भारत के राजचिह्न की खोज फ्रेडरिक ऑस्कर ओरटेल (1862 – 1942 ) ने की थी। वे जर्मनी में हनोवर के थे।
ओरटेल सिविल इंजीनियर थे। तब बनारस में पोस्टिंग थी। उस समय सारनाथ खुदाई का केंद्र बना हुआ था।
ओरटेल को 1903 में सारनाथ की खुदाई करने की अनुमति मिली। कड़ाके की ठंड में दिसंबर 1904 में उन्होंने खुदाई शुरू की।
साल 1905 के मार्च महीने की वह 15 तारीख थी। धमेख स्तूप के निकट मिट्टी में गड़ा हुआ उन्हें सिंह चतुर्मुख का वह टुकड़ा मिला, जो आज भारत का राजचिह्न है।
तब ओरटेल सुपरिटेंडिंग इंजीनियर थे। साल 1921 में चीफ इंजीनियर से रिटायर होकर वे यूनाइटेड किंगडम चले गए।
वे यूनाइटेड किंगडम के टेडिंगटन में रहने लगे। उन्होंने अपने घर का नाम ” सारनाथ ” रखा था, जो उनके सारनाथ से प्रेम को दर्शाता हैं।
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