वृक्षगंगा अभियान ‘वृहद वृक्षारोपण’ कार्यक्रम

वृक्षगंगा अभियान ‘वृहद वृक्षारोपण’ कार्यक्रम

सागर-

अखिल विश्व गायत्री परिवार सागर द्वारा 13 जून को महाराणा प्रताप जयंती पर वृक्षगंगा अभियान के अंतर्गत ग्राम भिलईंयां, लोधीपुरा पथरिया जाट में वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें 250 फलदार व छायादार वृक्षों जैसे आम, अमरूद, आंवला, नीबू, महुआ, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, इमली, अशोक, कदम्ब, गुलमोहर आदि का पौधारोपण किया गया। गाँव के ही निवासी श्री पप्पू यादव जी ने पौधों के संरक्षण की जिम्मेदारी ली।

गायत्री परिवार सागर के आंदोलन प्रभारी श्री रामजी गुप्ता जी ने बताया कि महाराणा प्रताप ने अपनी मां से युद्ध कौशल की शिक्षा ग्रहण की थी, उन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर को पूरी टक्कर दी थी। जबकि महाराणा प्रताप के पास केवल 20 हजार सैनिक थे और अकबर के पास करीबन 85 हजार सैनिकों की सेना थी। इसके बावजूद इस युद्ध को अकबर जीत नहीं पाया था। महाराणा प्रताप के भाले का वजन 81 किलो और छाती के कवच का वजन 72 किलो था। महाराणा प्रताप कभी भी मुगलों के सामने झुके नहीं। हर बार उन्होंने मुगलों को मुंह तोड़ जवाब दिया, महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोडे़ का नाम चेतक था। वह घोड़ा भी बहुत बहादुर था। हल्दी घाटी में आज भी चेतक की समाधि बनी हुई है। हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान ही चेतक की मृत्यु हो गई थी।

गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ के जिला समन्वयक श्री योगेश शांडिल्य जी ने सभी को संबोधित करते हुए वटसावित्री व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि ऋषियों ने कम से कम बैशाख मास भर पीपल को थावला बनाकर जल से भरने का निर्देश दिया, ज्येष्ठ में वटसावित्री के माध्यम से लगातार तीन दिन तक थावला बनाकर बरगद को जल से भरने का निर्देश किया। वृक्ष पानी को पत्तियों से वाष्पोत्सर्जित करते है जिसके प्रभाववश इनके चारों ओर शीतल, नम वातावरण बन जाता है। पानी की उपलब्धता के आधार पर ही वृक्ष अपनी इस शीतकारी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। घरों के आसपास स्थित पीपल, बरगद आदि के पेड़ तो गर्मियों में लगभग कसम खा कर बैठ जाते है कि वे अपने गाँव या मुहल्ले वालों पर लू नहीं ढाने देंगे। किन्तु काश ! इसमें आप का भी कुछ योगदान हो जाता ! सीमित जल के अभाव में जब ये हाँफने लग जाते है तो ये आपके प्राण की रक्षा के लिये आपसे पानी चाहते है। वृक्षारोपण प्रभारी डॉ0 अनिल खरे जी ने कहा कि आपके घर से सैकड़ों मीटर की दूरी पर यदि पीपल का कोई बड़ा वृक्ष जल से तृप्त है तो विश्वास करें आपके क्षेत्र में किसी को लू नहीं लगेगी। भगवान के बनाए इन सार्वजनिक कूलरों में घरेलू कूलरों से सैकड़ों गुना अधिक शक्ति और ताजगी होती है, बशर्ते आप इनमें जल डालने का थोड़ा पुरूषार्थ दिखायें। वास्तव में गर्मियों में पेड़ पौधों को जल दान करने से सामान्य जनों को लू से रक्षा करने का बहुत बड़ा पुण्य कार्य सम्पन्न होता है। अधिक से अधिक पौधे लगाने व लगाने के साथ उनका संरक्षण करने की अपील अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी डाॅ. अनिल तिवारी ने की।

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