दुष्कर्म के आरोपियों को 20-20 साल की कैद, घर में बुला कर किया था कृत्य
सागर। राहतगढ़ थाना अंतर्गत दुष्कर्म के मामले में अदालत का फैसला आया मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं नवम अपर सत्र न्यायाधीश ज्योति मिश्रा की कोर्ट में हुई। न्यायालय ने प्रकरण में सुनवाई करते हुए आरोपी भगवानदास अहिरवार और प्रकाशरानी अहिरवार को दोषी करार देते हुए 20-20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। शासन की ओर से प्रकरण में पैरवी प्रभारी उपसंचालक (अभियोजन) धर्मेंद्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार पटेल ने की अभियोजन के मीडिया प्रभारी ने बताया कि नाबालिग ने राहतगढ़ थाने में दुष्कर्म की शिकायत की थी। शिकायत में बताया था कि आरोपी प्रकाशरानी और भगवानदास उसके गांव में रहते है। घटना के दिन आरोपी प्रकाशरानी उसके घर आई और अपने घर चलने का बोलने लगी। उसने कहा कि वह घर पर अकेली है उसे घर पर डर लगता है। लेकिन पीड़िता की मां ने उनके घर जाने से मना कर दिया। फिर दोबारा शाम को आरोपी प्रकाशरानी उसके घर आ गई और मां से पीड़िता को घर भेजने के लिए जबरदस्ती करने लगी। तब पीड़िता की मां ने उसे प्रकाशरानी के साथ घर भेज दिया। घर पहुंचने के बाद खाना खाया और प्रकाशरानी ने पीड़िता को कमरे में अंदर जाकर बिस्तर के कपड़े उठाकर लाने के लिए कहा। पीड़िता कपड़े उठाने गई तो कमरे में आरोपी भगवानदास था। उसे देखकर पीड़िता बाहर भागने लगी तो आरोपी भगवानदास ने उसे पकड़ लिया और प्रकाशरानी ने धक्का मारकर उसे कमरे के अंदर कर दिया। बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। पीड़िता चिल्लाई तो कपड़े से बांध दिया था मुंह घटनाक्रम के दौरान विरोध करते हुए पीड़िता ने शोर मचाया। चिल्लाने लगी तो आरोपी ने कपड़े से उसका मुंह बांध दिया। जान से मारने की धमकी दी। जिसके बाद जबरदस्ती नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया। इसी बीच आरोपी प्रकाशरानी ने कमरे का गेट खोला तो पीड़िता दौड़ लगाकर भागी जिसे देख प्रकाशरानी ने पीछाकर उसे पकड़ा और चांटे मारे। घटनाक्रम किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। रातभर पीड़िता को धमकाते रहे। डर के कारण पीड़िता ने किसी को कुछ नहीं बताया। इस घटना के दो दिन बाद पीड़िता को आरोपी प्रकाशरानी जबरन कमर में ले गई और वहां भगवानदास ने उसके साथ दोबारा जबरदस्ती दुष्कर्म किया था। तबीयत बिगड़ी तो पीड़िता का इलाज कराया
घटनाक्रम के 10 से 12 दिन बाद पीड़िता के पेट व सिर में दर्द हुआ। परिवार वाले उसे बीएमसी अस्पताल सागर लेकर पहुंचे। जहां भर्ती कराया और जांच कराई। सोनोग्राफी जांच में पीड़िता के पेट में बच्चा होने और गर्भपात होने की पुष्टि हुई। मामला सामने आते ही माता-पिता ने पीडित बेटी से गर्भवती होने के संबंध में पूछा। लेकिन उसने कुछ नहीं बताया। सूचना पर पुलिस पहुंची और पीड़िता से पूछताछ की तो उसने अपनी पूरी आपबीती बताई। पीड़िता के बयानों के आधार पर पुलिस ने आरोपी भगवानदास और प्रकाशरानी अहिरवार के खिलाफ दुष्कर्म समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया। आरोपियों को गिरफ्तार किया और जांच पूरी होने पर चालान न्यायालय में पेश किया गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। अभियोजन ने प्रकरण से जुड़े साक्ष्य और दस्तावेज कोर्ट में पेश किए। साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपी भगवानदास और प्रकाशरानी को 20-20 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।