एक जिला एक उत्पाद के तहत टमाटर क्लस्टर के संबंध में संपन्न हुई कार्यशाला

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प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत जिले में टमाटर प्रसंस्करण को मिलेगा बढ़ावा

सागर –

सोमवार को टमाटर क्लस्टर से संबंधित संपन्न हुई कार्यशाला में वर्चुअल माध्यम से भाग लेते हुए विभिन्न विशेषज्ञों ने आवश्यक जानकारी प्रस्तुत की। इस दौरान कलेक्टर दीपक सिंह, उद्यानिकी विभाग से उपसंचालक एस के रेजा, जिला उद्योग केंद्र से महाप्रबंधक श्रीमती मंदाकिनी पांडे, विभिन्न युवा उद्यमियों तथा कृषकों ने भाग लिया।

सोमवार को आयोजित की गई इस कार्यशाला में इंदौर से रामनाथ सूर्यवंशी, सीआईएई भोपाल से डॉक्टर एसपी सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र सागर से डॉक्टर के एस यादव , कृषि विज्ञान केंद्र देवरी से डॉक्टर आशीष त्रिपाठी, डिस्टिक रिसोर्स पर्सन श्रीमती एकता राजपूत ने अपने उद्बोधन में टमाटर के प्रसंस्करण से संबंधित विस्तृत जानकारी दी।

विशेषज्ञों द्वारा विशेष रुप से प्रसंस्करण के क्षेत्र में अवसर के बारे में जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने बताया कि, मध्य प्रदेश के कई जिलों में टमाटर की अच्छी पैदावार है जिनमें से सागर भी एक है। सागर जिले में टमाटर की अच्छी उत्पादकता है। यह एक उद्यानिकी फसल है जिसके प्रसंस्करण किए जाने पर बेहतर बाजार एवं आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है।

विशेषज्ञों ने बताया कि एफएसएसएआई के तहत लाइसेंस लेने पर प्रसंस्करण के विभिन्न तरीकों को अपनाया जा सकता है। जानकारी दी गई कि, टमाटर को 6 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तथा 90 प्रतिशत रिलेटेव ह्यूमिडिटी पर लंबे समय तक सुरू रखा जा सकता है।

कार्यशाला में बताया गया कि, टमाटर के क्षेत्र में प्राइमरी प्रोसेसिंग सेंटर से टमाटर की ग्रेडिंग की जा सकती है। रामनाथ सूर्यवंशी ने बताया कि जब बाजार में टमाटर का मूल्य अधिक है तब सीधे टमाटर भी बेचा जा सकता है परंतु जब बाजार में टमाटर का मूल्य कम है तो प्रसंस्करण करते हुए अधिक लाभ कमाया जा सकता है।

टमाटर के क्षेत्र में प्रसंस्करण के द्वारा सर्वाधिक प्रचलित उत्पादों में टोमैटो केचअप, टोमैटो पल्प, टोमैटो प्यूरी, टोमैटो पाउडर, फील्ड टोमैटो, टोमैटो सूप, चटनी आदि शामिल हैं। इसके साथ ही कार्यशाला में पेकेजिंग , कैनिंग के बारे में भी जानकारी दी गई।

उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक एस के रेजा ने बताया कि टमाटर प्रसंस्करण इकाई लगाने पर कुल लागत राशि का 35 प्रतिशत तक अनुदान एवं 3 प्रतिशत बैंक ऋण पर लगने वाले ब्याज पर अनुदान मिलता है। कृषक एवं उद्यमी अधिक जानकारी एवं परियोजना तैयार करने हेतु जिला समन्वयक सुएकता राजपूत से भी संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अपने उद्यम का उन्नयन करने के इच्छुक सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग योजना प्रोजेक्ट लागत के 35 प्रतिशत पर क्रेडिट लिंक कैपिटल सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। अधिकतम सब्सिडी 10 लाख रुपए प्रति उद्यम तक हो सकती है। लाभार्थी का योगदान न्यूनतम 10 प्रतिशत होना चाहिए और शेष राशि बैंक से ऋण होनी चाहिए।

इस योजना के तहत एफपीओ , स्वयं सहायता समूहों , उत्पादक सहकारी अदाओं को सहायता प्रदान की जाएगी।

कार्यशाला में बताया गया कि सहायता प्राप्त करने के इच्छुक मौजूदा खाद्य प्रसंस्करण यूनिट अथवा युवा उद्यमी http://pmdme.mofpi.gov.in/ पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।  जिला रिसोर्स पर्सन से डीपीआर तैयार करने, बैंक ऋण प्राप्त करने, आवश्यक पंजीकरण तथा एफएसएसएआई के खाद्य मानकों, उद्योग आधार एवं जीएसटी प्राप्त करने के लिए हैंडहोल्डिंग सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी।

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