प्रतिदिन योग करने के संकल्प के साथ वर्चुअल योग कार्यशाला का हुआ समापन

प्रतिदिन योग करने के संकल्प के साथ वर्चुअल योग कार्यशाला का हुआ समापन

स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय, योग विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित ‘‘स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन’’ विषय पर चल रही तीन दिवसीय वर्चुअल कार्यशाला का समापन 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रतिदिन योग करने के संकल्प के साथ किया गया। कार्यशाला अपने दो सत्रों में संपन्न हुई प्रथम सत्र में सुबह 7ः00 बजे से इस कार्यशाला के सचिव योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष गगन सिंह ठाकुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रोटोकॉल का अभ्यास कराकर किया गया। जिसमें लोगों ने वर्चुअल माध्यम से अपने घरों में रहकर योगाभ्यास किया, कार्यशाला के द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता रहे योगाचार्य एन. आर. भार्गव जी ने अपने उद्बोधन में कहा की योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियां व्यक्ति को हर एक बीमारी से बचाने का काम करती हैं वो भी बिना किसी गलत नुकसान के यह भारतीय चिकित्सा पद्धतियां व्यक्ति को संपूर्ण स्वस्थ बनाए रखने और जीवन को आनंदित और सुखमय बनाने की ओर आगे ले जाती हैं, हम सभी को योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए तभी हम समग्र स्वास्थ्य की कल्पना को साकार कर सकते हैं, योगाचार्य भार्गव जी ने कहा की योग में तीन प्रकार के अभ्यास होते हैं। पहला शरीर का अभ्यास जो हमें आसनों द्वारा मिलता है, दूसरा स्वास का अभ्यास जो हमें प्राणायाम द्वारा मिलता है और तीसरा मन का अभ्यास जो हमें ध्यान के द्वारा मिलता है। जब हम इन तीनों प्रकार के अभ्यास को करते हैं तभी सही अर्थों में हमने पूर्ण योगाभ्यास किया। वर्चुअल कार्यशाला में विशेष वक्ता के रूप में हिमालयन गढ़वाल यूनिवर्सिटी उत्तराखंड के प्रोफेसर आचार्य अरुण सिंह ने अपने व्याख्यान में कहा कि योग हमें एक दिव्य जीवन के लिए तैयार करता है परिस्थितियां फिर चाहे जैसी भी हो हम अपने आप को योग के माध्यम से संभाल लेते हैं। कोरोना के इस काल में लाखों लोगों ने योग के माध्यम से अपने आप को कोरोना का शिकार होने से बचाया और केवल कोरोना ही नहीं योग हमें शारीरिक और मानसिक तमाम प्रकार की बीमारियों से बचाने का काम करता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हमें यह प्रेरणा देता है की योग ही केवल मात्र वह माध्यम है जिससे हम सभी प्रकार की बीमारियों से बचे हुए अपने आप को एक स्वस्थ और सामंजस्यपूर्ण जीवन में बदल सकते हैं। संस्था के कुलाधिपति डॉ. अजय तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान दुनिया का सबसे परिष्कृत ज्ञान है हमने शरीर विज्ञान के साथ-साथ इस ब्रह्मांड के रहस्य को भी अपने वेदों, पुराणों के माध्यम से जाना है। चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय पद्धतियां मानव समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित हुई हैं योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा विश्व को भारतीय ऋषियों का दिया हुआ वरदान है इस ज्ञान के द्वारा मनुष्य समाज अपने आप को बेहतर बना सकता है और अपने जीवन को एक दिव्य जीवन में बदल सकता है। संस्थापक कुलपति डॉ. अनिल तिवारी जी ने कहा योग केवल एक व्यायाम नहीं बल्कि पूरा जीवन विज्ञान है हम योग के माध्यम से जीवन के चरम उत्कर्ष को प्राप्त कर सकते हैं योग हमें सभी परिस्थितियों में सम रहना सिखाता है, बेहतर और शानदार जीवन के लिए योग एक वरदान है समय-समय पर अलग-अलग संक्रमण रोग समाज में आते रहते हैं उन सभी से बचने के लिए हमें योग को अपने जीवन का एक हिस्सा बनाना चाहिए तभी हम एक स्वस्थ समाज की कल्पना कर सकते हैं इसी के साथ डॉ. अनिल तिवारी जी ने सभी से योग को अपने जीवन में अपनाने के साथ-साथ वैक्सीन की डबल डोज लगवाने का भी आग्रह किया।

इस वर्चुअल कार्यशाला में बड़ी संख्या में गायत्री परिवार सागर के साधक, सागर शहर के योग प्रेमी, विद्यार्थीयो के साथ-साथ मुख्य रूप से मनीष मिश्रा, मनीष दुबे, डॉ. सुनीता जैन, डॉ. ममता सिंह, डॉ. नीरज तोपखाने, भवानी सिंह, डॉ. सारिका शुक्ला, डॉ. नरेश नाथ, ए. के. सिंह, अनिल सेन, काजल नागले आदि उपस्थित रहे।

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