समरसता से ही एक उत्कृष्ट समाज और राष्ट्र की कल्पना संभव- डॉ शशि ठाकुर
सद्भावना मंच का समरसता सम्मेलन संपन्न
गजेंद्र ठाकुर✍️। सागर। सद्भावना मंच सागर के तत्वाधान में आज गुरु नानक जयंती पर सागर में बाघराज स्थित होटल हेरिटेज में समरसता सम्मेलन संपन्न हुआ। सम्मेलन के प्रारंभ में अतिथियों ने दीपक प्रज्वलित कर गुरु नानक जी एवं भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया। समरसता सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ शशि ठाकुर ने कहा कि व्यक्ति को सही और महान जीवन जीने के लिए भारतीय जीवन पद्धति को आत्मसात करना चाहिए भारतीय जीवन पद्धति में व्यक्ति को सही दिशा में बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। सुबह से लेकर शाम तक के क्रियाकलापों का उल्लेख किया गया है यम नियम प्रत्याहार धारणा प्रणाम और समाधि के साथी व्यक्ति को जीवन में धैर्य रखने की कला और अच्छे विचारों को आत्मसात कर अच्छे संस्कारों पल्लवित किया जाता है जिससे व्यक्ति अच्छे विचारों को आत्मसात कर आत्म अनुशासन में रहकर विनम्र और धैर्यवान बनकर समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। हम सभी के भगवान राम कृष्ण आदर्श हैं उनके उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को जानने से समझने के साथ ही उन्हें आत्मसात करने से अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। महर्षि बाल्मीकि ,वेदव्यास ,संत रविदास मीराबाई, संत नामदेव, संत कबीर जैसे महान संतों ने भी भगवान राम कृष्ण के विचारों को आत्मसात किया जिसके चलते ही सभी संत महान बने आज की इस आधुनिकता की दौड़ में हम सभी भी को वेद पुराण रामायण गीता सनातन धर्म को आत्मसात कर भारतीय जीवन पद्धति को स्वीकार करने की नितांत आवश्यकता है जिससे व्यक्ति जाती पाती ऊंच-नीच धर्म संप्रदाय से परे जाकर समाज निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण मैं अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा तभी जाकर समरसता समरसता की सार्थकता सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि आज समाज को चोट पहुंचाने के लिए एवं राष्ट्र को चोट पहुंचाने के लिए कई विरोधी ताकते कार्य कर रही हैं ऐसी ताकतों से निपटने के लिए धर्म वेद पुराण रामायण एवं भागवत गीता के साथी महान लोगों के व्यक्तित्व को आत्मसात कर सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति को धारण कर आगे बढ़ना चाहिए जिससे निश्चित रूप से एक मजबूत चरित्रवान व्यक्ति का समाज का और राष्ट्र का निर्माण होगा तभी जाकर सद्भावना समरसता की उपयोगिता सिद्ध होगी। कार्यक्रम में संतोष वैरागी जी ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर प्रथम गुरु गुरु नानक ने तीन उद्देश्य बताए हैं- ठीक से परिश्रम करना जरूरतमंद लोगों की सहायता करना और प्रभु की प्रार्थना करना जैसे महान उद्देश्यों को हम सभी को आज के समय में आत्मसात करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ मनोज सैनी सद्भावना मंच सदस्य एवं आभार श्री सुधीर जी गुप्ता गहोई वैश्य समाज प्रमुख ने व्यक्त किया।
समरसता सम्मेलन 29 समाजों के जाति बिरादरी माते मुखियाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम प्रातः 10:00 अल्पाहार से शुरू होकर चर्चा सत्र एवं प्रबोधन सत्र के साथ सायं 4:00 बजे तक समरसता भोज के साथ संपन्न हुआ।
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