वृक्षगंगा अभियान से प्रेरित हो रहे क्षेत्रीय नागरिकः- अखिल विष्व गायत्री परिवार सागर
सागर-
अखिल विश्व गायत्री परिवार सागर का वृक्षगंगा अभियान बना जन आंदोलन।
अखिल विश्व गायत्री परिवार सागर के वृक्षगंगा अभियान को मिल रहा है भारी जन समर्थन, विगत दिनों अखिल विश्व गायत्री परिवार सागर द्वारा वृक्षगंगा अभियान के अंतर्गत ग्राम भिलईंयां, लोधीपुरा पथरिया जाट में वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिससे प्रेरणा लेकर सदर निवासी जीवन सिंह जी राठौर ने अपने खेत में भी वृक्षगंगा अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण का आयोजन किया गया जिसमें गायत्री परिवार सागर की पूरी टीम के साथ ग्रामवासियों ने पूरा सहयोग किया एवं लगभग 400 फलदार व छायादार वृक्षों जैसे आम, अमरूद, आंवला, नीबू, महुआ, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, इमली, अशोक, कदम्ब, गुलमोहर आदि का पौधारोपण किया गया उन्होंने पौधों के संरक्षण की जिम्मेदारी भी ली।आज के कार्यक्रम की रूपरेखा दिनेश दुबे जी ने बनाई। इस अवसर पर गायत्री परिवार सागर के मां भगवती महिला मंडल की संयोजिका श्रीमती रेखा गुप्ता जी ने भी सपरिवार पहुंचकर वृक्षारोपण किया व उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ें, मानसून की नहीं प्रकृति-विक्षोभ की परिचायक हैं मानसून तो प्रकृति की वह देन है, जिस पर फसलें जीवित रहती हैं। वृक्षों के कटने से बाढ़ों में भी वृद्धि हुई है। फलतः प्रतिवर्ष कृषि योग्य भूपरतों को बाढ़ें बहा ले जातीं तथा अपनी विनाश लीला रच जाती हैं। अतः पर्यावरण संरक्षण के लिए नए वृक्ष लगाने का अभियान चलना चाहिए। पर्यावरण संतुलन के लिए भू-भाग के एक-तिहाई हिस्से में वृक्षों का होना अनिवार्य माना गया है। इसके लिए एक व्यक्ति एक वृक्ष प्रतिवर्ष अवश्य लगाएं, गायत्री परिवार जिला समन्वयक आर एल शुक्ला जी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण संतुलन में वृक्ष-वनस्पतियों का जितना योगदान है, उतना प्रकृति के अन्य किसी भी घटक का नहीं है। दिन-प्रतिदिन वातावरण में घुलते जहर के परिशोधन तथा जीवन के परिपोषण के लिए उपयोगी तत्त्वों के अभिवर्द्धन में ये मूक, पर सजीव संरक्षक की भूमिका निभाते हैं। इनके महत्त्वपूर्ण उदात्त अनुदानों को देखकर ही पुरातनकाल में द्रष्टा ऋषियों ने वृक्ष-वनस्पतियों के पोषण और संरक्षण को देव आराधना जितना पुण्यफल देने वाला माना था। श्रीमती प्रियंका तनुज पाण्डेय जी ने भी सपरिवार वृक्षारोपण करके सभी को संबोधित करते हुए वृक्षारोपण को दान, पुण्य, तीर्थ, उपासना और साधना के समकक्ष माना जाता था। यह मान्यता अकारण नहीं थी, वृक्ष-वनस्पतियों के असंख्य अनुदानों के कारण ही उन्हें इतना अधिक महत्त्व मिला हुआ था, वृक्षारोपण प्रभारी श्रीमती प्रतिभा डाॅ. अनिल तिवारी ने भी सपरिवार वृक्षारोपण करके सभी से इस मौसम में अधिक से अधिक वृक्षारोपण व उनका संरक्षण करने की अपील की जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहे।