इश्क झूठा है किसे नहीं मालूम और वो भी झूठा है जिसे नहीं मालूम
गौर उत्सव में हुआ काव्यांजलि का आयोजन
गजेंद्र ठाकुर✍️। सागर। 23 नवंबर. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 153वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में ‘गौर उत्सव’ के अंतर्गत विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में काव्यांजलि का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में प्रभारी कुलपति प्रोपीके कठल, गौर उत्सव के मुख्य समन्वयक प्रो सुबोध जैन, सह समन्वयक प्रो संजय जैन, कुलसचिव (प्र.) संतोष सोहगौरा, कार्यक्रम के संयोजक प्रो नवीन कानगो सहित विश्वविद्यालय के कवि कर्मचारी, अधिकारी एवं शिक्षक उपस्थित रहे। प्रो पी के कठल ने उद्घाटन वक्तव्य देते हुए कहा कि सभी के मन में कवि हृदय होता है। मनुष्य के भीतर जब कोई भाव आता हैं तो सबसे पहला माध्यम कविता ही होती है। डॉ गौर ने भी अपने जीवन काल में कई कविताएं लिखीं। आजादी न मिल पाने की पीड़ा में उन्होंने अपनी कविताओं में अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी इस आयोजन के माध्यम से ऊनी संवेदनाएं, भावनाएं इस मंच के माध्यम से व्यक्त कर पाएंगे और उनकी सृजनशीलता भी सामने आएगी। प्रो नवीन कानगो ने कहकशां हूँ मैं, सारे सितारे मुझमें गजल की प्रस्तुति दी।
डॉ आफरीन ने युवा मन की आकांक्षा और अपेक्षा पर आधारित कविता सुनाई। महेश कुर्मी ने गौर गौरव पर आधारित कविता पाठ किया। डॉ किरण ने संस्कृत में सस्वर कविता पाठ की। आमंत्रित कविगणों में प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत, प्रो. जी.एल. पुनताम्बेकर, डॉ. अभिषेक कुमार जैन, कुलसचिव संतोष सोहगौरा, डॉ. दीपाली जाट, डॉ. अलीम अहमद खान, डॉ. रामहेत गौतम, डॉ. राजेन्द्र यादव, डॉ. उदय श्रीवास्तव, डॉ. अवधेश कुमार, डॉ. अवधेश तोमर, डॉ. आशुतोष, डॉ. कालीनाथ झा, डॉ. अफरोज बेगम, डॉ. हिमांशु कबीर, डॉ. देवकी नंदन शर्मा, डॉ. अभिषेक ऋषि, डॉ. नीरज उपाध्याय, डॉ. नौनिहाल गौतम, डॉ. अनूपी समैया, शहर के प्रसिद्ध कवि डॉ नलिन जैन एवं कपिल चौबे ने अपनी काव्य प्रस्तुतियां दीं।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रो नवीन कानगो ने दिया। संचालन डॉ हिमांशु, डॉ अभिषेक ने किया. कार्यक्रम में शिक्षक, विद्यार्थी, कर्मचारी और शहर के गणमान्य नागरिक काफी संख्या में मौजूद थे।