डॉ हरिसिंह गौर अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा विद थे: प्रोफ़ेसर कोले।

डॉ हरिसिंह गौर अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा विद थे: प्रोफ़ेसर कोले।

 जनजाति जनजीवन प्रकृति से जुड़ा हुआ होता है: उनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है डॉ रमेश साहनी।

सागर-

 डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के मानव विज्ञान विभाग का 65 वा स्थापना दिवस पर विभागीय परिसर में डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के कुलपति प्रोफ़ेसर जे डी आही, कुलसचिव संतोष सहगोरा, प्रोफ़ेसर ए एन शर्मा डायरेक्टर अकादमिक अफेयर्स, प्रोफेसर के के यन शर्मा अधिष्ठाता व्यावहारिक अध्ययन शाला एवं विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर राजेश कुमार गौतम , शिक्षक विद्वानों कर्मचारियों शोधार्थीयो ने पौधारोपण किया ।
प्रोफ़ेसर जे डी आही, कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि मानव विज्ञान विभाग की 65 वीं वर्षगांठ पर विभाग ने अपने शैक्षणिक अध्ययन के साथ – साथ गुणवत्ता युक्त शोध के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई है। विभाग की स्थापना प्रसिद्ध मानव विज्ञानी प्रोफेसर एसपी दुबे ,प्रोफेसर मोटाटकर, प्रोफ़ेसर गोरहा, प्रोफेसर पीके श्रीवास्तव, प्रोफ़ेसर बाली, प्रोफेसर समरेन्द्र सराफ, डॉ एचएन पटेरिया, प्रोफेसर रमेश चौबे जैसी लोगों ने नेतृत्व किया है। आज भी कोविड-19 के वेशविक संकट में भी  विभाग ने निरंतर अपने अस्तित्व को ऊंचाइयों पर पहुंचा  है ।जिसकी मैं प्रशंसा करती हूं। उन्होंने कहा स्थापना दिवस पर पौधारोपण करके सराहनीय कार्य किया है। आज पर्यावरण को बचाना है तो पौधारोपण करना अति आवश्यक है ।हम सभी को प्रकृति के वृक्ष से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।  वृक्ष है तो जीवन है। वृक्ष प्राणवायु देते हैं ।फल, फूल,ओषधि, मिट्टी के कटाव को रोकते हैं तथा दैनिक जीवन से जुड़ी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। आज के आधुनिकता में मानव ने आधा- धुंध वन कटाई करके पर्यावरण को खतरे में डाल दिया है ।उसे बचाना है तो पौधों को रोपित करके उनके संरक्षण करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
     कुलसचिव संतोष  सहगौरा ने कहा कि दानवीर शिक्षाविद डॉ हरिसिंह गौर का सपना था कि बुंदेलखंड का प्रत्येक नागरिक उच्च शिक्षा में शिक्षित हो इस संकल्पना के साथ विश्वविद्यालय की स्थापना की थी जिसमें विभाग   का अनुकरण योगदान है ।विभाग ने अपने शेक्षिडिक कार्यों के साथ-साथ अच्छे विद्यार्थियों को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि मानव विज्ञान विभाग से 6 कुलपति तथा उच्च प्रशासनिक, वैज्ञानिक बने।आज भारत सरकार की उच्च सदन लोकसभा में भी डॉ वीरेन्द्र कुमार  कैबिनेट मंत्री के रूप पर पहुंचे हैं ।उन्होंने वाल श्रम पर डॉक्टर की उपाधि ली है।यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है ।उन्होंने कहा कि पौधारोपण तथा स्वागत में पौधा भेंट करना अच्छी परंपरा है।
 विभाग के द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर जे डी आही का बैटरी कोविड-19 के दौरान विश्वविद्यालय शैक्षणिक गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित किए जाने के लिए पौधा भेंटकर के सम्मान किया गया। विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर राजेश कुमार गौतम ने स्वागत उद्बोधन एवं विभागीय गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विभाग के छह दशक के सफरनामा में लगभग 700 से ऊपर शोध पत्र राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। वही 87 पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है। उन्होंने बताया कि 15 जुलाई 1957 में प्रसिद्ध मानव विज्ञानी प्रोफेसर एस सी दुबे ने इस विभाग की स्थापना की थी ।