सागर। मामला 3 अक्टूबर, 2014 दिन शुक्रवार का दिन था सुबह के 5 बजे थे। कैंट इलाके में मिलिट्री हेड क्वार्टर के पीछे 12 साल की लड़की खून से लथपथ और बेहोश मिली। बच्ची के प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था । शरीर पर सिगरेट से दागने के निशान थे। घाव थे। जांच में भी मामला हैवानियत का निकला। जैसे ही शहर में यह खबर फैली, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। जगह-जगह धरना-प्रदर्शन, आंदोलन हुए।
मासूम बेटी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रही थी। उसे तीन महीने बाद होश आया, लेकिन वह पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हुई। सिर पर चोट लगने से गुमसुम रहने लगी। सागर से लेकर भोपाल, इंदौर तक उसका इलाज चला।
इसी बीच टीबी की बीमारी ने जकड़ लिया। पथरी भी हो गई। इसके असर से उसे खून की कमी हुई और वह पलंग पर आ गई। 6 साल तक बिस्तर से उठ नहीं सकी। 6 साल तक लगातार बच्ची का इलाज चला। कोरोना काल में उसका पथरी का ऑपरेशन हुआ। इसके बाद वह ठीक होना शुरू हुई और अब पूरी तरह स्वस्थ हो गई है। वह खूब खेलती-कूदती है। दौड़ लगाती है। घर में चहकती है।
सागर के कैंट थाना क्षेत्र में रहने वाली 12 साल की लड़की तब 7th क्लास में थी। रोज सुबह 4 बजे उठकर सदर स्थित राजीव गांधी पार्क में घूमने जाती थी। 3 अक्टूबर 2014 की सुबह भी वह अपनी 8 साल की चचेरी बहन के साथ पार्क गई. थी पार्क का गेट बंद था। इसी बीच सुबह 5 बजे एक बाइक सवार युवक आया। उसने कहा कि पार्क के पीछे का गेट खुला है। जैसे ही पीछे के गेट की ओर नाबालिग जाने लगी, तो आरोपी ने जबरदस्ती बाइक पर बैठाया और परेड मंदिर की ओर ले गया। मदद के लिए आसपास कोई नहीं था। ऐसे में 8 साल की बहन दौड़कर घर आई और परिवारवालों को बताया। इसके बाद उन्होंने बेटी की तलाश शुरू की। इसी दौरान मिलिट्री हेडक्वार्टर के पीछे नाबालिग खून से लथपथ अवस्था में बेहोश पड़ी मिली। उसके साथ रेप हुआ था। तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया।
दरिंदे ने नाबालिग के साथ पहले तो दुष्कर्म किया, इसके बाद उसे सिगरेट से दागा। सिर, चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर पत्थर पटक दिए। लहूलुहान हालत में बेटी को फेंककर भाग गया था। वह परिवार को बेहोश मिली। सागर अस्पताल में भर्ती कराया। यहां से उसे भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल इलाज के लिए भेजा गया। पीड़िता को करीब 3 माह बाद होश आया, लेकिन वह न तो ठीक से बात कर पाती थी और न ही अच्छे से लोगों को पहचान पा रही थी। अच्छे इलाज के लिए इंदौर भेजा गया। वहां करीब 4 महीने इलाज के बाद पीड़िता के स्वास्थ्य में सुधार आया। इसके बाद छुट्टी कराकर परिवार वाले उसे घर ले आए, लेकिन घर आकर वह पलंग पर लेटी रहती थी शरीर कमजोर था और खून की कमी थी। गुमसुम रहती थी। परिवार वालों ने अलग-अलग डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन इसी बीच पीड़िता को टीबी की बीमारी ने जकड़ लिया। साथ ही पथरी भी हो गई।
2020 में सागर के निजी अस्पताल में जांच कराई तो बीमारियां सामने आई। इसके बाद शासन, प्रशासन, समाजसेवी और अस्पताल प्रबंधन की मदद से पीड़िता का इलाज किया गया। ऑपरेशन हुआ। इलाज के बाद पीड़िता के स्वास्थ्य में सुधार आना शुरू हुआ। करीब 6 साल तक पीड़िता अस्पताल और घर में पलंग पर लेटी रही। न तो उठ पाती थी और न ही चल पाती थी, लेकिन अब 6 महीने से पीड़िता स्वस्थ है। अब वह चलती, खेलती और दौड़ती है। हालांकि, अभी भी वह सदमे में रहती है। बात करते-करते गुमसुम हो जाती है, लेकिन अब वह स्कूल जाना चाहती है।
