भर्ती घोटाला मामले में GRMC के 3 वैज्ञानिकों को नोटिस

ग्वालियर : गजराराजा मेडिकल कालेज में फर्जी दस्तावेज के आधार पर विज्ञानी की नौकरी पाने वाले डाक्टरों को नोटिस जारी किए गए है। यह नोटिस जीआरएमसी के डीन डा़ अक्षय निगम ने संभागयुक्त द्वारा कराई गई जांच के आधार पर दिए हैं। नोटिस का जवाब 30 दिन में इन विज्ञानियों को देना है। यदि नोटिस का जवाब संतुष्टीपूर्वक नहीं हुआ तो विज्ञानियों की बर्खास्तगी तय है। इन विज्ञानियों ने नकली दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाई इसलिए पुलिस में एफआइआर भी दर्ज कराई जा सकती है।

 

गौरतलब है कि प्रदेश के प्रतिष्ठित गजराराजा मेडिकल कालेज में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तीन विज्ञानियों की भर्ती हुई थी। इस मामले में संभागायुक्त दीपक सिंह को शिकायत मिली थी, जिस पर जांच में दस्तावेज फर्जी होने का पर्दाफाश हुआ। जिसके बाद आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट मेडिकल कालेज के डीन को भेजी गई। जिसके आधार पर डीन ने बीते रोज नोटिस जारी कर दिए। संभागायुक्त ने कराई थी जांच: संभागायुक्त दीपक सिंह ने प्राप्त शिकायत की जांच कराई तो कड़ियां खुल गईं। अनुभव प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेज फर्जी पाए गए और उच्च शिक्षा विभाग से भी इसकी पुष्टि हुई। इसमें जीआरएमसी के पैथोलाजी विभाग के डा़ अमित निरंजन की पत्नी शुभ्रा सिंह को विज्ञानी ग्रुप बी, फिजियोलाजी विभाग में पदस्थ डा विकास जैन की पत्नी ज्योति को विज्ञानी ग्रुप सी और फार्माेकालाजी विभाग के डा़ एके जैन की भतीजी मीनू जैन हैं।

स्क्रूटनिंग कमेटी पर भी उठे सवाल

दो साल पहले जीआरएमसी ने माइक्रोबायोलाजी विभाग में ग्रुप बी, सी तथा डी के विज्ञानियों के एक-एक पद के लिए विज्ञापन के जरिए भर्ती निकाली थीं। इसमें जिन तीन विज्ञानियों के दस्तावेज फर्जी निकले हैं । इनके साथ कई आवेदकों ने आवेदन दिए थे। आवेदकों के दस्तावेजों की जांच के लिए डा केपी रंजन की अध्यक्षता में स्क्रूटनिंग कमेटी बनाई गई, जिसमें डा मनोज बंसल, डा गजेंद्र पाल आदि सदस्य थे। चयन समिति में तत्कालीन डीन डा़ समीर गुप्ता, जेएएच अधीक्षक डा़ आरकेएस धाकड़, डा़ राजकुमार,डा अनिल शामिल थे। इन्होंने शुभ्रा सिंह, ज्योति जैन और मीनू के नाम फायनल कर दिए। इसमें यह भी बताया गया है कि पहले ही स्क्रूटनिंग और चयन समिति वर्तमान तीन विज्ञानियों के नाम तय कर चुकी थी और प्रक्रिया महज एक दिखावा जैसी थी। इस मामले में जेयू के पूर्व कार्यपरिषद सदस्य मुनेंद्र सोलंकी ने पिछले साल शिकायत की थी जिसके बाद जांच शुरू हुई।

 

यह अनुभव प्रमाण-पत्र फर्जी

पीजीडीसीए का सर्टिफिकेट लगाया गया जब जांच हुई तो पता चला कि एथिक्स ग्रुप जिसने यह जारी किया उसे पात्रता ही नहीं थीं। इसी तरह नर्सिंग कालेज में गेस्ट फैकल्टी और कम्प्यूटर डिप्लोमा के प्रमाण पत्र लगाए गए जो उच्च शिक्षा विभाग से जांच के बाद फर्जी निकले। बैक डेट में अनुभव प्रमाण पत्र तैयार कराए गए जिस कारण अब जारी करने वाले संस्थानों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

नोटिस मिल चुका है, नोटिस के माध्यम से जो आरोप लगाए गए हैं उसके बारे में तय समय सीमा में जवाब अधिवक्ता के माध्यम से दिया जाएगा। जिन फर्जी दस्तावेजों की बात की जा रही है, वह आरोप गलत है।

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