आज विभाग ने अपने शिक्षा के स्तर को निरंतर बनाए रखते हुए विभाग के छात्र देश और विदेशों में ऊंचाइयों पर पहुंचकर नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्थापना दिवस पर द्वितीय सत्र में वर्चुअल प्लेटफार्म पर विभाग की विद्यार्थी जो कि आज प्रसिद्ध मनोविज्ञानी बने हैं उनके व्याख्यान से अध्ययनरत छात्र तथा शुद्ध शोधार्थी प्रेरणा लेंगे ।उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को अपने शोध के प्रति सजग चौकन्ना  रहकर शोध करने की आवश्यकता है। आज नए नए शोध के विषय विश्व स्तर पर उभरकर आ रहे हैं जिसमें कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के संकट के अनेकों शोध विषय सामने आ रहे हैं जोकि अध्ययन करने की आवश्यकता है ।
      द्वितीय सत्र में वर्चुअल         पर प्रोफ़ेसर श्यामल कोलें, विभाग अध्यक्ष फिजियोथैरेपिस्ट गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं इस विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं जहां से अध्ययन करते हुए मैं अमृतसर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर बना हूं। उन्होंने कहा कि जब मैं अध्ययन करता था तब सागर विश्वविद्यालय की कर्मचारी, शिक्षक ने समर्पण भाव से विद्यार्थियों को अध्ययन कराते थे। देर रात तक शोध करते थे। यही कारण है कि आज हम  देश की ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं ।उन्होंने कीनियो एंथ्रोपोमेट्री (खेल मानव मिति) पर व्याख्यान देते हुए बहुत ही बारीकी से प्रकाश डाला। जो की प्रेरणा देने योग्य था।
     डॉ रमेश सैनी सहायक अध्यापक पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ ने अपने छात्र जीवन के अनुभवों को सांझा करते हुए बताया कि मैं भी सागर विश्वविद्यालय का छात्र रहा हूं ।सागर के अध्ययन से ज्ञान की नींव इतनी मजबूत है कि मैंने भारतीय मानव सर्वेक्षण विभाग में अपने कैरियर की शुरुआत करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय की चंडीगढ़ मैं शिक्षा जगत में अपना कार्य कर रहा हूं। उन्होंने अपने शोध की चर्चा करते हुए अंडमान निकोबार दीप समूह की जनजातियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह आज भी जनजाति जन जीवन प्रकृति से जुड़ा हुआ है ।वह प्रकृति के साथ रहते हैं ।प्रकृति का भोजन करते, प्राकृतिक जीवन ही जीते हैं इन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। आज अध्ययनरत शोधार्थियों को सामाजिक सांस्कृतिक तथा वैज्ञानिक पक्ष को शोध करके उजाकर करना चाहिए।उन्हें  मुख्यधारा से जोड़ने का शोध कार्य करना चाहिए ।
प्रोफेसर ए एन शर्मा ने कहां की आज विभाग का 65 माह वर्ष है तथा मेरी आयु भी 65 वर्ष पूर्ण होने जा रही है। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि मेरा जन्म हुआ एवं विभाग का जन्म मेरे जैसे विद्यार्थियों के लिए हुआ। मुझे गौरव की बात है।  मैंने यही अध्ययन किया तथा यहीं पर अध्यापन कराया तथा अपनी जिम्मेदारियों से इस वर्ष मुक्त हो रहा हूं। मैं सभी का धन्यवाद व्यक्त करता हूं।
    संचालन डॉ सर्वेन्द्र यादव ने किया। विभागीय गतिविधियों की प्रभारी डॉ सोनिया कौशल ने आभार व्यक्त किया।
 इस अवसर पर प्रमुख रूप से प्रो चंदा वैन, विभाग अध्यक्ष हिंदी विवाह प्रोफेसर, श्री भागवत विभाग अध्यक्ष एमबीए ,सतीश कुमार उप कुलसचिव डॉक्टर कश्यप डॉक्टर माथुर हर्षदीप धनंजय ,डॉअरुण कुमार, डॉ रचना ठाकुर, सन्तोष रैकवार मुफ्ती कांत पांडे, मधुश्री डे ,कोस्टदेव देव शर्मा, अशोक यादव अजय अहिरवार निकिता दास पद्मिनी सा , दामिनी स्वर्णका, पूजा बंजारे, बसंत कुमार सेन सचिन सुपोओल्या, भगवानदास रजक, गंगाराम संतोष रैकवार, अभिषेक पटेल शिक्षक शोधार्थी कर्मचारी उपस्थित थे।
KhabarKaAsar.com
Some Other News

कुछ अन्य ख़बरें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: इस पेज की जानकारी कॉपी नहीं की जा सकती है|
Scroll to Top