सागर। उप नगरीय क्षेत्र मकरोनिया के दीनदयाल नगर के कबीर वाटिका पार्क में ब्रह्मलीन गृहस्थ संत पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा का अनुसरण करते हुए, पूज्य अनिल शास्त्री जी महाराज के प्रिय शिष्य केशव महाराज के सानिध्य में हो रहे सप्त दिवसिय श्री महारुद्र यज्ञ असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण, और संगीत मय श्री शिव महापुराण का आज विश्राम दिवस संपन्न हुआ, केशव महाराज जी शिव कथा का, बड़ा ही दिव्य सार श्रवण कराया, मैं महाराज श्री ने कहा, संसार का सार सिर्फ महादेव है।
इस संसार में चाहे कोई भी व्यक्ति हो, आखिरी में, उसे भगवान महादेव के स्थान श्मशान में ही जाना है। भगवान शंकर ने अपने शरीर पर भस्म धारण कर रखी है। वह संसार को बता रहे हैं। कि बंधुओं हर व्यक्ति को आखिरी समय में राख का ढेर ही बनना है। इसलिए मिथ्या अभिमान छोड़ कर, केवल महादेव में स्थित हो जाए, नित्य प्रति पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर अपने जीवन को सार्थक करें, भगवान शिव को स्वयंभू कहा जाता है जिसका अर्थ है कि वह अजन्मा हैं. वह ना आदि हैं और ना अंत. भोलेनाथ को अजन्मा और अविनाशी कहा जाता है अनंत ब्रह्मांड के नायक है और अनंत की प्रतीक है तो जो भगवान शिव की आराधना करता है वह भी भगवान शिव में अनंत में ही समाहित हो जाता है और इस चोरासी लाख योनियों का आवागमन का चक्कर उसका छूट जाता है इसलिए भगवान शिव ही जेष्ठ और श्रेष्ठ कहे गए है।
कथा के मध्य श्रद्धेय, केशव गोस्वामी जी, ब्रह्मलीन संत पूज्य देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी महाराज को याद कर भावुक हो गए, और गुरु की कृपा, मनुष्य को कहां से कहां तक पहुंचा देती है। इस गुरु महिमा का वर्णन भी किया किया। साथ में सुरेंद्र सुहाने की ने अपना उद्बोधन में पूज्य दद्दा जी को स्मरण किया अभिषेक गौर एवं राजा रिछारिया ने सभी का आभार प्रकट किया।