैं अनुसूचित जाति की महिला हूं। बहुत संघर्ष करके मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की और अधिकारी बन पाई लेकिन एक महिला होने के नाते मुझे मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है।

चुनाव लड़ना चाहती हैं निशा बता दें कि निशा बांगरे चुनाव लड़ना चाहती हैं, इसलिए वे अपने पद से मुक्त होना चाहती हैं। निशा ने आगे कहा कि जनप्रतिनिधि बनने हेतु मेरा त्याग-पत्र स्वीकार किया जाए। सिर्फ एक महिला वो भी अनुसूचित जाति की होने के कारण मुझे मेरे स्वतंत्रताओं के अधिकार से वंचित ना रखा जाए। अन्यथा मजबूरी में मुझे पुन: जिस तरह गांधी जी ने देश को अंग्रेजों से मुक्त करने हेतु सत्याग्रह और आमरण अनशन किए थे। उसी तरह मैं भी अगर अपने अधिकारों को प्राप्त न कर सकी, महिलाओं और अनुसूचित जाति जनजाती स्वं संपूर्ण पिछड़ो एवं वंचित वर्गों के साथ सत्याग्रह करने को विवश हो जाऊंगी।