हैवानियत की शिकार हुई पीड़िता की जुबानी उस समय लगता था कि मर ही जाऊंगी। बचने के लायक नहीं हूं। खेल नहीं पाती थी, क्योंकि मैं पलंग पर ही लेटी रहती थी। चल नहीं पाती थी। बैठ भी नहीं पाती थी। दूसरे बच्चों को खेलते देख मेरा भी मन होता था, लेकिन मैं तो पलंग से उठ भी नहीं पा रही थी। उस दरिंदे को फांसी की सजा होना चाहिए थी। अब मैं ठीक हो गई हूँ। घर के सभी काम करती हूं। खेलती हूं, दौड़ती हूं। अब स्कूल जाना है। पढ़कर मैं डॉक्टर बनूंगी, ताकि दूसरों की जान बचा सकूं। कोई मेरे जैसा बीमार न रहे और परेशान न हो। दूसरी लड़कियों से कहना चाहती हूं कि किसी को ऐसी परेशानी हो तो खुद पर हिम्मत रखना। खुद पर हिम्मत रखोगी तो दूसरों को बता पाओगी और अपनी लड़ाई जीता
2015 में हुए गैंरेप (दूसरा मामला) के तीन आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा था। इनमें कौस्तुभ दुबे भी शामिल था गरेप में जब पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो पता चला 2014 में उसने 12 साल की लड़की से भी दुष्कर्म किया है।
चाचा बोले- व्यापार हुआ ठप, मजदूरी करने की आ गई नौबत पीड़िता के चाचा बताते हैं- बेटी के साथ हुई हैवानियत के बाद वह लगातार बीमार रही। सागर, भोपाल, इंदौर समेत अन्य स्थानों पर उसका इलाज कराया। शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधि, समाजसेवियों की मदद के साथ उसका इलाज कराया। पहले परिवार टायर का व्यापार करता था, लेकिन बेटी के केस के बाद व्यापार पूरी तरह ठप हो गया। इलाज में लाखों रुपए खर्च हुए। अब मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करना पड़ रहा है। लेकिन, आज जब बेटी को चहकते और खेलते हुए देखता हूँ तो आत्मा को सुकून मिलता है। उस समय तो बेटी को लेकर उम्मीद ही छोड़ दी थी। डॉक्टर ने भी मना कर दिया था। लेकिन, वह जीना चाहती थी और आज वह खिलखिला रही है। अब उसे पढ़ाना है। पढ़ाई छोड़े ज्यादा समय होने और उम्र के कारण स्कूल में एडमिशन नहीं मिल रहा है। प्राइवेट पढ़ाने की बात कही जा रही है। बेटी को स्कूल में प्रवेश मिल जाए तो वह अपने सपने पूरे कर पाए।
दरिंदा जेल में काट रहा 20 साल की कैद सागर के बहुचर्चित दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मई 2015 में आरोपी कौस्तुभ (तब आरोपी की उम्र 21 साल थी) पुत्र दिनेश दुबे निवासी दौलतपुर पांडेपुर वाराणसी (उप्र) को गिरफ्तार किया था। आरोपी सागर में हॉस्टल में रहकर निजी कालेज में पढ़ाई कर रहा था। आरोपी मानसिक विकृति का शिकार था। न्यायालय में मामला पहुंचने के बाद साल 2017 में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आरोपी कौस्तुभ दुबे को 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के बाद से आरोपी जेल में बंद है।
दरिंदा जेल में काट रहा 20 साल की कैद सागर के बहुचर्चित दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मई 2015 में आरोपी कौस्तुभ (तब आरोपी की उम्र 21 साल थी) पुत्र दिनेश दुबे निवासी दौलतपुर पांडेपुर वाराणसी (उप्र) को गिरफ्तार किया था। आरोपी सागर में हॉस्टल में रहकर निजी कालेज में पढ़ाई कर रहा था। आरोपी मानसिक विकृति का शिकार था। न्यायालय में मामला पहुंचने के बाद साल 2017 में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आरोपी कौस्तुभ दुबे को 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के बाद से आरोपी जेल में बंद है।