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स्मार्ट सिटी कार्यलय में आर्मी अधिकारियों और स्कूली बच्चों ने देखी आईसीसीसी कार्यप्रणाली

 आर्मी अधिकारियों और स्कूली बच्चों ने देखी आईसीसीसी की कार्यपद्धति- ट्रैफिक, क्राइम, डिसीज और कचरा कलेक्शन की होती है सतत मॉनीटरिंग सागर। ...

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Gajendra Thakur

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 आर्मी अधिकारियों और स्कूली बच्चों ने देखी आईसीसीसी की कार्यपद्धति- ट्रैफिक, क्राइम, डिसीज और कचरा कलेक्शन की होती है सतत मॉनीटरिंग

सागर। सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा स्थापित किया गया इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) सागर के विभिन्न प्रशासनिक विभागों की सेवाओं को एक प्लेटफार्म से जोडकर मॉनीटरिंग एवं कंट्रोल का काम कर रहा है। शहर में इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) वाहन चालकों की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रख रहा है। गलती करने वाले के घर ई-चालान भेज रहा है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सर्विसेज, डायल 108, ई-पालिका, सीएम हेल्पलाइन, पब्लिक टॉयलेट फीडबैक, सेफ सिटी कैमरा सर्विलांस जैसी अन्य सुविधाओं की मॉनीटरिंग भी आईसीसीसी से की जा रही है। ट्रैफिक, क्राइम, कोविड वैक्सीनेशन और कचरा कलेक्शन की सतत निगरानी भी की जा रही है।
आईसीसीसी की कार्यपद्धति और नागरिकों को इससे होने वाले फायदे बुधवार को आर्मी के अधिकारियों और डीएनसीबी स्कूल कैंट बोर्ड के 12वीं के करीब 60 विद्यार्थियों ने जाने। इस दौरान कलेक्टर सह अध्यक्ष एसएससीएल दीपक आर्य, नगर निगम आयुक्त सह कार्यकारी निदेशक एसएससीएल आरपी अहिरवार और स्मार्ट सिटी सीईओ राहुल सिंह राजपूत विशेषतौर पर मौजूद थे। सागर मिलिट्री स्टेशन के एडम कमांडेंट कर्नल ए. आचार्य, ब्रिगेडियर रवीन्द्र कुमार और कर्नल पल्लव सूद ने आईसीसीसी में होने वाले प्रत्येक कार्य की जानकारी ली। ई-गवर्नेंस मैनेजर अनिल शर्मा और श्रीमती आरती जारोलिया ने आईसीसीसी की वर्किंग के संबंध में विस्तार से बताया। आईटीएमएस के संबंध में सुश्री शानू महाले ने बताया कि शहर के पांच एंट्री-एग्जिट प्वाइंट और 19 प्रमुख स्थानों पर कैमरों की नजर रहती है। ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्नीशन सिस्टम वाहन की नंबर प्लेट को रियल टाइम ट्रैक करने का काम करता है। इससे यातायात संबंधी लंबित अपराधों, चोरी हुए वाहन जैसे मामलों की त्वरित जांच में मदद मिलती है। एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम से चौराहों की रियल टाइम निगरानी कंट्रोल रूम से की जाती है। रेड लाइट वायलेशन डिटेक्शन सिस्टम लालबत्ती, स्टॉप लाइन उल्लंघन या गलत दिशा में वाहन मोडने आदि की घटनाओं को पकडता है। इससे ई-चालान जारी करने में मदद मिलती है। इसके अलावा स्पीड वायलेशन डिटेक्शन सिस्टम से वाहनों द्वारा निर्धारित गति के उल्लंघन के मामले पकड में आते हैं। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी कॉल बॉक्स (ईसीबी) सिस्टम का उपयोग आपातकालीन स्थितियों या दुर्घटना के मामले में मदद प्राप्त करने के लिए लोगों द्वारा किया जाता है। यूनिट में लगा बटन दबाने से आईसीसीसी और पुलिस विभाग के ऑपरेटर से संपर्क होता है, जो तत्काल आपातकालीन सहायता दल को घटनास्थल पर भेजता है।
मोहित मेश्राम ने निर्भया सागर एप के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर निर्भया सागर एप बनाया गया है। आपातकालीन स्थिति में इसका एसओएस बटन दबाने पर लोकेशन और मोबाइल के दोनों कैमरों से फोटो खिंचकर कंट्रोल रूम पहुंच जाती हैं। इसी आधार पर पुलिस द्वारा तुरंत मदद भेजी जाती है। अक्षत चौरसिया ने बताया कि डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाली सभी 48 गाडियों और सात डंपिंग ट्रकों की रियल टाइम ट्रैकिंग जीपीएस, जीआईएस और जीएसएम तकनीक पर आधारित सिस्टम से की जा रही है। कचरा गाडी या ट्रक की दुर्घटना, ब्रैकडाउन या लंबे समय तक निष्क्रिय रहने पर त्वरित प्रतिक्रिया की जाती है। यदि कोई कचरा गाडी फेल होती है तो उसके आसपास मौजूद पांच गाडियों को एक-एक घंटे के लिए उसके रूट पर लगाकर कचरा कलेक्शन कराया जाता है। सुश्री शिवाली सिंह ने बताया कि आईसीसीसी में जिला कोरोना कंट्रोल रूम स्थापित करने से प्रशासन को कोरोना रोकथाम का एक मजबूत प्रबंधन मिला है। कोरोना मरीजों, संदिग्धों, होम क्वारंटाइन लोगों एवं कंटेनमेंट जोन की ऑनलाइन निगरानी कर जिलेभर में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में सागर सफल रहा। उन्होंने बताया कि वैक्सीनेशन की सतत मॉनीटरिंग भी यहां से की जा रही है। जिन लोगों ने अभी तक वैक्सीनेशन नहीं कराया या दूसरा डोज नहीं लगवाया है, उन्हें यहां से फोन कर वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

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