नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी एवं सह-आरोपी को 20-20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर । तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी बृजेन्द्र सिंह थाना-मालथौन को दोषी करार देते हुये धारा- 363 भा.द.वि. के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड।
धारा- 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संषोधित) अधिनियम, 2019 के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पाॅच हजार रूपये अर्थदण्ड और सह-आरोपी संजू राजा परमार को दोषी करार देते हुये धारा- 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संषोधित) अधिनियम, 2019 के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पाॅच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा सह-आरोपी-राजेन्द्र सिंह को दोषी करार देते हुये को 67-ख(ख) सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। न्यायालय द्वारा पीड़िता को क्षतिपूर्ति के रूप में 4,00,000/-रूपये ( चार लाख रूपये) प्रतिकर दिलाये जाने का आदेष पारित किया गया। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है शिकायतकर्ता/बालिका ने दिनांक 26.10.2020 को थाना मालथौन जिला सागर में रिपोर्ट लेख कराई कि दिनाॅक 14.10.2020 को बुधवार के दिन दोपहर करीब 12 बजे वह उसके गाॅव के पास जंगल से शौच करके वापस आ रही थी तभी अभियुक्त राजेन्द्र सिंह ठाकुर, अभियुक्त संजू ठाकुर, बृजंेन्द्र तथा एक अन्य अभियुक्त सहित चारो लोग उसे पकड़कर मुॅह दबाकर चनारी के जंगल तरफ ले गये । जंगल में अभियुक्त बृजेन्द्र ने उसके साथ गलत काम (बलात्संग) किया और उस समय अभियुक्त संजू ठाकुर पास में बैठकर देख रहा था एवं अभियुक्त राजेन्द्र सिंह एक हाथ से मोबाइल से वीडियों बना रहा था एवं एक हाथ में पत्थर लेकर कह रहा था यदि वह चिल्लाई तो वह उसके सिर में पत्थर मार देगा तथा एक अन्य अभियुक्त कोई व्यक्ति आ न जाये इसकी चैकीदारी कर रहा था । जब बालिका जंगल से घर तरफ जाने लगी तो चारों अभियुक्तगण कह रहे थे कि उन्होंने उसका वीडियो बना लिया है अगर उसने यह बात किसी को बताई तो वे सबको वीडियो दिखा देगें और बालिका और उसके भाई को जान से खत्म कर देगे । उसने डर के कारण यह बात किसी को नहीं बताई ।
सुबह जब बालिका उसके साथ गलत काम का सोचकर रो रही थी तो उसकी माॅ एवं भाई के बार-बार पूछने पर उसने माॅ एवं भाई को पूरी घटना बताई तथा माॅ एवं भाई के साथ रिपोर्ट करने थाने आई । उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विचेना में लिया गया विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेखबद्ध किये गये। घटना स्थल का नक्षा मौका तैयार किया गया एवं अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना- मालथौन द्वारा अभियुक्तों के विरूद्ध अपराध अंतर्गत धारा 363, 376-डी, 34 भा.दं.सं., एवं धारा 3(1);डब्ल्यूद्ध(आई), 3(2)(व्ही) अनु. जाति. व जनजाति (अत्या.निवा.) अधिनियम 1989 के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है। प्रकरण में एक अन्य अभियुक्त के विरूद्ध मामला प्रमाणित नहीं पाया।