पुरोहित पुजारी विद्वत संघ का श्रावणी उपाकर्म बेबस नदी के तट पर हुआ, जुटा विप्र समाज

पुरोहित पुजारी विद्वत संघ का श्रावणी उपाकर्म बेबस नदी के तट पर जुटा विप्र समाज

खबर गजेंद्र ठाकुर- 9302303212

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सागर। श्रावणी उपाकर्म का आयोजन पुरोहित पुजारी विद्वत संघ के तत्वाधान में गुरुवार को बड़े ही धूमधाम से चितौरा बेबस नदी के तट पर सम्पन्न हुआ 5 घंटे चले इस विशाल कार्यक्रम में सागर सहित आसपास के विप्रजन शामिल हुए सभी ने सामूहिक दशविधि स्नान,तर्पण, पूजन और हवन किया।युवा सर्वब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पं.भरत तिवारी ने बताया कि श्रावणी ब्राह्मणों का प्रमुख उत्सव माना जाता है इस कार्यक्रम को पूर्व वर्षों में छोटे रूप से आयोजित करते थे पर इस बार विशाल विप्र समूह ने सहभागिता की आगामी वर्षों में और भी भव्यता के साथ विप्र समाज इस आयोजन को करेगा।धर्माधिकारी पं.बृजेश जी महाराज ने कहा कि वेदमाता गायत्री हमारे यग्योपबीत की साक्षी होती है और आज श्रावणी कर्म में हम उनका ध्यान जप करते हुये पुराना जनेऊ त्याग कर नया धारण करते है प्रत्येक ब्राह्मण के लिये गायत्री जप आवश्यक माना जाता है।पुरोहित पुजारी विद्वत संघ के अध्यक्ष पं.शिवप्रसाद तिवारी ने कहा कि सनातन परंपरा में वर्ण व्यवस्था में प्रमुख चार त्योहार चार वर्णों में विभक्त किये गए हैं। जिसमे सनातन का वर्ष का पहला प्रमुख त्योहार श्रावणी ब्राह्मणों,दशहरा क्षत्रियों,दीपावली वैश्यों और होली शूद्र वर्ण का त्योहार माना जाता है प्रत्येक ब्राह्मण को श्रावणी उपाकर्म करना चाहिये और जनेऊ धारण करना चाहिये, संघ के महामंत्री पं.रामचरण शास्त्री ‘श्रीहरि’ ने कहा जिस प्रकार मोबाइल का उपयोग ज्यादा होता है तो उसकी बैटरी कम हो जाती है अर्थात उसकी क्षमता कम होती जाती है चार्ज करना पड़ता है उसी प्रकार ब्राह्मण भी वर्ष भर आशीर्वाद देते देते अपनी तप क्षमता को क्षीण करता है और अपने यजमान का कल्याण करता है उस खत्म होती क्षमता को रिचार्ज करने के लिये ऋषियों द्वारा ब्राह्मण के लिये श्रावणी पर्व पर उपाकर्म करना आवश्यक किया गया है।ज्योतिष प्रकोष्ठ के संभागीय अध्यक्ष डॉ प्रमोद शास्त्री ने कहा कि दशविधि स्नान में आज हमने तीर्थो के जल, दूध, दही, मृत्तिका,भस्मी,चिरचिटा आदि10 वस्तुओं का अपने शरीर पर मार्जन किया है जिस प्रकार किसी यज्ञ में हम यजमान को ये सब विधि कराते है और पंचगव्य गोदुग्ध,दही,गोबर,घी,गोमूत्र पान कराते हैं वो सब आज हम लोगों ने किया है।कर्मकांड प्रकोष्ठ के अध्यक्षपं.बालमुकुंद शास्त्री ने कहा कि आज स्नान ध्यान जाप पूजन उपरांत देवयज्ञ और सप्तऋषि हवन करके सभी ब्राह्मण तेजमय हो गए है। डॉ प्रमोद द्विवेदी ने कहा कि दुनिया के दोष हम कर्मकांड द्वारा अपने सिर ले लेते है उनकी निवृत्ति के लिये ब्राह्मण प्रायश्चित स्न्नान ध्यान करते है।कार्यक्रम में आचार्यत्व के पद पर पं.सुरेश नारायण द्विवेदी विराजमान रहे इस अवसर पर सनाढ्य सभा के पूर्व अध्यक्ष पं.प्रेमनारायण रावत,पं.पप्पू तिवारी,पं.सुशील पांडेय ढाना, पं.शिवनारायण शास्त्री, पं.संतोष गोस्वामी, पं.देवेंद्र दुबे,पं.गुड्डन दुबे
पं.कुंजबिहारी शुक्ला, पं.मुन्ना मिश्रा, पं.भूपेंद्र अग्निहोत्री ,पं.धर्मेंद्र मिश्रा,पं.भुवनेश्वर तिवारी,पं.सुंदरलाल बचकैयां, पं.पुरषोत्तम तिवारी,पं.हरिओम मुणौतिया,पं.बलराम शांडिल्य ,पं.संतोष पचौरी,पं.आनंद दीक्षित, पं.प्रेमनारायण तिवारी,डॉ दीपक तिवारी,पं.जुगलकिशोर द्विवेदी,पं.संदीप तिवारी,पं.राकेश दुबे,पं.प्रदीप दुबे,पं.जय दुबे सहित सैकड़ों पुरोहित पुजारी और ब्राह्मण समाज के लोग शामिल रहे।

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