लोहे के सरिया बेचने के नाम पर ठगी करने वाले आरोपी की जमानत निरस्त

लोहे के सरिया बेचने के नाम पर ठगी करने वाले आरोपी की जमानत निरस्त
सागर । सागर के व्यापारी गौरव जैन द्वारा थाना कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह लोहा सरिया आयरन का काम करता है उसके पिता के नाम से सागर वर्णी कालोनी में जनता  आयरन के नाम से फर्म है एवं उसकी एक फर्म जी.एम.ट्रडर्स के नाम से रायपुर मे भी है उक्त दोनों फर्म का कार्य एवं व्यापार की संपूर्ण देखरेख फरियादी द्वारा ही की जाती है। व्यापार के लिये उसकी पहचान सागर स्टील फर्म रायपुर छत्तीसगढ़ से हुई जिसके प्रोपराईटर हिमाचल सिंह नाम का व्यक्ति है किंतुे व्यापार की सारी बातचीत व रूपयों का लेनेदेन अविनाष प्रजापति नाम का व्यक्ति करता है जो फोन पर अपना परिचय हिमाचल सिंह के रूप में देता है उक्त व्यापार के संबंध मंे आरोपी अविनाष प्रजापति से माह जून में फोन पर बात हुई और फरियादी गौरव जैन द्वारा बैंक एवं नगद के रूप में 63 लाख रूपये दिये जिसमें से 35,83,793 रूपये का माल प्राप्त हुआ शेष 27,16,207 रूप्ये का माल उसे प्राप्त नहीं हुआ जबकि उसने पूरे माल का भुगतान कर दिया है।
अविनाश प्रजापति द्वारा हिमाचल सिंह बनकर फरियादी से माल के नाम पर बेइ्र्रमानीपूर्वक शेष रूपयों का गबन कर लिया । उक्त रिपोर्ट के आधार पर  थाना कोतवाली में अप.क्र. 250/2022 भादिव की धारा-420, 406 34 का अपराध पंजीबद्ध किया गया । आरोपी को दिनाॅक 27.01.2020 को अभिरक्षा में लेकर पूछताछ करने पर आरोपी ने अपना अपराध किया जाना स्वीकार किया और पुलिस द्वारा आरोपी को संबंधित न्यायालय में पेष किया तो न्यायालय द्वारा उसे जेल भेज दिया गया जिसके संबंध में आरोपी द्वारा एक जमानत आवेदन पत्र न्यायालय के समक्ष पेष किया गया जिसमें न्यायालय द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीष श्री षिवबालक साहू की न्यायालय द्वारा सुनवाई की गई । फरियादी के अधिवक्ता द्वारा लिखित आपत्ति मय दस्तावेजों के पेष की गई और बताया गया कि आरापेी अविनाष प्रजापति के विरूद्ध थाना टिमरनी जिला-हरदा, थाना-आगासौद जिला-सागर और थाना सेक्टर 17 जिला-चंडीगढ़ में भी इसी प्रकार ठगी किये जाने के अपराध पंजीबद्ध है और आारोपी को जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिये जिस प्रोपराइटर हिमाचल सिंह के नाम ठगी की गई है। वह अभी तक पकड़ा नहीं गया है न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत आरोपी अविनाष प्रजापति को जमानत का लाभ दिया जाना उचित प्रतीत नहीं पाया गया।
न्यायालय द्वितीय अपर-सत्र न्यायाधीष शिवबालक साहू द्वारा जमानत आवेदन पत्र निरस्त किया गया। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक आषीष चतुर्वेदी द्वारा की गई।
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