कोर्ट में गवाही दे रहे युवक को अचानक आया हार्ट अटैक,कोर्ट मुंशी ने दिया CPR

भोपाल : 12वें सत्र न्यायाधीश संतोष कुमार कौल की अदालत में शुक्रवार दोपहर उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब गवाही दे रहा युवक अचानक कटे पेड़ की तरह कठघरे में ही गिर गया। ड्यूटी पर मौजूद कोर्ट मुंशी भूपेंद्र सिंह ने माजरा भांप लिया। बिना समय गंवाए उन्होंने युवक को समतल स्थान पर लिटाया और मुंह से सांस देना शुरू की। साथ ही उसके सीने को भी लगातार पंप किया। भूपेंद्र दो मिनट से अधिक समय तक यह प्रक्रिया दोहराते रहे और देखते ही देखते युवक की चेतना लौट आई। इससे आसपास खड़े लोगों ने भी राहत की सांस ली।

ऐशबाग के पुष्पा नगर में रहने वाले 24 वर्षीय सुभाष गुप्ता का एक मामला अदातल में चल रहा है। शुक्रवार को फरियादी सुभाष और उसकी मां एवं दोस्त इंद्रेश लोधी गवाही देने कोर्ट पहुंचे थे। दोपहर डेढ़ बजे सुभाष गवाही देने कठघरे में खड़ा हुआ था। पास ही उसकी मां, दोस्त इंद्रेश के अलावा सरकारी वकील अनिल शुक्ला और आरोपितों की तरफ से भी चार अधिवक्ता मौजूद थे। करीब 10 मिनट की गवाही देने के बाद आरोपितों के वकीलों ने सुभाष से सवाल पूछना शुरू किए थे, तभी सुभाष बेसुध होकर कठघरे में गिर पड़ा। कोई समझ नहीं पा रहा था क्या करना है, उधर सुभाष बेसुध ही था।

 

घटना होते ही लोगों ने 108 एंबुलेंस को फोन किया। इस बीच कोर्ट मुंशी आरक्षक भूपेंद्र गुर्जर ने भांप लिया कि सुभाष को हार्ट अटैक आया है। उन्होंने कठघरे से सुभाष को उठाकर समतल स्थान पर लिटाया और सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में चमत्कार हुआ और सुभाष ने आंखें खोल दी। इस बीच 108 एंबुलेंस से डाक्टर भी पहुंच गए। उन्होंने भूपेंद्र सिंह की पीठ ठोकते हुए कहा कि यदि सीपीआर देने में दो मिनट की भी देरी हो जाती तो सुभाष की जान बचना मुश्किल थी। सुभाष को उपचार के लिए जेपी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत में सुधार हुआ।

सरकारी वकील अनिल शुक्ला ने बताया कि सुभाष के बेसुध होते ही उसकी मां बदहवास हो गई थी। वह चीख-पुकार मचाने लगी, लेकिन मुंशी भूपेंद्र ने किसी कमांडो की तरफ फुर्ती से सुभाष को कठघरे से उठाया और अपने आपरेशन को पूरी शिद्दत के साथ अंजाम देकर ही दम लिया।

हमीदिया अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. राजीव गुप्ता बताते हैं कि यह विशेष परिस्थितियों की मेडिकल तकनीक है जिसके जरिए किसी व्यक्ति की सांस या दिल की धड़कन रुक जाने पर उसकी जान बचाई जा सकती है। जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे कार्डिएक अरेस्ट होता है। कार्डिएक अरेस्ट के दौरान हृदय मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में खून पंप नहीं कर सकता है। उपचार के बिना मृत्यु मिनटों में हो सकती है। सीपीआर (कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन) में मरीज की छाती पर दबाव बनाया जाता है, जिससे ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।

हृदय रोग विशेषज्ञ डा राजीव गुप्ता बताते हैं, अस्पताल के बाहर कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित लगभग 10 में से नौ लोगों की मृत्यु हो जाती है। सीपीआर के जरिए इस समस्या को कम किया जा सकता है। यदि कार्डियक अरेस्ट के शुरुआती कुछ मिनटों में मरीज को सीपीआर दिया जाए, तो मरीज के जीवित रहने की संभावना दोगुना या तीन गुना हो सकती है।

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