इंदौर के चर्चित उपवन घोटाले में स्पेशल कोर्ट ने दो एमआईसी मैम्बर,पूर्व पार्षद और 9 को सजा सुनाई

MP: इंदौर के बहुचर्चित मेघदूत उपवन घोटाले में स्पेशल कोर्ट ने एमआईसी मैंबर, 2 पूर्व पार्षद सहित 9 आरोपियों को तीन-तीन साल की कठोर कैद और पांच-पांच हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। शिकायत 23 साल पहले पूर्व नेता प्रतिपक्ष छोटू शुक्ला ने लोकायुक्त में की थी।

मेघदूत उपवन घोटाले की लोकायुक्त शिकायत में आरोपी पूर्व एमआईसी मेंबर सूरज केरो के अलावा पूर्व पार्षद राजेंद्र सोनी, कैलाश यादव के अलावा सुरेश कुमार जैन, तत्कालीन सहायक शिल्पज्ञ, अमानुल्ला खान तत्कालीन उद्यान अधीक्षक, केशव पंडित ठेकेदार मेघदूत कार्पोरेशन, विद्यानिधि श्रीवास्तव तत्कालीन सीनियर आडिटर, ऋषिप्रसाद गौतम तत्कालीन सहायक संचालक, जगदीश डगांवकर, तत्कालीन नगर शिल्पज्ञ नगर है। मंगलवार को विशेष न्यायालय ने इस केस में फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को तीन-तीन साल के सश्रम कारावास और पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई

लोकायुक्त पुुलिस ने सात हजार पेज का चालान पेश किया। इसके बाद 2015 मैं इस केस में सुनवाई हुई थी। कोर्ट में आरोपियों ने जमानत याचिका लगाई थी। आरोपियों को उम्मीद थी कि जमानत मिल जाएगी, लेकिन कोर्ट ने याचिका निरस्त कर सभी 9 आरोपियों को जेल भेज दिया था। बाद में आरोपियों को जेल से जमानत मिली।

नगर निगम का निर्माण 80 के दशक मैं इंदौर विकास प्राधिकरण ने किया था। कैलाश विजयवर्गीय जब महापौर बने तो आईडीए नै नगर निगम को गार्डन को सौप दिया। इसके बाद नगर निगम ने ढाई करोड़ रुपये खर्च कर गार्डन का सौंदर्यीकरण किया था और उसे ठेके पर दे दिया। ठेका भी कागजों पर किसी और को मिला था और संचालन कोई और कर रहा था। उपवन ठैके पर देने के बाद इस मामले की शिकायत वर्ष 2003 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष छोटू शुक्ला ने लोकायुक्त से की थी।

शिकायत में कहा गया कि सरकार की मंजूरी के बिना छोटे-छोटे प्रस्ताव बनाकर अलग-अलग कार्य, अलग-अलग व्यक्तियों से करवाकर 33,60,322 रूपये की आर्थिक क्षति निगम को पहुंचाई थी। इस मामले में प्रकरण दर्ज कर वर्ष 2015 में आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया गया था। नगर निगम ने मेघदूत गार्डन में म्यूजिकल फाउंटेन, तालाब, गुलाब गार्डन सहित अन्य काम किए थे। 20 से ज्यादा दुकानों का निर्माण भी कराया था। बाद में इसे ठेके पर दे दिया गया और ठेकेदार उपवन में प्रवेश के दस रुपये प्रति व्यकि्त वसूलने लगा। पार्किंग शुल्क के अलावा दुकानों का किराया भी ठेकेदार वसूल रहा था।

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