जन शक्ति अभियान के क्रियान्वयन हेतु निगम इंजीयिरों एवं बिल्डर्स तथा कालोनाईजर्स की कार्यशाला आयोजित

जन शक्ति अभियान के क्रियान्वयन हेतु निगम इंजीयिरों एवं बिल्डर्स तथा कालोनाईजर्स की कार्यशाला आयोजित

 रैनवाटर हार्वेस्टिंग प्रत्येक घर में बनाने हेतु नागरिकों को जागरूक करने का संकल्प लिया

सागर-

जलशक्ति अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु नगर निगम के सभाकक्ष में निगम इंजीनियरों एवं शहर के बिल्डर्स, कालोनाईजर्स की कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें भू-जल पुनर्भरण एवं जल संवर्धन पर बिल्डर्स एवं कालोनाईजर्स और रैनवाटर हार्वेस्टिंग प्रत्येक घर में बनाने हेतु नागरिकों को जागरूक करने का संकल्प लिया।

भू-जल पुनर्भरण यानि जल को पुनः भूमि में लौटाना अर्थात् ऐसे स्त्रोत जिनके माध्यम से भू-गर्भ के जल को निकाला जाता है उन्हीं की सहायता से जल को पुनः भू-गर्भ में पहुॅचाना और जलसंवर्धन यानि बारिश के जल को सुगत तरीके से एकत्रित कर पुनः भूमिगत जल भंडारण तक भेजने की प्रक्रिया है, इसी विषय पर सब लोगों ने अपने-अपने विचार रखें जिसमें कालोनाईजर्स इंजी.प्रकाश चैबे ने बताया कि वर्षा ऋतु में व्यर्थ बह जाने वाले पानी को हम भूमि में भेजकर जल स्त्रोतों को रिचार्ज कर सकते है इसके लिये बोर के बाजू में एक और 50-60 फुट का गढ्ढा करवाये और उसमें पाईप के माध्यम से व्यर्थ पानी को भूमि में वापिस कर दें वह बोर चार्ज होता रहेगा।

इंजी.संजीव चैरसिया ने सुझाव दिया कि रैनवाटर हार्वेस्टिंग नया विषय नहीं है बल्कि बहुत पुराना विषय है, लेकिन लोग इसके प्रति जागरूक नहीं है, इसलिये प्रत्येक घर में रैन हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने हेतु लोगों में जागरूकता लाना होगी ताकि बारिश के पानी को भूमि में भेजा जा सके। इसके लिये केवल शासन स्तर पर प्रयास के साथ नागरिकों को आगे आकर प्रयास करना चाहिये।

कालोनी के बीच से बहने वाले पानी को व्यर्थ ना बहरने देने की बजाय उसे भूमिगत जल स्त्रोतों को रीचार्ज किया जा रहा है इसके नालें का पक्का निर्माण करके उसके साईड में एक निश्चित दूरी पर आडे़ पाईप लाईन लगाये गये है जो 8-10 फुट भूमि में गड़े है इससे नाले में जब पानी भरता है तो वह पानी इन आड़े पाईपों से भूमि में जाता है इससे पास में कुंऐ में 12 माहों पानी रहता है।

पार्को में रैन वाटर हार्वेटिंग की कुछ तकनीक अलग है इस संबंध में इंजी.प्रकाश चैबे ने बताया कि पार्क को भूमि को ऊपर उठाकर बनाना चाहिये और उसका ढाल किसी एक कोने में देकर एक 6 फुट चैडा गोलाई में गड्डा खोदकर जिसकी लगभग 8 फुट गहराई हो उसमें 6 फुट गहरा और 4 चार फुट गोलाई का सीमेंट का पाईप डाला जाता है फिर उसमें गिट्टी-रेत डालते है ताकि पार्क का पानी इस गड्डे के माध्यम से सीधा जमीन में जाये। साथ ही दो फुट गोलाई में इसलिये गड्डा खोदते है कि आसपास से भी जल का रीचार्ज होता रहे ।

कार्यशाला में प्रोजेक्टर के माध्यम से जल पुनर्भरण एवं संवर्धन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। बिल्डर्स इंजी.प्रकाश चैबे, इंजी.संजीव चैरसिया, अप्सरा बिल्डर्स, मनीष जडि़या, पलाश जैन, राहुल साहू, विनय साकेत, कपिल सेन, इंजी.शिव ढोकला, आदेश दीक्षित, प्रभारी कार्यपालन यंत्री रमेश चैधरी, सहायक यंत्री संजय तिवारी, उपयंत्री दिनकर शर्मा, राजकुमार साहू, गौरव राजपूत, राजेश नापित, प्रसन्न तिवारी, अतुल दुबे सहित अन्य बिल्डर्स एवं कालोनाईजर्स उपस्थित थे।

KhabarKaAsar.com
Some Other News

कुछ अन्य ख़बरें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: इस पेज की जानकारी कॉपी नहीं की जा सकती है|
Scroll to Top